प्रबल स्त्री फाउंडेशन ने मदद के लिये बढाया हाथ, एक परिवार का बनीं सहारा

कोरिया। वैश्विक महामारी कोरोना ने कई घरों को उजाड़ दिया। इस बीमारी से कई लोग अपनों से दूर हो गये और कई परिवारों पर तो मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा। एक ऐसा ही परिवार मनेन्द्रगढ़ में भी है जिसकी जानकारी मिलने के बाद प्रबल स्त्री फाउंडेशन ने उनकी मदद करने के लिये अपना सहयोग दिया। आपको बता दें की एक समय था जब यह छोटा परिवार मेहनत के दम पर अपना एवं अपने बच्चो का पालन पोषण करते थे, मगर इस परिवार के मुख्य सदस्य का कोरोना की चपेट में आने से असमय मृत्यु हो गई और देखते ही देखते इस परिवार में दुखों का सैलाब उमड़ पड़ा। मनेन्द्रगढ के मनी मोहल्ले में निवासरत संध्या सिंह जिनके पति की कोरोना के कारण मृत्यु हो चुकी है संध्या सिंह जो स्वयं भी कोरोना पीड़ित थी और उन्हें ग्लुकोमा की बीमारी है जिसके कारण इस महिला को आँखों से 80 प्रतिशत दिखाई नहीं देता है। संध्या सिंह के दो बच्चे है जिसमें प्रिंस सिंह सबसे बड़ा बेटा है वह चालीस प्रतिशत दिब्यांग है और बोल नही नही पाता है। सबसे छोटी बेटी प्रियांशी सिंह जो कक्षा सातवी की बच्ची है। फिलहाल अपने घर का सारा काम करते हुये अपनें बडे दिब्यांग भाई और अपनी अंधी मां का सहारा बन कर सेवा करती है। आज से कुछ माह पुर्व इनके पिता पर ही घर की आर्थिक जिम्मेदारी थी वो नहीं रहे तो इन पर आर्थिक संकट आ गया है और दानें दानें के लिये मोहताज हो गये। किसी तरह दुसरों की रहमों करम पर अपना एवं अपने बच्चो का पेट पालती रही। जब इस महिला की हालात के बारे में समाज सेवी संस्था प्रबल स्त्री फाउंडेशन को जानकारी हुई तो संस्था की महिला सदस्यों ने संध्या सिंह से मिल कर उनका दर्द सुना और महिला की मदद के लिये का हाँथ बढाया जिससे उस महिला और दो मासुम बच्चों को दर दर भटकना ना पडे। वहीं प्रबल स्त्री फाउंडेशन द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर इस परिवार के लिये सोशल मिडिया के माध्यम से मदद की अपील की गई है। इस पुरे सहयोग मे प्रबल स्त्री फाउंडेशन की अध्यक्ष डॉ रश्मि सोनकर, शीला सिंह, प्रतिमा प्रसाद, प्रियंका राय, हीरा सिंग और अनामिका चक्रबर्ती का सहयोग शुरु से अंत तक मिला और 11 हजार 100 रुपये की राशि जमा हुई, जो संध्या सिंह को मदद के रूप में दिया गया। इस मौके पर संध्या सिंह ने कहा कि जिस तरह से प्रबल स्त्री फाउंडेशन की दीदी लोगो का सहारा मिला है अब तक किसी भी जनप्रतिनिधियों ने हमारे एवं बच्चो की सुध लेने की कोशिश ही नही की और ना ही कोई सहयोग मिला। दानदाता के रूप में वीर सोनकर, रचना दुबे, परमानंद माली, अनामिका चक्रबर्ती, यशोदा सोनकर, वसुधा मिश्रा, जवाबर सोनकर, और गुप्त दानदाताओं ने भी सहयोग किया।