उतरप्रदेश

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में मंदिर निर्माण का रास्ता हो गया साफ

अयोध्या लोगों को नए रूप में आकर्षित करेगा, 400 करोड़ की राम की प्रतिमा बन रही, मंदिर का बजट इससे ज्यादा होगा

उत्‍तर प्रदेश. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। मंदिर निर्माण के साथ ही अयोध्या देश ही नहीं, बल्कि विश्व के लोगों को एक नए रूप में आकर्षित करेगा। ऐसे में अयोध्या बड़े अंतरराष्ट्रीय धार्मिक शहर के रूप में विकसित हो सकता है। मस्जिद को 14 कोसी परिक्रमा के बाहर बनाया जा सकता है। कुसमाहा, जगनपुर और भदरसा गांव पर मस्जिद निर्माण कराया जा सकता है। भास्कर ने 100 स्मार्ट सिटी परियोजना से जुड़े रहे विशेषज्ञों नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स से प्रो. डिबोलिना कुंडु और केंद्रीय शहरी विकास विभाग के पूर्व सचिव डॉ. सुधीर कृष्णा से जाना- आखिर अयोध्या को किस तरह विकसित किया जा सकता है।

अर्थव्‍यवस्‍था को मिल सकती है मजबूती
विशेषज्ञों का मानना है कि अयोध्या में बड़े अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्थल के रूप में विकसित होने की क्षमता है, क्योंकि भौगोलिक परिस्थिति और बड़े शहरों से नजदीक होना इसकी बड़ी ताकत है। अयोध्या में रामलला अभी तंबू के अस्थायी मंदिर में हैं, सुविधाएं भी नहीं हैं, तब भी वर्ष 2018-19 के दौरान करीब 1.5 लाख श्रद्धालु बाहर से आए। विशेषज्ञों का मानना है कि अयोध्या को अगर सही प्रकार से विकसित कर दिया जाए तो शुरुआती दौर में ही पर्यटकों या श्रद्धालुओं की संख्या प्रतिदिन पचास हजार तक पहुंच सकती है। वैष्णो देवी और तिरुपति की तर्ज पर अयोध्या एक बड़े धार्मिक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित हो सकता है। इससे यहां और आसपास की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल सकती है।

बौद्ध और जैन धर्मावलंबियों के लिए भी महत्‍व रखती है अयोध्‍या

विशेषज्ञ कहते हैं कि संसाधन जुटाने के साथ ही दुनियाभर में अयोध्या की ब्रांडिंग पर भी फोकस करना होगा। उत्तरप्रदेश सरकार को अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर के होटल और रेस्त्रां चेन खुलवाने के लिए एमओयू करने चाहिए। ट्रांसपोर्टेशन की आधुनिक सुविधाएं जुटाने के साथ ही विश्वस्तरीय ढांचागत सुविधाओं का विकास करना होगा। महत्वपूर्ण बात यह भी है कि 79.8 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में बसी और करीब एक लाख की आबादी वाली अयोध्या हिंदुओं के लिए ही नहीं बल्कि बौद्ध और जैन धर्मावलंबियों के लिए भी विशेष महत्व रखती है। यहां रामचरित मानस के सात खंडों की तर्ज पर संग्रहालय भी बनाया जाना चाहिए। इसमें ईसा पूर्व कोशल महाजनपद, कुषाण से लेकर वर्तमान तक का चित्रण हो।

अयोध्‍या को जोडने चाहिए अमृत योजना से
देश के धार्मिक महत्व के शहरों के लिए चल रही हृदय योजना और शहरी बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर को दुरुस्त करने के लिए अमृत योजना से भी अयोध्या को जोड़ना चाहिए, ताकि शहर में नल जल सप्लाई, सेनिटेशन, सीवर, कचरा प्रबंधन, अप्रोच रोड्स, फुटपाथ, साइकिल ट्रैक, स्ट्रीट लाइट्स आदि का उचित प्रबंध किया जाए। साथ ही नगर का ऐतिहासिक महत्व बना रहे इसलिए ऐतिहासिक महत्व के गलियों, मठों, मंदिर और इमारतों का संरक्षण किया जाना चाहिए। जैसा कि जापान के क्योटो शहर का किया गया। इसी तरह आधुनिकता के साथ अयोध्या का ऐतिहासिक महत्व बरकरार रह पाएगा।

14 कोसी परिक्रमा क्षेत्र के बाहर बन सकती है मस्जिद
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर मस्जिद कहां बने? इस सवाल पर मस्जिद के पैरोकार इकबाल अंसारी ने कहा कि यह सरकार तय करें। इस बारे में मैं कुछ नहीं बोलूंगा। कोर्ट का फैसला आ गया, मुझे अपील भी नहीं करनी है। अयोध्या में 14 कोसी परिक्रमा मार्ग के बाहर मस्जिद बनाने के निर्देश के बाद सबसे पहले जिस स्थान का नाम सामने आ रहा है, वह कुसमाहा गांव है, जो दर्शननगर में है। हालांकि यह परिक्रमा क्षेत्र के थोड़ा अंदर है। मान्यता है कि इसी गांव में मीर बाकी की मजार है। अन्य जिन स्थानों की चर्चा है, उनमें चिर्रा जगनपुर और भदरसा के इर्द-गिर्द का क्षेत्र है।

400 करोड़ रुपए की लागत से दुनिया की सबसे ऊंची बनेगा राम प्रतिमा
जानकारी के अनुसार अभी तक राम मंदिर का जो मॉडल तैयार था और जिसके आधार पर पत्थर तराशे गए हैं, उनमें कोई कमी नहीं है। पर अब अयोध्यावासियों का मानना है कि यह मॉडल जिस समय बना था, तबसे अब दुनिया बहुत बदली है। सरकार ने काशी विश्वनाथ मंदिर के लिए कॉरिडोर बनाने के लिए ही सिर्फ 700 करोड़ का बजट रखा है, योगी सरकार सरयू में 400 करोड़ रुपए की लागत से दुनिया की सबसे ऊंची राम प्रतिमा बना रही है। इसके मुकाबले विहिप के राम मंदिर के प्रोजेक्ट निर्माण का खर्च 140 करोड़ है, जो बेहद मामूली है।

 

Back to top button