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संतोष चौरसिया

*38 मजदूर अपने कंपनी से परेशान होकर अपने घर झारखंड 3 सौ किलोमीटर पैदल रवाना*
*बंद सकोला रेलवे फाटक के पास पुलिस ने रोका*
*समाजसेवियों ने की की मदद*
संतोष चौरसिया
जमुना कोतमा अनूपपुर जिले के कोयलांचल नगरी थाना भालूमाडा के अंतर्गत बंद हो गई सकोला रेलवे फाटक के पास 38 मजदूरों को जोकि अनूपपुर जिले के जैतहरी के मोजर बेयर पावर प्लांट में कार्यरत थे वे वहां के कार्यशैली से परेशान होकर अपने ग्रह ग्राम झारखंड य
जोकी यहां से लगभग 300 किलोमीटर है उन्होंने पैदल रेलवे लाइन होते हुए जाने का निर्णय ले लिया लेकिन पुलिस ने उन्हें सकोला रेलवे फाटक के पास रोककर उन्हें आश्वासन दिया है कि हम आपके जाने की व्यवस्था करेंगे साथ ही कुछ समाजसेवियों ने उनके नाश्ता पानी और खाने की व्यवस्था की जैसे ही पता चला कि मजदूर बदरा के सकोला रेलवे फाटक के पास रुके हुए हैं तो तो वैसे ही ग्राम पंचायत पकरिया सकोला ने उनके मदद की बात की साथ ही समाजसेवियों में रवि भारती बेलाल अहमद दीपक यादव सूरज कपूर संतोष चौरसिया बांके बिहारी आदि लोगों ने पहुंचकर उनके लिए आवश्यक सामग्री खाने-पीने की उपलब्ध कराई वहां पर उपस्थित मजदूरों ने बताया कि वे जैतहरी के मोजर बेयर पावर प्लांट में काम करते थे लेकिन पावर प्लांट के द्वारा जैसे ही कोरोना संक्रमण के चलते देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी द्वारा जनता कर्फ्यू लगाया गया था सभी से पावर प्लांट द्वारा हम लोगों को घास भूसे की तरह कमरे में बंद कर दिया गया यहां तक कि खाने-पीने तक के लाले पड़ने लगे और जब हम लोगों ने प्रबंधन से इस बात की तो उन्होंने कहा कि आपको जहां जाना है वहां जाइए हमारी शिकायत कर दीजिए हमारा कुछ भी बिगड़ने वाला नहीं है हमारी पहुंच बहुत ऊपर तक है और फिर हम लोग वहां के जैतहरी थाने में भी शिकायत लेकर गए जैतहरी थाने के थाना प्रभारी ने भी कहा कि आप जहां काम करते हैं वहां के सुपरवाइजर व अपना लेटर पैड जॉइनिंग का लेकर आइए तब हम कुछ करेंगे नहीं तो कोर्ट का दरवाजा खटखटाया हम मजदूर गरीब लोग हैं कहां कोर्ट कचहरी के चक्कर में पढ़ेंगे हमने सोचा कि यहां पर घुट घुट के मरने से अच्छा है कि कम से कम हम पैदल चलकर अपने गांव पहुंच जाएंगे तो वहां मेहनत मजदूरी करके किसी तरह अपना जीवन यापन कर लेंगे इसी के चलते हम लोग रेल पटरी मार्ग से कल चले हैं और आज यहां पहुंचे हैं आज शाम तक अगर प्रशासन ने हमें आश्वासन दिया है कि आप की व्यवस्था करवाएंगे और अगर कोई व्यवस्था नहीं होती है तो हम लोग पैदल ही यहां से अपने गृह ग्राम को चले जाएंगे यहां के स्थानीय लोगों ने हमारी काफी मदद की है बहुत अच्छे लोग हैं उन्होंने चाय नाश्ता व खाने-पीने की व्यवस्था की है और रही बात इस संकट की घड़ी में हेल्पलाइन नंबरों की नंबरों पर हम फोन लगा लगा कर परेशान है नंबर नहीं लग रहा है हमारा तो काम भी चला गया व मरने की स्थिति है यहां पर घुट घुट के मरने से तो अच्छा है कि इससे कि हम अपने घर किसी तरह पहुंच जाएं इस संकट की घड़ी में सरकार कहती है कि सोशल डिस्टेंस बनाकर रखिए लेकिन हमें घास भूसे की तरह एक कमरे में कम से कम 15 से 21 लोगों को रखा जाता था तो बताइए कि हम किस तरह सुरक्षित रहते इसलिए हम लोग परेशान होकर अपने घर जा रहे हैं झारखंड जा रहे हैं
*इनका कहना है*
हमें पता चला था कि 38 मजदूर बंद पड़ी सकोला रेलवे फाटक के पास हैं तो हम वहां पर गए थे उनके खाने-पीने की व्यवस्था करवा दिए हैं और इसकी जानकारी हमने एसडीएम महोदय को दे दी है
रामनाथ आर्मो थाना प्रभारी भालूमाडा

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