शासकीय महाविद्यालय कोतमा में सामाजिक समरसता और बाबा साहेब पर केन्द्रित राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ आयोजन
रिपोर्टर प्रकाश कुशवाहा

अनूपपुर। शासकीय महाराजा मार्तंड महाविद्यालय कोतमा की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के द्वारा बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की 130वीं जयंती के अवसर पर सामाजिक समरसता और बाबा साहेब पर एक राष्ट्रीय ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का शुभारंभ स्वाती कुशवाहा द्वारा मां सरस्वती की वंदना से किया गया। संस्था के प्राचार्य डॉ व्हीके सोनवानी ने सभी वक्ताओं और अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित वरिष्ठ चिंतक, विचारक समाजसेवी और अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय संगठन सचिव डॉ बालमुकुंद पांडेय ने बाबासाहेब आंबेडकर के जीवन और चिंतन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वर्तमान समाज में बाबासाहेब के विचार सामाजिक समरसता की स्थापना में अत्यंत प्रासंगिक भूमिका निभा सकते हैं। बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर जीवन पर्यंत विभिन्न समस्याओं से जूझते हुए समाज के लिए सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय की भावना को साथ लेकर कार्य करते रहें। राष्ट्र बाबासाहेब के योगदान को केवल मात्र एक वर्ग विशेष के नेता के रूप में नहीं, बल्कि संपूर्ण राष्ट्र को दिशा देने वाले व्यक्ति के रूप में याद रखेगा। विशिष्ट वक्ता के रूप में महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलसचिव डॉ प्रशांत पुराणिक ने कहा कि बाबा साहेब का जीवन वृतांत संघर्षों से भरा रहा है। संघर्ष से लड़कर ही वे राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय जगत में महान नेता के रूप में राष्ट्र जीवन को मार्गदर्शन व प्रेरणा प्रदान करते रहे हैं। समाज निरंतर उनके जीवन चिंतन से प्रेरित होता रहेगा। उच्चतम न्यायालय में मध्यप्रदेश शासन के उप महाधिवक्ता वीर विक्रांत सिंह ने बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर को प्रखर न्यायविद, दर्शन-शास्त्री, अर्थशास्त्री एवं समाज शास्त्री के रूप में उनके योगदान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनका जीवन सामाजिक समरसता और निष्पक्ष कानूनविद के रूप में कानून और न्याय क्षेत्र में कार्य कर रहे लोगों के लिए सदैव प्रेरणा देता रहेगा। उनका जीवन सामाजिक समरसता, समानता और न्यायपूर्ण समाज की स्थापना के लिए समाज क्षेत्र में कार्य कर रहे लोगों को सदैव प्रेरणा देता रहेगा। आज के युवाओं को चाहिए कि वे बाबासाहेब के जीवन और चिंतन का अध्ययन करें और राष्ट्र में उनके योगदान को राष्ट्र जीवन की समस्याओं के निराकरण में समझने का प्रयास करें। संगोष्ठी के विषय की भूमिका अग्रणी तुलसी महाविद्यालय अनूपपुर के प्राचार्य डॉ परमानंद तिवारी द्वारा प्रस्तुत की गई। जिसमें उन्होंने बताया कि बाबा साहेब का जीवन और चिंतन आज की पीढ़ी के लिए अत्यंत प्रासंगिक है, साथ ही राष्ट्र तथा समाज के लिए दिशा प्रदान करने वाला है। कार्यक्रम के अंत में महाविद्यालय में पदस्थ इतिहास के सहायक प्राध्यापक श्रीकांत मिश्रा ने अपने निष्कर्ष कथन में कहा कि बाबासाहेब ने समाज के वंचित वर्ग के लोगों को उनका अधिकार दिलाने में उन्हें समानता और न्याय का अवसर प्रदान करने में जीवन भर संघर्ष किया और उसमें सफलता भी प्राप्त की। वर्तमान समय में बाबासाहेब का जीवन और उनके विचार ना केवल प्रासंगिक है, बल्कि भविष्य में आने वाली पीढ़ियां उनके विचारों और चिंतन को साथ लेकर राष्ट्र जीवन की विभिन्न समस्याओं का निराकरण करने में सफलता प्राप्त कर सकती हैं। कार्यक्रम का संचालन वाणिज्य संकाय के सहायक प्राध्यापक राकेश कुमार पवार द्वारा किया गया एवं आभार प्रदर्शन राष्ट्रीय सेवा योजना की महिला इकाई की कार्यक्रम अधिकारी डॉ अनीता तिवारी द्वारा किया गया। कार्यक्रम के सफल आयोजन में आईक्यूएसी प्रभारी प्रो बी लकडा, राष्ट्रीय सेवा योजना की पुरुष इकाई के कार्यक्रम अधिकारी डॉ पंचमसिंह कवड़े, प्रवीण यादव, डॉ गिरेन्द्र शर्मा, डॉ विक्रम सिंह भिड़े, मो मोबीन, डॉ शैली अग्रवाल, सोनिया पटेल, पूर्णिमा शुक्ला, रंजनासिंह बघेल के साथ महाविद्यालय के समस्त स्टाफ का सराहनीय सहयोग रहा। साथ ही महाविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के छात्र-छत्राओं राहुल, नरेंद्र, छविकांत, मोहन, परमेश्वर हिमांशु, लक्ष्मण, आकाश, आशीष, गणेश, रमेश, मो. अनीस, मो. अल्ताफ, प्रहलाद, आकाश, राजेंद्र, पूरन, पारस, लक्ष्मण, राकेश, स्वाति, अनीता सुमन, मुस्कान, मीना, रेशमी, सरस्वती, नीलम, सपना, ममता, गीता, दीप्ति, सविता, अंजलि, रेशमा, चित्रलेखा इत्यादि एवं महाविद्यालय परिवार के समस्त विद्यार्थियों का भी आयोजन में महत्वपूर्ण योगदान रहा।