राष्ट्रीय वेतन समझौता से कोल इंडिया को कभी घाटा नहीं होता है:अख्तर
कोल इंडिया को घाटा कभी नहीं हुआ है:फायदे में कमी आ सकती है यह अलग बात है

बिलासपुर। अख्तर जावेद उस्मानी हिंद मजदूर सभा ने पूर्व में हुए राष्ट्रीय कोयला वेतन समझौता के आंकड़ों के जरिए यह बताया है कि राष्ट्रीय वेतन समझौता से कोल इंडिया को कभी घाटा नहीं होता है। हिन्द मजदूर सभा कोयला मजदूर साथियों के मध्य उनके अधिकारों की चेतना को जागृत रखते हुए उनके हितों की रक्षा के लिए लगातार प्रयत्नशील है।जैसे ही वेज बोर्ड का समय आता है वैसे ही कुछ ऐसी बातें प्रबंधन की ओर से प्रचारित की जाती हैं जो मजदूरों के बीच में भ्रम का वातावरण बना देती हैं। उनकी मंशा यही होती है कि इससे वेतन और सुविधाओं में हो रही कटौती की ओर से मजदूरों के नेतृत्व का ध्यान हट जाए और वो विभिन्न प्रकार के स्पष्टीकरण में उलझे रहे,जैसे ही वेतन वृद्धि की बात होती है वो इसे एक घाटे का सौदा बताने लगते हैं,जबकि सच्चाई इसके सर्वथा विपरीत है। हिन्द मजदूर सभा आप सभी मजदूर साथियों के सामने कोल इंडिया लिमिटेड के द्वारा पिछले 20 सालों के कंपनीज एक्ट के अधीन घोषित लाभ और हानि का ब्यौरा रख रही है।इससे आसानी से अनुमान लगा लेंगे कि इस दावे का सच क्या है? वर्ष 2021-2022 में कोल इंडिया लिमिटेड ने 622.6 मिलियन टन उत्पादन किया है। यह उत्पादन पिछले वित्तीय वर्ष के 596.22 मिलियन टन से 26.4 मिलियन टन अधिक है। कोयला मंत्रालय द्वारा वर्ष 2023-2024 में कोयला 1.2 बिलियन टन का रखा गया है। जिसमें कोल इंडिया लिमिटेड को एक बिलियन टन उत्पादन का लक्ष्य है,जो कि कोल इंडिया लिमिटेड द्वारा 150 मिलियन टन प्रति वर्ष अधिक उत्पादन का लक्ष्य है। इस अवधि में कोलइंडिया लिमिटेड के वेजबोर्ड के वेतन पाने वाले लगभग 20,000 कर्मचारी और कम हो जाएंगे और 12वें वेतन समझौता 01 जुलाई 2026 तक अगर कोल इंडिया लिमिटेड को सभी मजदूरों और उनके प्रतिनिधि संगठनों की एकता और संकल्प बचा पाया तो लगभग 50,000 कर्मचारी 11वें वेज बोर्ड की अवधि में ही कम होने वाले हैं वेतन पाने वाले मजदूरों की संख्या में हर साल औसतन 8 -10 हजार तक की कमी और उत्पादन में हर साल 150 मिलियन टन की बढ़ोतरी और श्रमिकों का वेतन बढ़ाने में घाटा होगा प्रबंधन का यह तर्क हास्यास्पद और क्रूर है। यह कहा जा रहा है कि कंपनी पर सालाना वित्तीय भार कितना पड़ेगा परंतु 188.7 मिलियन वार्षिक उत्पादन से कंपनी की वित्तीय स्थिति कितनी सुधरेगी, इस पर कोई चर्चा ही नहीं है। विगत 20 वर्षों में कोल इंडिया लिमिटेड के उत्पादन के आंकड़ों और लाभ पर एक दृष्टि डालें तो पता चलता है कि पिछले 20 सालों में एन.सी.डब्लू.ए. 7 2001-2002 से लेकर 2021-2022 तक एन.सी.डब्लू.ए: 10 तक की अवधि में कोल इंडिया लिमिटेड को कभी घाटा नहीं हुआ है। ये अलग बात है कि लाभ कम और ज्यादा हो सकता है।
एन.सी.डब्लू.ए : 7 : 2002 में मेन पावर 530986, कर्मचारी भुगतान 7779.38 एवं लाभ 519.02 था एवं 31.03.2022 को कोल इंडिया लिमिटेड द्वारा पिछले वित्तीय वर्ष से 26.4 मिलीयन टन अधिक 622.6 उत्पादन किया है। यह आंकड़े कोल इंडिया लिमिटेड के द्वारा सेबी और शेयर होल्डर्स को दिए गए वार्षिक प्रतिवेदनों पर आधारित है। लाभ के इन्हीं आंकड़ों के आधार पर डेवीडेन्ट आदि लाभांशों का वितरण होता है। यदि कर्मचारी लाभ मद (अधिकारी और वेजबोर्ड कर्मचारी) में देखे तो 2002 के 7779.98 करोड़ से 2021 के 38697.72 करोड़ तक केवल 5 गुना लाभ की ही बढ़त हुई है। लेकिन कंपनी के लाभ में 2002 से 2020 में 32 गुना और 2021 में भी 24 गुना की बढ़त हुई है। उत्पादन इन 20 सालों में 2.226% गुना बढ़ गया है। 279.65 मिलियन टन से 622.6 मिलियन टन तक। 