आखिर किसकी शह पर हो रही है वृक्षों की अंधाधुंध कटाई , कौन है वो जो रखवाली के नाम पर कर रहा है वनों को साफ
आखिर किसकी शह पर हो रही है वृक्षों की अंधाधुंध कटाई , कौन है वो जो रखवाली के नाम पर कर रहा है वनों को साफ
कोयलांचल क्षेत्र में बंद पड़ी खदान से हर रोज हो रहे अवैध कारोबार किसकी सह पर हो रहा है कोयला लकड़ी और कबाड़ पार
अनुपपुर / मध्यप्रदेश – मध्यप्रदेश का आखिरी जिला अनुपपुर कहने को तो बहुत शांत प्रिय जिले के नाम से जाना जाता है लेकिन अवैध कारोबार के मामले में सबसे आगे है एक तरफ अनुपपुर जिले में ही सांसद मंत्री व विधायक भी है जिनसे कुछ छिपा नही है। अब सवाल यह उठता है कि कभी वन भूमि से अवैध रेत तो कभी वन भूमि से हरे भरे भरे वृक्ष की कटाई जोरो से होती नजर आती है तो कभी बन्द खदान से कोयला का अवैध कारोबार किया जाता है वही दूसरी ओर आस पास secl के क्षेत्र बन्द ओ सी एम से कबाड़ चोरों का आतंक होता है।ऐसे में जब बात आती है प्रबंधन की और सुरक्षा कर्मियों की तो यह कहा जाता है कि हम ऑन ड्यूटी है तो फिर यह सब कैसे हो जाता है कई बार जानकारी देने के बाबजूद भी न तो वह कर्मी आते है न तो पुलिस प्रशासन अब एक प्रश्न यह उठता है कि आखिर किसकी सह पर इस तरह के कारोबार होते है। आपको जानकर हैरानी होगी कि यह सब जानते हुए भी वन अमला और पुलिस प्रशासन चुप्पी क्यो साध लेता है। कुछ पुरानी जानकारी भी सामने आती है जिससे यह साबित होता है कि इस तरह के अवैध कारोबार कई वर्षो से चल रहे है। लेकिन हस्तक्षेप न होने की बजह से इस तरह के कारोबार पर कोई लगाम नही लगाई गई। कई बार यह देखा गया है कि कुछ रेत माफिया व अन्य माफियाओ के सांथ इनकी सांठ गांठ तगड़ी होती है सांथ उठना बैठना खाना पीना भी होता है। कुछ पुराने किस्से भी है जब कई वन कर्मियों की रिश्वत वाली वीडियो भी वायरल हो चुकी होती है लेकिन प्रशासन के मिलीभगत से हर बार इस तरह के रिश्वत खोर कर्मी जो हर बार बच निकलने में सफल रहते है। अगर पकड़ घकड कार्यवाही की बात करे तो मामला यह सामने आता है कि जो इनके खास होते है उन्हें हर मामले में छोड़ दिया जाता है।कुछ कार्यवाहियों में सिर्फ नाम मात्र की कार्यवाही होती है।
वन विभाग की लापरवाही के चलते क्षेत्र में धड़ल्ले से हरे पेड़ों की कटाई की जा रही है। इसके बाद भी विभाग वन माफियाओं पर शिकंजा नहीं कस पा रहा है। इसके अलावा प्रशासन भी इस तरफ अनदेखी कर रहा है।
हर वर्ष शासन हरियाली को बढ़ावा देने के लिए पौधरोपण अभियान चलाता है। इस पर शासन द्वारा करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं जबकि उसकी सुरक्षा को लेकर संबंधित विभाग ही लापरवाही बरतते हैं। इस समय बन्द पड़ी ओ सी एम हरद जमुना कोतमा क्षेत्र में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है। इसके अलावा किसान भी खेतों की मेढ़ पर लगे हरे पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलाने से बाज नहीं आ रहे हैं। किसान बिना अनुमति के पेड़ों को काटकर ठेकेदारों को बेच देते हैं। इससे पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा है। कुछ दिन पहले हरद गांव ओ सी एम के आस पास में और भी कई गांव है जहाँ से प्रतिदिन हरे भरे पेड़ो को लगातार काटा जाता है। अनुपपुर क्षेत्र के विभिन्न जंगलों में इन दिनों अवैध रूप से वनों की कटाई का सिलसिला जारी है ।यह खेल यहां चोरी छुपे व रात में अक्सर होती है । ऐसी घटना से वन विभाग भी खासे परेशान है।जिले के कई जंगलों से पेड़ों की कटाई बदस्तूर जारी है जिससे कभी हरा भरा दिखने वाला जंगल अब वीरान होने की कगार पर है । जबकि वन विभाग द्वारा यहां के सभी वन क्षेत्रों में पौधा लगाने का सिलसिला हर साल जारी है । इसके अलावे विभाग विभिन्न सड़क किनारे भी पौधा लगाया जाता हैं ।
