*हड़ताल में शामिल हुए कोयला मजदूरों को बहुत-बहुत बधाई*- *हरिद्वार सिंह* संतोष चौरसिया
*हड़ताल में शामिल हुए कोयला मजदूरों को बहुत-बहुत बधाई*- *हरिद्वार सिंह*
संतोष चौरसिया
अनूपपुर केंद्र सरकार की श्रम विरोधी, मज़दूर विरोधी, उद्योग विरोधी एवं किसान विरोधी नीतियों व विभिन्न मांगों को लेकर 26 नवंबर को देश के 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियन के द्वारा राष्ट्रव्यापी हड़ताल की गई, जिसका व्यापक असर पूरे देश में रहा।
एटक यूनियन के प्रांतीय अध्यक्ष एवं एसईसीएल एटक के केंद्रीय महामंत्री हरिद्वार सिंह ने श्रमिक साथियों को बधाई देते हुए कहा कि इस सफल हड़ताल का श्रेय हमारे मजदूर साथियों का है, हमारे सभी सहयोगी श्रम संघों का है, जिन्होंने एकजुटता का परिचय दिया और यह हड़ताल सफल हुई। आज पूरे देश से श्रमिक जगत में आक्रोश व्याप्त है। केंद्र सरकार की किसान विरोधी तीन काले कानूनों, बिजली एक्ट 2020 एवं श्रम कानूनों में बदलाव कर श्रमिकों के अधिकारों को छीनने के खिलाफ सारे देश में प्रतिरोध हो रहा है। भारतीय जनता पार्टी की राज्य सरकारें वर्ष 1975 के आपातकाल का रिकॉर्ड तोड़ कर लोकतांत्रिक अधिकारों पर नए प्रकार से हमला कर रहे हैं। भाजपा शासित राज्यों में जनवादी अधिकारों पर इस तरह हमला बोल दिया गया है कि सरकार के विरोध में लिखने पढ़ने प्रदर्शन और बोलने की आजादी छीन ली जा रही है।
एसईसीएल के अंतर्गत आने वाली कोयला खदानों में कहीं 40 प्रतिशत, कहीं 50 प्रतिशत, कहीं 60 प्रतिशत, तो कहीं 70 प्रतिशत हड़ताल हुआ। कुल मिलाकर एसईसीएल में इस बार हड़ताल का मिला जुला असर रहा। कुछ यूनियनें हड़ताल से बाहर रही, कुछ यूनियन हड़ताल में तो रहीं लेकिन पूरी ताकत से नहीं रही। जहां विभिन्न यूनियनें हैं तो वहां कुछ मतभेद तो रहते ही है, सदस्यता को लेकर, स्थानीय मुद्दों को लेकर, विचारों को लेकर आदि। तमाम विषम परिस्थितियों के बावजूद भी श्रमसंघ एकजुट रहे और कोयला मजदूर हड़ताल पर गए। वर्तमान की केंद्र सरकार इतनी आसानी से झुकने वाली नहीं हैं। हमें निरंतर लड़ाई के लिए तैयार रहना होगा और सभी यूनियनों को आपसी छोटे छोटे मतभेद को भुलाकर एकजुट होकर संघर्ष के लिए आगे बढ़ना होगा