जनजातीय विश्वविद्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार की जांच किये जाने के संबंध में एसडीएम को सौंपा ज्ञापन

अनूपपुर। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय पोड़की अमरकंटक में स्थानीय एवं जनजाति छात्रों को प्रवेश से वंचित किए जाने भ्रष्टाचार, छात्रावास घोटाला,पीएचडी घोटाला, धोखाधड़ी, कूटरचना, कूटरचित दस्तावेजों की जांच कराए जाने बावत् अनुविभागीय दंडाधिकारी पुष्पराजगढ़ अभिषेक चैधरी को सैकड़ों ग्रामीणों ने हस्ताक्षर करके 27 जुलाई 2021 को ज्ञापन सौंपा गया। सौपे गए ज्ञापन में विश्वविद्यालय में हुए सफेद पोश अपराध की जानकारी देते हुए उच्च स्तरीय जाँच की माँग की। ग्रामीणों से चर्चा करते हुए अभिषेक चैधरी ने कहा कि अपराध की जांच की जाएगी, जांच में दोषी पाये जाने पर कार्यवाही भी की जाएगी, आरोपी कितना भी प्रभावशाली हो उस पर कानूनी कार्यवाही निश्चित होगी। अनुविभागीय दंडाधिकारी द्वारा दिए गए आश्वासन पर ग्रामीणों ने संतोष जताया है।
महामहिम को भी सौंपी जाएगी ज्ञापन की प्रतिलिपि
ज्ञापन की प्रतिलिपि रामनाथ कोविंद महामहिम राष्ट्रपति, नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय, शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री को भी प्रतिलिपि प्रेषित गया। आम जनता की ओर से पूर्व सरपंच शिवरतन सिंह धुर्वे तथा ग्रामीण नेता ललित कुमार पटेल ने बताया कि जनजाति विश्वविद्यालय में बड़े पैमाने पर घोटाला किया जा रहा है तथा कुछ प्रोफेसर इस विश्वविद्यालय को अपना कारखाना बना लिए है।
प्रोफेसर जांच अधिकारी को करते हैं गुमराह
विश्वविद्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार एवं घोटालों की जांच करने जब भी कोई दल या अधिकारी आता है तो विश्वविद्यालय के जिम्मेदार अधिकारीध् प्रोफेसर उस जांच अधिकारी को गुमराह कर देते हैं। विश्वविद्यालय के पक्ष के अधिकारी यह कहते हैं कि इस मामले में जांच हो चुकी है, कुछ नहीं पाया गया। यह बात पूरी तरह से गलत है सच्चाई यह है की सही तरीके से जांच अभी तक पूरे मामले की नही हो पायी है। विश्वविद्यालय के प्रबंधन के पक्ष में अधिकारी यह कहते हैं कि हाईकोर्ट से यह मामला खत्म हो गया है,जबकि इस प्रकरण में हाईकोर्ट से किसी को भी आज तक दोषमुक्त नहीं किया गया है और ना ही इन आरोपों को हाईकोर्ट ने निराधार बताया है। हाईकोर्ट ने यह निर्णय दिया है कि जांच का तरीका एफआईआर जैसे होना चाहिए और हाईकोर्ट ने न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया को गलत बताया ना कि आरोप को गलत बताया, इसे समझने की जरूरत है कि हाईकोर्ट ने आरोप को बहुत गंभीर बताया है तथा जांच की प्रक्रिया को मजबूत ढंग से अपनाने को कहा है।
हाईकोर्ट ने नही दिया है क्लीनचिट
विश्वविद्यालय के अधिकारी हाईकोर्ट के आदेश के नाम पर जाँच को गुमराह करते रहते हैं तब जाँच अधिकारी को यह भी ध्यान देना चाहिए कि उक्त दोनों प्रकरणों से संबंधित फाइल को जप्त कर गहराई से जांच की जाएगी तभी समस्त प्रमाण एवं साक्ष्य तुरंत मिल पाएंगे।
छात्रावास हो गया गायब, अपने सुख-सुविधा के लिए बनाये आवास
भारत सरकार के करोड़ों रुपए के अनुदान से अपने सुख-सुविधा का आवास बनाया गया है तथा भारत सरकार को यह रिपोर्ट भेज दी गयी की अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों के लिए छात्रावास बन गया है। ग्रामीणों ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से बताया कि जनजाति विश्वविद्यालय में पिछले कुछ वर्षों से स्थानीय एवं जनजाति छात्रों को प्रवेश से वंचित किया जा रहा है तथा प्रवेश सीटों की संख्या कम कर दी गई है।
पीएचडी में स्थानीय एवं जनजाति छात्र प्रवेश से वंचित