वन विभाग के कर्मचारी सब देखते हैं लेकिन बोलते कुछ नहीं हैं। वन विभाग द्वारा पौधे रोपण की रस्म अदायगी तो खूब होती हैं। पर रोपे गये पौधों की सुरक्षा नहीं होती है । इससे कहीं ज्यादा संख्या में रोजाना पेड़ों की वैध और अवैध कटान जारी है।
बावजूद यहां के लकड़हरा एवं अवैध लकड़ी के कारोबारी द्वारा इन जंगलों से लगातार हरे भरे वृक्षों व उनकी टहनियां आदि को काट कर वृक्ष को वर्वाद कर रहे हैं । जिससे नये लगाये गये वृक्ष सूखने लगा है । अगर यही स्थिति बनी रही तो वह दिन दूर नहीं कि वन विभाग की हरियाली मिशन असफल हो जायेगा । हालांकि लकड़ी काटने की एक वजह में खाना बनाने के लिए जलावन तो दूसरी वजह में बेशकीमती लकड़ी की अवैध तस्करी है । इस कार्य में कई छोटे से बडे लकड़ी माफिया जंगलों में सक्रिय हैं । लकड़ी माफिया बेखौफ जंगल उजाड़ने में लगे हुए हैं। बताया जाता है कि लकड़ी माफिया प्रतिदिन इन जंगलों से दो ट्रैक्टर बेशकीमती पेड़ों को काट कर अवैध आरा मिलों में बेच रहे हैं। जानकारी होने के बावजूद विभाग कार्रवाई नहीं करती।
वन रक्षियों की नियुक्ति के बाद पेड़ कटना बंद नही हुआ
जंगलों में पेड़ कटे जाने को लेकर विभाग समय-समय पर कार्रवाई करने कि बात सामने आती रही है। शुरू में वन रक्षियों की कमी से जंगलों की देखरेख के नाम पर कुछ और है परंतु अब भी बन रक्षियों की नियुक्ति से जंगलों में पेड़ काटना नही रुका.ग्रामीणो का कहना है कि सब अधिकारियो कि मिली भगत से हो रहा है ।
जंगलों में पेड़ों को अवैध रूप से काटा जाता है। एक ओर सरकार पर्यावरण संरक्षण के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है वहीँ दूसरी ओर लकड़ी के माफिया जंगलों में दिन रात पेड़ काट रहे है। ऐसा प्रतीत होता है कि लकड़ी माफिया पेड़ों को प्रतिशोध की भावना से काट कर उनका व्यापार करने का कोई मौका अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहते।
हरियाली के सौदागर रातों रात हरे पेड़ गायब कर रहे हैं और वन विभाग केवल जांच करने में ही लगा है। इस अनदेखी की वजह से पर्यावरण को लगातार खतरा बढ़ता जा रहा है। लोगों ने इसकी शिकायत उच्चाधिकारियों से करके पूरे मामले की जांच कराने की मांग की गई पर स्थिति जस कि तस।
सूचना देने पर भी मौके पर पहुंचते जिम्मेदार वन कर्मी और जब आते है तो ले देकर इसके बाद कार्रवाई को दबा दिया जाता है।पेड़ काटने वालों पर कड़ी कार्रवाई नहीं होने के कारण इस पर प्रतिबंध नहीं लग पा रहा है। वन माफियाओं पर रोकथाम नहीं होने के कारण जहां कभी घना जंगल हुआ करता था, वहां पर अब ठूंठ ही नजर आते हैं। इन पेड़ों की हो रही कटाई से वन क्षेत्रों को तो नुकसान हो रहा है।
बंद कोयला खदान में हो रही चोरी-छिपे अवैध खुदाई
भालूमाड़ा थाना अंतर्गत एसईसीएल जमुना-कोतमा क्षेत्र की बंद ओ सी एम कोयला खदान से कोयले का अवैध खनन लगातार जारी है। कोयला खदान क्षेत्र से कोयला चोरी और तस्करी लगभग एक दशक से जारी है। कोयला तस्करी के धंधे में जो बड़े नाम पहले आते थे, वही अब भी बेखौफ कारोबार कर रहे हैं। थाना व चौकी के प्रभारी बदलते रहे लेकिन कोयला चोरी और तस्करी का पुलिसिया गठजोड़ आज तक नहीं टूटा।
