छत्तीसगढ़

32 बर्खास्त श्रमिकों की जाए सेवा में वापसी: अधिकारियों के समक्ष रखी मांग

श्रमिकों को बर्खास्त करने के पूर्व केंद्रीय सतर्कता आयोग के मापदंडों का भी नहीं किया गया पालन

एसईसीएल मुख्यालय से आये अधिकारियो ने तीन माह का मांगा समय ,ताकि सेवा से बर्खाश्त कर्मियों की पुनः बहाली और उनके पीएफ – ग्रेजवटी को वापस करने का दिया आश्वासन
चिरमिरी। जिले के चिरमिरी एसईसीएल में 32 श्रमिकों को बर्खास्त करने के मामले में 7 जुलाई को श्यामली गेस्ट हाउस में एक सर्वदलीय बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें बिलासपुर मुख्यालय से आए एसईसीएल अधिकारियों के साथ मनेन्द्रगढ़ विधायक विनय जायसवाल की पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक हुई । इस दौरान पीड़ित श्रमिकों और उनके परिवार के लोग घण्टों दोनों पक्षो की चर्चा परिचर्चा सुनते रहे । बैठक में श्रमिकों की बहाली किये जाने को लेकर तीन घण्टे से अधिक समय तक चर्चा चली ।
विधायक विनय जायसवाल और उनके प्रतिनिधित्व मंडल को बिलासपुर एसईसीएल मुख्यालय से आये जीएम पर्सनल ए. के. सक्सेना और जीएम लीगल प्रवीण कुमार के द्वारा हर एक बिंदु पर अपनी बात मनवाने की कोशिश की गई लेकिन विधायक विनय जायसवाल और उनका प्रतिनिधि मंडल इस पूरे मामले में भाजपा के पूर्व जनप्रतिनिधि एसईसीएल में लिप्त भ्रष्ट अधिकारियों और एक मात्र शिकायतकर्ता जो पुरे जिले में ऐसे मामलों में लिप्त अधिकारियों को मोटी रकम का लालच देकर साठ गाठ करते हुए कोल श्रमिकों को घर से बे घर करने वालो पर तत्काल एफआईआर और उच्च स्तरीय जाँच एवं कार्यवाही पर अड़े रहे । विधायक विनय जायसवाल ने उपस्थित अधिकारियों के सामने कोल इंडिया के द्वारा बनाये क़ानूनी नियम को पढ़ कर रोकी गयी पीएफ , ग्रेजवटी की राशि को तत्काल देने की बात कही और ये भी कहा की एक तो आपने हमारे श्रमिक की पीएफ , ग्रेजवटी को किसके कहने से रोका जब यह आपके अधिकार में नहीं है । आपके कंपनी में 40 वर्षो तक अपना खून- पसीना बहाने वाले लोगो को अपने आज दर दर भटकने को मजबूर कर दिया वह भी एक दलाल शिकायत कर्ता के कहने पर आपने एक बार भी अपने श्रमिक से बुलाकर पूछने की जहमत नहीं की उसका पक्ष नहीं ये आपकी जाँच है जो चंद पैसो के लिए की गई आपके अधिकारी आपका जीएम ऐसे व्यक्ति को अपने ऑफिस में बैठा कर कॉफी पिलाकर नास्ता कराते है और उसकी वाह वाही करता है । जिस व्यक्ति के ऊपर अनेको मामले दर्ज है जिसके द्वारा मुझे भी मोटी रकम देने की खबर भेजी थी और इस पुरे मामले से हटने को कहा था । बीते 18 माह से बैठक और चर्चा परिचर्चा एवं पत्राचार का दौर खत्म हो चुका अब मुझे इस मामले में केवल निर्णय चाहिए नहीं तो अब वह होगा जो बताने योग्य नहीं है । विधायक की मांग को देख एसईसीएल मुख्यालय से आये अधिकारियों ने अपना नरम रुख इख़्तियार करते हुए जल्द ही पूरी सहमती के साथ सभी मामले के निराकरण के लिए कुछ दिनों का समय माँगा जिस पर विधायक विनय जायसवाल और उनके प्रतिनिधि मंडल ने तीन माह का समय देते हुए आगामी 07 अक्टूबर तक का समय दिया गया और यह भी कहा कि अगर इस समय अवधि में इन मामलो का निराकरण नहीं हुआ तो आगामी 12 अक्टूबर के बाद हम बात नहीं करेंगे और आपके एसईसीएल बिलासपुर मुख्यालय सीएमडी ऑफिस में तालाबंदी करते हुए अनिश्चितकालीन प्रदर्शन करने के लिए हम मजबूर होंगे । वही उक्त बैठक में प्रतिनिधित्व मंडल में मुख्य रूप से प्रोफ़ेसर भागवत दुबे, श्रमिक नेता राम अवतार आलगामकर, शंकर रॉव, अधिवक्ता अनिमेष सिंह, शिव महाराणा , बलदेव दास, ने सभी तथ्यो पर अपना अपना वक्तब्य देते हुए पुरे मामले में निराकरण जल्द से जल्द निराकरण करने की बात कही । एसईसीएल प्रबंधन ने इस पूरे मामले में बड़ी लापरवाही बरती है केंद्रीय सतर्कता आयोग के द्वारा 2015 में जारी दिशानिर्देशों में यह स्पष्ट है कि बेनामी शिकायत और फर्जी शिकायतों पर किसी प्रकार का कोई कार्यवाही नहीं किया जाना है मतलब जिस के विरुद्ध शिकायत की गई है उसकी शिकायत की जांच शिकायतकर्ता का सत्यापन किए जाने के बाद ही किया जाना है पर बर्खास्त किए गए अधिकांश कर्मचारियों के मामले में केंद्रीय सतर्कता आयोग के इस नियम /मापदंड का पालन नहीं किया गया है शिकायतकर्ता का पक्ष/ कथन और शिकायत की पुष्टि भी नहीं की गई है कुछ मामलों में तो फर्जी शिकायतों के आधार पर ही कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया है, इसी प्रकार से चिरमिरी के अलावा एसईसीएल के अन्य क्षेत्रों में फर्जी शिकायतों के आधार पर कई कर्मचारियों को बर्खास्त किया गया है और अभी दर्जनों कर्मचारियों के विरुद्ध जांच चल रही है, यह कहां तक न्याय संगत है जब शिकायतकर्ता ही फर्जी है तो फर्जी शिकायतों की जांच किया जाना किसी भी तरह से उचित नहीं है, मुख्यालय में बैठे जिम्मेदार अधिकारियों को इस बात को भी संज्ञान में लेते हुए की गई शिकायतों की जांच करने के पूर्व शिकायतकर्ता का सत्यापन कराया जाना नितांत आवश्यक है पर देखा जा रहा है कि अभी भी बहुत सारे मामलों में एसईसीएल प्रबंधन शिकायतकर्ता का सत्यापन किए बिना ही फर्जी शिकायतों पर अपने श्रमिकों के साथ सौतेला व्यवहार कर रहा है।
मुख्यालय से आई टीम ने कही यह बात :-

जांच लोकल पुलिस इंक्वायरी पर निर्भर होता है। साथ ही श्रमिक को अपना पक्ष रखने का पूर्णतः मौका मिलना चाहिए। तथा मात्र चार महीने में ही जांच पूर्ण शक के दायरे में। मेरे अनुसार किसी श्रमिक की पीएफ एवं ग्रेज्युटी नहीं रोक सकते हैं ।

Related Articles

Back to top button