2002 से 2021 तक अधिकारी और कर्मचारी संख्या में कमी आई है, इसमें इस अवधि में हुई सीधी भर्ती,भूअधिग्रहण, अनुकंपा नियुक्ति सभी सम्मिलित है। 2023-2024 में 1 बिलियन टन उत्पादन लक्ष्य (188.7 मेट्रिक टन) और कम से कम 100 मिलियन टन प्रति वर्ष अधिक उत्पादन भी करने पर उस उत्पादन का विक्रय मूल्य और लाभ भी कोल इंडिया लिमिटेड को ही मिलेगा। इन 20 वर्षों में (2002 से 2021) कोयला का उत्पादन कम ज्यादा हुआ है लाभ भी कम ज्यादा हुआ परंतु कोल इंडिया लिमिटेड घाटा कभी नहीं हुआ है। चार वेज बोर्ड हस्ताक्षर हुए, दो वेतन समझौते अधिकारियों के लिए वेतन समझौते हुए। लेकिन कोयला मजदूरों की तनख्वाह बढ़ने से,ठेकेदारी मजदूरों को हाई पावर समिति की अनुशंसा के अनुरूप वेतन बढ़ा कर देने से नुकसान कंपनी को नहीं हुआ है। ठेकेदार जरूर फायदे में रहें,हाई पावर समिति की अनुशंसा का बढ़ा वेतन लेकर भी मजदूरों को कम पैसा दे रहे हैं इसका भी कोई हल प्रबंधन को निकालना चाहिए। कोरोना और प्राकृतिक शक्तियां, सरकारी विभागों की समय पर अनुमति ना मिलना,अनुत्पादक खर्च, नीतियां,डबल डिविडेंड स्पेशल फंड ट्रांसफर यह सब तो कोयला मजदूरों के हाथ में नहीं है लेकिन निवेश और संसाधनों के अभाव में अंडरग्राउंड खदानों से 10 मिलियन टन से अधिक उत्पादन और ओपनकास्ट खानों से प्रवेक्षण और नियंत्रण के माध्यम से वो अपनी पूरी क्षमता से उत्पादन में योगदान दे रहे हैं। वेजेजबोर्ड और घाटे का तर्क मजदूरों की उचित मांग को नकारने जैसा है यदि 2002 से 2022 तक हर वर्ष का लाभ और हानि देखा जाए तो कोल इंडिया लिमिटेड ने इस अवधि में चार राष्ट्रीय कोयला वेतन समझौते किए हैं दो अधिकारियों के लिए भी वेतन समझौते हुए,लेकिन किसी भी वर्ष में कोल इंडिया लिमिटेड को घाटा नहीं हुआ है। यदि 6वें समझौते को भी देखें तो 1996 में 6वां वेतन समझौते और अधिकारियों के लिए पहले दस साल वेतन वृद्धि के लिए एक साथ 3031.66 करोड़ रुपए का प्रावधान कर उसे 1996 में ही खर्च के रूप में दिखा दिया गया था। इसलिए 6वें वेतन समझौते के उस वर्ष में मात्र 1414.47 करोड़ का घाटा दिखाई देता है। यह चेयरमैन के स्टेटमेंट में भी दर्शाया गया है। इसी तरह से 2021 में कैपिटल एक्सपेंडिचर तयशुदा सीमा से 3000 करोड़ रुपए अधिक कर 6000 करोड रुपए कर दिया गया। परंतु उसे कैशफलो में ना दिखा कर खर्च में दिखाया गया है इससे 2021-22 में लाभ 3000 करोड़ कम कर 12702.17 करोड दिखाया गया है,जबकि कैपिटल एक्सपेंडिचर/कैप एक्स एक निवेश है जो आने वाले सालों में अपना रिटर्न देता है। इस तरह एकाउंटिंग से बैलेंस शीट को वेजेज बोर्ड के समय कम लाभ को दिखा कर भ्रमित करने का प्रयास किया जा रहा है पिछले दो वेतन समझौते के प्रारंभ काल में जून माह से व्ही.डी.ए. ही घट जा रहा है। सितंबर माह में व्ही.डी.ए बढ़ जाता है।
हिंद मजदूर सभा अपनी पूरी शक्ति के साथ प्रबंधन और उनके सहयोगियों के दुष्प्रचार का खंडन करने का प्रयास कर रही है। हिंद मजदूर सभा सभी केंद्रीय श्रम संगठनों से, उनके प्रतिनिधियों से और सभी कोयला मजदूरों, ठेकेदार के द्वारा नियोजित मजदूरों और सभी संबंधित जनों से आह्वान करती है कि हम सभी यह संकल्प लें कि एक समुचित और सम्मानजनक कोयला वेतन समझौता हो अन्यथा अनवरत संघर्ष के विकल्प का मार्ग चुनना ही श्रेयस्कर होगा। कोयला मजदूरों को श्रम संघों से आशा है ना केवल वेतन वृद्धि की वरन जो पुरानी सुविधाएं छीन ली गई हैं जो सुविधाओं को छीनने का प्रबंधन की पुरजोर कोशिश है उसका डटकर सामना करने के लिए वेज बोर्ड समझौता मजदूरों के लिए,मजदूरों के सम्मान के लिए यही हिंद मजदूर सभा का उद्देश्य यही सभी श्रम संगठनों का उद्देश्य बने यही सभी कोयला मजदूरों का उद्देश्य है।