कोल माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई कर पुलिस भी वाहवाही लुटती रही। उच्चाधिकारियों को भी भ्रम में रखा की कोयला चोरी और तस्करी की घटनाएं बंद हो गई है। वास्तविकता यह है कि लॉकडाउन के दौरान कोयला चोरों और तस्करों की मौज हो गई है। बड़े आराम से वे कोयले का काला कारोबार कर रहे हैं।
गांव में रहने वाले कई लोगों को भी कोयला तस्करों ने अपने साथ मिला लिया है। रुपयों की लालच में खदान क्षेत्र में बलपूर्वक घुसकर कोयला चोरी में लगे हुए हैं। तस्करों से सेटिंग होने के कारण वन कर्मी व सुरक्षा कर्मी ऐसे तत्वों के खिलाफ किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं करती।खदान के आसपास के इलाके में चोरी का कोयला एकत्रित किया जाता है। बाद में ट्रकों में भरकर कोयला पार कराया जाता है।आरोप है कि सभी विभागों को कोयला चोरी और तस्करी के संबंध में सारी जानकारी होती है, किस रूट से कितनी वाहने चोरी का कोयला लेकर रवाना होती है, इन सब का हिसाब होता है, उसके बावजूद कार्रवाई के बजाय कमीशन के खेल में अवैध कारोबार को बढ़ावा देने में ज्यादा भलाई समझी जाती है। बन्द पड़ी ओ सी एम खदान क्षेत्र व उसके आसपास का इलाका असामाजिक और अपराधिक गतिविधियों के लिए भी जाना जाता है। कोयला चोरों तस्करों की सक्रियता के कारण लोग उधर जाना भी नहीं चाहते। सुरक्षा के जिम्मेदार का एकमात्र उद्देश्य रहता है कि उन तक हिस्सा पहुंचता रहे। सैकड़ों मजूदरों के माध्यम से कोयला चोर गिरोह द्वारा कोयले का अवैध उत्खनन मजदूरों की जान जोखिम में डालकर किया जा रहा है जिससे कभी भी गंभीर दुर्घटना हो सकती है। दैखल की बंद ओपन कास्ट माईन्स से लगातार कई वर्षों से कोयले का अवैध उत्खनन किया जा रहा है।सैकड़ों मजूदरों के माध्यम से कोयला चोर गिरोह द्वारा कोयले का अवैध उत्खनन मजदूरों की जान जोखिम में डालकर किया जा रहा है जिससे कभी भी गंभीर दुर्घटना हो सकती है। दैखल की बंद ओपन कास्ट माईन्स से लगातार कई वर्षों से कोयले का अवैध उत्खनन किया जा रहा है।जहां इस धंधे से कोल माफिया मालामाल हो रहे हैं, वहीं सरकार को रोजाना लाखों के राजस्व का नुकसान हो रहा है। अवैध खनन को रोक पाने में खनन विभाग एवं स्थानीय प्रशासन पूरी तरह फेल हो चुका है। यहां कोयले की अवैध खुदाई होती है। बताया जाता है कि प्रतिदिन सैकड़ों मीट्रिक टन कोयले की निकासी की जाती है। बंद खदान में चट्टान के नीचे सुरंग बनाकर तथा कूपनुमा गढा खोदकर कोयला निकला जाता है। जिस कारण खदान बने गड्ढे में कभी भी जान माल की क्षति हो सकती है। हालांकि समय-समय पर अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए पुलिस अभियान चलाती रही है। मगर आजतक किसी की गिरफ्तारी नहीं होने से बिना डर-भय के यह कार्य चलते रहता है।
दूसरी ओर कबाड़ चोरों का आतंक भी सिर चढ़कर बोल रहा है आये दिन खुल्ले आम रात होते ही
कई बार यह देखा जाता है कि अवैध कारोबार का गढ़ माना जाने वाला हरद ओ सी एम जो कि कबाड़ चोरी के मामले में तेज गति से इस कार्य का अंजाम दिया जाता है कि मानो जैसे कबाड़ चोरों को खुली आजादी सी मिल गई है। कहने को तो इस मामले से पुलिस भी अनजान नही है एक साल पहले की है एक घटना थी जिसमे कबाड चोरो ने पुलिस वाहन व १०० डायल पर पत्थर बाजी भी कि थी जिसमे पुलिस कर्मी व एस ई सी एल के कर्मियो को भी कबाड चोरो ने घायल किया था।