अनूपपुर

कक्षाएं चल नहीं रही और छात्र कर रहे, प्रवेश प्रक्रिया में चार महीना विलंब

छात्रों का भविष्य अधर में

अनुपपुर। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय के तकनीकी, व्यावसायिक शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण संकाय के अंतर्गत संचालित चार स्नातक स्तर के पाठ्यक्रम तथा, स्नातकोत्तर स्तर के पाठ्यक्रम में विगत 3 सेमेस्टर से लगभग नहीं के बराबर ऑनलाइन/ऑफलाइन क्लास हुई है तथा पिछले सेमेस्टर में 6 माह में एक क्लास नहीं होने के बावजूद छात्र पास हो जा रहे हैं यह अपने आप में बहुत बड़ा अकादमी घोटाला है। इस संदर्भ में इंदिरा गांधी जनजाति विश्वविद्यालय अमरकंटक के कार्य परिषद सदस्य नरेंद्र मरावी ने तकनीकी, व्यावसायिक शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण संकाय के संकाय अध्यक्ष (डीन) तथा व्यावसायिक शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष को निलंबित करने के लिए कार्यपरिषद में एजेंडा लाने के लिए कार्यपरिषद के अध्यक्ष एवं कुलपति प्रकाशमणि त्रिपाठी को पत्र लिखा है। इसी प्रकार 2021-22 के लिए प्रवेश प्रक्रिया जानबूझकर इतना धीमा किया गया है कि प्रवेश प्रक्रिया चार महीना विलंब हो गया है जिसके कारण छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है तथा स्थानीय छात्र प्रवेश से वंचित होकर दूसरे महाविद्यालय विश्वविद्यालय में प्रवेश ले चुके हैं। प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए विश्वविद्यालय के कार्य परिषद सदस्य नरेंद्र मरावी ने बताया कि यह अत्यंत चिंतनीय विषय है कि केंद्रीय विश्वविद्यालय होने के बावजूद तकनीकी, व्यावसायिक शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण संकाय में कोई पढ़ाने वाला शिक्षक नहीं है और ना ही कोई क्लास हुई है उसके बावजूद छात्र कैसे पास हो गए? इसका मतलब कहीं ना कहीं बड़े स्तर पर अकादमी गोलमाल है। संकाय अध्यक्ष डीन का तमगा लेकर अपना बायोडाटा बढ़ाने वाले प्रोफेसरों ने शिक्षा जगत को शर्मसार किया है, इस मामले में बड़ी कार्यवाही की आवश्यकता है। गेस्ट फैकल्टी की अपॉइंटमेंट के लिए इंटरव्यू पहले 21 और 22 अक्टूबर को था जब योग्य उम्मीदवार साक्षात्कार देने पहुंचे तो उन्हें राघवेंद्र मिश्रा ने भगा दिया तथा बोला कि मैं 23-24 अक्टूबर को इंटरव्यू करवा लूंगा इसका मतलब कि विश्वविद्यालय में नियम कानून का मतलब नहीं है। वोकेशनल डिपार्टमेंट के अंतर्गत 4 अतिथि विद्वान गेस्ट फैकेल्टी को नियुक्त करने के लिए प्रकाशित विज्ञापन को निरस्त कर नया विज्ञापन संपूर्ण जरूरतों को ध्यान में रखकर यूजीसी की गाइडलाइन के अनुसार प्रकाशित करने की आवश्यकता है। छात्रों को भविष्य के साथ खिलवाड़ करते हुए उनके अकादमिक कैरियर को नष्ट करने के लिए गैर जिम्मेदाराना हरकत किया गया है, पिछले 3 सेमेस्टर से छात्र-छात्राएं बिना पढ़ाई के ही परीक्षा पास कर रहे हैं, कोई भी प्लेसमेंट नहीं हो रहा है भारत सरकार से प्राप्त अनुदान का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग हुआ है और छात्रों को कैरियर संवारने में विश्वविद्यालय पूर्णता असफल रहा है। नरेंद्र मरावी ने जानकारी देते हुए बताया कि वोकेशनल डिपार्टमेंट के अंतर्गत 4 अतिथि विद्वान गेस्ट फैकेल्टी को भर्ती के लिए विज्ञापन प्रकाशित किया गया है, विज्ञापन को देखने से ही यह प्रतीत होता है कि मैच पहले से ही फिक्स हो चुका है क्योंकि उस विज्ञापन में चयनित किए जाने वाले गेस्ट फैकल्टी के लिए न्यूनतम योग्यता का कोई उल्लेख नहीं है। इसके अलावा आवेदन का कोई भी फॉर्मेट नहीं दिया गया है जिस फॉर्मेट में उम्मीदवार आवेदन कर सकेंगे। इसके अलावा उस विज्ञापन में पाठ्यक्रम से संबंधित सिलेबस का भी कोई उल्लेख नहीं है कि कोई भी गेस्ट फैकेल्टी अप्लाई करने से पहले यह देख ले कि वह उस सिलेबस को पढ़ाने के लिए वह योग्य है या नहीं है। छिपाकर चोरी-चुपके भर्ती करने के लिए जो हथकंडे अपनाए जा रहे हैं वह यह दुर्भाग्य जनक तथा शर्मनाक है। 