*लेबर कोड बिल मजदूर हित में नहीं, मजदूरों का होगा शोषण*- *किसानों के लिए लाया गया नया कानून किसान विरोधी*- *हरिद्वार सिंह*
*लेबर कोड बिल मजदूर हित में नहीं, मजदूरों का होगा शोषण*-
*किसानों के लिए लाया गया नया कानून किसान विरोधी*- *हरिद्वार सिंह*
संतोष चौरसिया
अनूपपुर जमुना कोतमा श्रम कानून से जुड़े तीन विधायक इसी महीने की 23 तारीख को राज्यसभा से पारित हो गए एवं लोकसभा से इन्हें 22 सितंबर को ही पारित किया गया था। राज्यसभा ने 23 सितंबर को जिन तीन विधेयकों को पारित किया इनमें सामाजिक सुरक्षा विधेयक 2020, आजीविका सुरक्षा स्वास्थ्य एवं कार्य दशा संहिता विधेयक 2020 और औद्योगिक संबंध (इंडस्ट्रियल रिलेशन) संहिता विधेयक 2020 शामिल है।
इस बिल को लेकर संयुक्त कोयला मजदूर संघ (एटक), एस०ई०सी०एल० के केंद्रीय महामंत्री कामरेड हरिद्वार सिंह ने कहा है कि वर्तमान की सरकार के द्वारा 44 श्रम कानूनों को समाप्त कर 4 कोड पारित किये गए है जिसमे श्रमिको के कई अधिकार ख़त्म कर दिए गए है | औद्योगिक संबंध नियम विधेयक 2020 में सरकार ने श्रमिकों के हड़ताल करने के अधिकारों को सीमित करने वाली कई शर्तों का प्रस्ताव किया है | साथ ही कंपनियों को भर्ती और छंटनी को लेकर ज्यादा अधिकार दिए हैं | श्रम कानून के मुताबिक 100 से अधिक कर्मचारियों वाली कंपनियों को बंद करने से पहले सरकार की मंजूरी लेनी पड़ती है लेकिन इस नए विधेयक में सीमा बढ़ाकर 300 कर्मचारी कर दी गई है इसका अर्थ यह हुआ कि अब जिन कंपनियों में 300 से कम कर्मचारी हैं उस कम्पनी को बंद करने अथवा कर्मचारियों की छटनी करने के लिए श्रम विभाग की इजाजत लेने की जरूरत नहीं होगी | इसका फायदा बड़ी कंपनियों को मिलेगा | उनके लिए कर्मचारियों की छंटनी करने के अलावा कंपनी बंद करना भी आसान होगा | इसके अतिरिक्त राज्य सरकारों को अपनी जरूरत के मुताबिक इस संख्या को बढ़ाने की शक्तियां प्रदान की गई हैं | इस प्रावधान के तहत अब कंपनियां कर्मचारियों के लिए मनमाने ढंग से सेवा शर्तों को पेश करने में सक्षम हो जाएँगी |
कामरेड हरिद्वार सिंह ने अपने वक्तव्य में कहा कि जब कोयला खदानें निजी मालिकों के हाथों में थी तब कोयला मजदूरों की सुरक्षा पर कोई भी ध्यान नहीं दिया जाता था | मजदूरों के लिए कोई भी सामाजिक सुरक्षा, कल्याण संबंधी योजना नहीं थी इन्हीं सब बातों को देखते हुए कोल इंडिया का राष्ट्रीयकरण किया गया। धीरे धीरे कोयला मजदूरों को कई कानून और सुविधाएं उनके पक्ष में मिले लेकिन अब यह सरकार पुनः कोयला उद्योग को निजी मालिकों के हाथ में सौपना चाहती है। पहले शाम 7 से सुबह 6 तक/रात्रि पाली में महिलाओ के काम करने पर प्रतिबंध था लेकिन अब सरकार कानून लाई है कि महिला श्रमिक अब शाम 7:00 से सुबह 6:00 तक कार्य करेंगी | वर्तमान में महिलाओं के ऊपर हो रहे शोषण को देखते हुए हम समझ सकते हैं की महिलाएं कितनी सुरक्षित हैं और फिर यह कानून कितना न्याय संगत है? कर्मचारियों को 30 वर्ष की सेवा या 50 वर्ष की उम्र के बाद जबरन सेवानिवृत्ति करने का फैसला सरकार द्वारा लिया जा रहा है | कर्मचारियों की नौकरी खतरे में हैं | इसी प्रकार किसानों को जमीन के बदले रोजगार देना बंद कर दिया गया है, अब उन्हें सिर्फ मुआवजा देने की बात कही जा रही है क्या यह न्याय संगत है? किसानों को लेकर जो बिल सरकार लाई है उसमे न्यूनतम समर्थन मूल्य तय नहीं है| क्या इससे किसानों को उनके फसल का सही दाम मिल पायेगा? देश के किसान सडको पर हैं | लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं फिर भी इस सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है| यह सरकार पूंजीपतियों के हाथो की कठपुतली बन गया है इसलिए पूंजीपतियों के पक्ष में फैसले किये जा रहे है |
कामरेड हरिद्वार सिंह ने कहा है कि यह मजदूर विरोधी सरकार कोल इंडिया सहित सभी पब्लिक सेक्टर को बर्बाद करना चाहता है | किसानो को गुलाम बनाना चाह रही है | इस सरकार ने सिद्ध कर दिया कि यह पूरी तरह से मजदूर विरोधी और किसान विरोधी है | संसद में विपक्ष को दरकिनार कर बिना चर्चा के लगातार मजदूर विरोधी और किसान विरोधी कानून पास किया जा रहे है | एक एक करके देश के सभी सरकारी व पब्लिक सेक्टर को बेचा जा रहा है | कोरोना की आड़ में इस सरकार ने अवसर तलाश लिया है| आत्मनिर्भर भारत बनाने के नाम पर मजदूरों, किसानों, कर्मचारियों आदि को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है | कोरोना को लेकर देश के हालात किसी से छुपे नहीं है, कोरोना पीड़ित मरीजो के लिए अस्पतालों में ऑक्सीजन नहीं है, बिस्तर नहीं है, स्वास्थय कर्मियों के लिए सुरक्षा के उपकरण नहीं है | इस कठिन परिस्थिती में सरकार के पास कोई योजना नहीं है | सिर्फ एक शब्द तलाश कर देश की जनता को बता दिया गया है वह शब्द है “*आत्मनिर्भर भारत*” |