खुशियो की दास्ताॅंः लोक अदालत में मनमुटाव को पीछे छोड़ एक हुए दम्पति
रिपोर्टर@देवानंद विश्वकर्मा

अनूपपुर। रिश्ते बनाना तो आसान होता है परंतु उन्हें निभाना आपसी प्रेम और विश्वास से उन्हें सशक्त करना कठिन होता है। कई बार विभिन्न जिम्मेदारियों का निर्वहन करते करते पारिवारिक समस्याओं से निपटने में परिवार के भरण पोषण में कई बार छोटी छोटी बातें नजरअंदाजी का शिकार हो जाती हैं और बड़ा रूप ले लेती हैं। संवाद का अभाव इन्हें और कष्टप्रद कर देता है कठिन कर देता है। ऐसी ही समस्याओं की वजह से अनूपपुर जिले के तीन दम्पत्ति अलग होने का मन बना रहे थे। परंतु लोक अदालत में सुनवायी के दौरान दी गयी समझाइश एवं संवाद की शुरुआत ने रिश्तों की खटास को दूर कर दिया और ये दम्पति पुनः जीवन के पथ में पूरे जोश के साथ चलने के लिए तैयार हो गए। लोक अदालत में सुरेश सिंह निवासी ग्राम कोहका थाना बेनीबारी और उषा बाई के बीच वर्ष 2018 से मनमुटाव था, पति ने घर से निकाल दिया था, तब उषा ग्राम मौहरी में अपने भाई के साथ रहने आ गई थी। पति सुरेश पत्नी के सुंदर न होने की वजह से वैवाहिक जीवन से नाखुश था और वह पत्नी को रखना नहीं चाहता था, इसलिए मारपीट करता था जिससे दोनो में अलगाव के हालात बन गए थे, अदालत में न्यायधीश ने दोनो को समझाया कि शारीरिक सुंदरता नही जीवन निर्वाह के लिए मन की सुंदरता अहम है। जिस पर पति-पत्नी दोनो साथ रहने पर राजी हो गए और सुरेश अपने दोनो बेटो को साथ लेकर घर रवाना हुआ। कुटुम्ब न्यायालय में सुनीता राठौर और मनोज राठौर निवासी ग्राम सिवनी थाना जैतहरी का प्रकरण लोक अदालत में राजीनामे से सुलझ गया। दोनो का विवाह 8 वर्ष पहले हुआ था। महिला का आरोप था कि सास, ससुर, देवर और पति द्वारा शादी के एक वर्ष बाद ही मोटर साईकल सहित अन्य समान को लेकर मांग करते और परेशान करते थे। यहां तक कि नगद रुपए लाने का दबाव भी दिया जाता था। पति ने घर से निकाल दिया था। जिला न्यायाधीश सुभाष कुमार जैन ने दोनो को आत्मीयतापूर्वक समझाईश दी, जिस पर दोनो आपस में साथ रहने के लिए सहमत हुए। मिठाई खिलाकर दोनो को खुशी के साथ वापस भेजा गया। राजेन्द्र प्रताप सिंह निवासी ग्राम महुदा पत्नी गीता बाई को शादी के एक वर्ष बाद ही दहेज को लेकर प्रताड़ना देने लगा था। दो पुत्र और एक बेटी होने तथा पारिवारिक रूप से संपन्न होने के बावजूद पत्नी को ठीक तरह से नहीं रख रहा था। वर्ष 2017 में पत्नी ने थाना जैतहरी में शिकायत दर्ज कर दी थी इसके बाद मामला महिला सशक्तिकरण विभाग में पहुंचा। फिर भी दाम्पत्य जीवन नहीं सुधर पाया। पति के घर से निकाले जाने पर मामला न्यायालय पहुंचा। लोक अदालत में जिला न्यायाधीश ने दोनो पक्षों की दलील सुनी और दोनो के दायित्व को समझाया जिस पर पति पत्नी और बच्चों को साथ रखने को तैयार हुआ तथा आगे किसी तरह का विवाद न करने का भरोसा दिलाया। वो कहते हैं न मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है, तोड़ने वाले से जोड़ने वाला बड़ा होता है, सही कहते हैं। इस बात का प्रमाण है इन तीन जोड़ो उनके बच्चों तथा उनके परिवारों के चेहरे की मुस्कान।