4 स्नातक पाठ्यक्रम तथा 2 स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में कुल 30 विषय को पढ़ाने के लिए कम से कम 12 अतिथि विद्वान गेस्ट फैकल्टी की जरूरत है लेकिन विज्ञापन चार पद के लिए निकाला गया। नरेंद्र मरावी ने जानकारी देते हुए आगे बताया कि विश्वविद्यालय में वोकेशनल डिपार्टमेंट के अंतर्गत स्नातक स्तर पर 4 पाठ्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं, बीवोक सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट, बीवोक थिएटर-स्टेज क्राफ्ट-फिल्म प्रोडक्शन एंड मीडिया टेक्नोलॉजी, बीवोक एग्रीकल्चर साइंस, बीवोक टूरिज्म एंड हॉस्पिटैलिटी मैनेजमेंट के साथ स्नातकोत्तर स्तर के पाठ्यक्रम संचालित की जा रहे हैं एमवोक-सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट, एमवोक-मीडिया टेक्नोलॉजी। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की गाइड लाइन के अनुसार छात्रों को पढ़ाने के लिए आवश्यक फैकेल्टी मेंबर उपलब्ध नहीं है। छात्रों से चर्चा के दौरान ऐसा पता चला है कि पूरे सेमेस्टर के दौरान 6 महीने में केवल एक ही क्लास होती है और छात्र परीक्षा में पास हो जा रहे हैं। इसका मतलब है कि प्रश्न पत्र देकर छात्र को पास करके डिग्री बांटने का व्यवसाय चल रहा है। भारत सरकार द्वारा वोकेशनल एजुकेशन, स्किल एजुकेशन पर विशेष ध्यान इसलिए दिया गया है कि छात्रों को स्वरोजगार तथा रोजगार उपलब्ध हो लेकिन यहाँ पर बेरोजगारी को बढ़ाने के लिए पढ़ाई कराया जा रहा है वोकेशनल कोर्स जो संचालित किए जा रहे हैं उसमें अभी तक प्लेसमेंट का कोई कार्य नहीं दिख रहा है जबकि ऐसा कोर्स के लिए अनुदान देने के पीछे ऐसा पाठ्यक्रम संचालित करने के पीछे सरकार का उद्देश्य है कि 100 प्रतिशत प्लेसमेंट हो। लेकिन 100 प्रतिशत तो दूर यहाॅ 1 प्रतिशत प्लेसमेंट भी नहीं हो पा रहा है इसका अर्थ है कि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय शिक्षा व्यवस्था को संचालित करने में असफल है। अकादमिक स्तर शून्य की ओर चला गया है। पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में बहुत ही योग्य संस्थापक शिक्षक हैं जिनका अनुभव तथा कार्य शीलता सराहनीय है लेकिन विश्व विद्यालय प्रशासन अनुभव तथा योग्य शिक्षकों को ना तो जनसंपर्क अधिकारी नियुक्त कर रहा है और ना ही वोकेशनल एजुकेशन की दायित्व दे रहा है इस कारण से वहां अराजकता फैल गई है। नरेंद्र मरावी ने जानकारी देते हुए यह भी बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन से 1 सप्ताह के भीतर कुछ सूचनाएं माँगी गयी है। वोकेशनल डिपार्टमेंट के अंतर्गत संचालित चारों स्नातक स्तर के पाठ्यक्रम के सभी सेमेस्टर का सिलेबस, स्नातकोत्तर स्तर पर संचालित दो पाठ्यक्रम के लिए सिलेबस, चारों स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए नियुक्त किए गए शिक्षकों का नियुक्ति की तिथि उनका योग्यता, इसके अलावा पिछले 3 सेमेस्टर के दौरान स्नातक स्तर पर चारों पाठ्यक्रम के लिए संचालित किए गए ऑनलाइन क्लासेस का रिकॉर्ड एवं स्नातकोत्तर स्तर पर संचालित किए गए पाठ्यक्रमों के ऑनलाइन क्लासेस का रिकॉर्ड किस-किस दिन कौन-कौन से शिक्षक में कौन-कौन सा विषय पढ़ाया। तकनीकी झूठ नहीं बोलता है वही रिकॉर्ड ऑनलाइन लिंक के साथ उपलब्ध कराए जिसमें कम से कम 45 मिनट की कक्षाएं हुई हो तथा कितने छात्र उस क्लास को अटेंड किए हैं। उसके अटेंडेंस की जानकारी। नरेंद्र मरावी ने बताया कि इस विषय को आगामी कार्य परिषद की बैठक में सम्मिलित किया जाएगा ताकि जिम्मेदार संकाय अध्यक्ष एवं विभागअध्यक्ष को निलंबित किया जा सके। पत्र की प्रतिलिपि, महामहिम राष्ट्रपति एवं केंद्रीय शिक्षा मंत्री, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार को भी प्रेषित की गयी है।

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