पीएचडी घोटाला करके अपने परिचितों को गैरकानूनी लाभ दिया गया है इस बार भी केरल के छात्रों को प्रवेश देने के लिए गलत नियम बनाया जा रहा है। आरोप यह भी है कि राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय में केवल 10वी पास (जो 14 बार में भी स्नातक (बीई) की सेकंड सेमेस्टर पास नही हो सकी है) छात्रा को पीएचडी एनट्रेंस परीक्षा में बायोटेक्नॉलोजी विषय की ऑल इंडिया टॉपर बना दिया गया है साथ ही पीएचडी की कोर्सवर्क की परीक्षा पास करा दिया तथा शोध उपाधि समिति से भी अनुमोदन दे दिया। प्रो. भूमिनाथ त्रिपाठी ने छात्रा को गोवा ले जाकर परीक्षा दिलवाया तथा सुश्री विजेतना सिंह ने पीएचडी बायोटेक्नोलाजी में प्रवेश दिलाने के लिए हुए “ऑल इंडिया एंट्रन्स एक्जामिनेशन” में 10वीं पास छात्रा ऑल इंडिया टॉप किया तथा मेरिट लिस्ट में पहला नाम था तथा जुलाई 2017 में “पीएचडी बायोटेक्नोलाजी” में सुश्री विजेतना सिंह ने प्रवेश ले लिया। लड़की का बेचलर ओफ इंजीनियरिंग (बीई) इलेक्ट्रिकल का रोल नम्बर 3112410304 है जो 10वी के बाद बिना 12वी के डिप्लोमा के माध्यम से बीई में प्रवेश लिया है, वर्ष 2017 में पीएचडी की ऑल इंडिया टॉपर का स्नातक में वर्ष 2014, 2015, 2017, 2018 में फैल होने का मार्कशीट भी शिकायत कर्ताओं के द्वारा इस ज्ञापन के माध्यम से प्रस्तुत किया गया मसलन सुश्री विजेतना सिंह का मूल योग्यता अभी भी केवल 10वी पास है। स्पष्ट है की विवि द्वारा ऑल इंडिया एंट्रन्स एक्जामिनेशन का प्रश्न पत्र परीक्षा से पूर्व या तो बेचा गया या अपने परिचित को परीक्षा से पूर्व प्रश्न पत्र दे दिया गया या छात्रा ने ओएमआर शीट (उत्तर पुस्तिका) परीक्षा हाल में खाली छोड़ा होगा ताकि परीक्षा के पश्चात ओएमआर शीट में सही उत्तर भर दिए जा सकें।
छात्रा का बिना वेरिफिकेशन किये प्रतिमाह रुपए 08 हजार की स्कालरशिप
पिछले 41 महीने से स्कालरशिप भारत सरकार के फंड से दी जा रही है। पीएचडी में प्रवेश लेने के पश्चात छः माह पीएचडी कोर्सवर्क की पढ़ाई करनी पड़ती है, बायोटेक्नॉलोजी विषय के शिक्षक पता नहीं कैसे तथा कौनसी पढ़ाई कराए कि 10वी पास छात्रा पीएचडी कोर्सवर्क की परीक्षा में पास हो गयी। प्रो. भूमिनाथ त्रिपाठी ने भारत सरकार को भी नहीं बक्शा है, एक बार नहीं दो बार बायोटेक्नॉलोजी विभाग के शोध छात्रा को विदेश घुमाने एवं उसे गलत तरीके से लाभ पहुचाने के लिए सुश्री विजेतना सिंह को दक्षिण कोरिया भेजने के लिए भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रोधोगिकी मंत्रालय के अधीन एजेन्सी के माध्यम से मई 2019 में प्रो भूमिनाथ त्रिपाठी तथा सुश्री विजेतना सिंह दक्षिण कोरिया से भारत सरकार से फायदा लेकर फर्जी पेपर पढ़ने तथा बनावटी शोध करने के नाम पर देश से छल किया है।
हुआ बिल्डिंग घोटाला भी
विवि को मिनिस्ट्री ओफ सोसल जस्टिस एंड इम्पावरमेंट ने 11015/8/2014-बीसी 3 तक दिसम्बर 2014 दिनांक तीन दिसम्बर 2014 को जारी पत्र में ओबीसी छात्रों के लिए 100 सीट तथा 100 सीट की दो हॉस्टल बनाने हेतु आईजीएनटीयू को केंद्रीय सहयोग राशि पाँच करोड़ चालीस लाख भेजा जिसमें तीन करोड़ की अतिरिक्त राशि लगाकर नियमो के विरुद्ध कुछ दूसरा निर्माण किया गया, इतना ही नही झूठी एवं बनावटी जानकारी भेजकर बताया गया कि ओबीसी छात्रों के लिए हॉस्टल बनाया गया है। भारत सरकार को झूठी एवं बनावटी जानकारी भेजकर बताया कि ओबीसी छात्रों के लिए 100 सीट तथा 100 सीट की दो हॉस्टल बन गयी है तथा 200 ओबीसी छात्रों नाम की फर्जी लिस्ट भारत सरकार को भेजी गयी है, जबकि ओबीसी छात्रों के लिए ना तो हॉस्टल बना है ना ही उसमें ओबीसी छात्रों ने शिफ्ट किया है।ज्ञात हो कि विवि में बड़े पैमाने पर अलग-अलग बिल्डिंग घोटाला हुए है तथा ऐसी भी बिल्डिंग बनी है जो कभी भी गिर सकती है जिससे आदिवासी एवं अन्य वर्ग के छात्रों की जान भी जा सकती है। पुष्पराजगढ़ के स्थानीय जनता ने ज्ञापन सौपतें हुए बताया कि यदि इस मामले में दोषियों पर एफआईआर दर्ज कर सही ढंग से जाँच कार्यवाही नहीं किया गया तो विश्वविद्यालय गेट पर अनिश्चित कालीन धरना-प्रदर्शन शुरू किया जाएगा।