चहेतों को लाभ पहुंचाने नियम विरुद्ध निकाली जा रही निविदा, कलम में दम है कहकर ठेकेदारों को धमका रहे अधिकारी
रिपोर्टर समर बहादुर सिंह
राजनगगर। केंद्र सरकार की यह मंशा है कि बड़े उद्योगपतियों के अलावा छोटे व मध्यम वर्गीय व्यापारी व्यापार एवं अन्य कार्य कर रहे। लोगों को रोजगार मिल सकें जिसके परिपालन में केंद्र सरकार के अधीन कोल इंडिया मुख्यालय कोलकाता द्वारा पिछले वर्ष एसईसीएल मुख्यालय बिलासपुर सहित समस्त क्षेत्रों के लिए यह आदेश पारित किया गया था कि सिविल एवं माइनिंग से संबंधित 50 लाख के अंदर के किसी भी कार्य के लिए अनुभव प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं होगी जिसके पीछे कंपनी कि यह मंशा रही की मध्यम, छोटे लोग भी कंपनी में रोजगार के अवसर तलाश सके। किंतु कोल इंडिया के कोलकाता मुख्यालय का यह आदेश हसदेव क्षेत्र के सिविल विभाग के टेंडरों में तो लागू कर दिया गया किन्तु खदान के अंदर कराए जा रहे कार्यों के टेंडर में आज दिनांक तक लागू नहीं किया गया। जहां निविदा भरते समय में आज भी कंपनी के आदेश के विपरीत अनुभव प्रमाण पत्र प्रबंधन द्वारा मांगा जा रहा है। इसके पीछे का प्रमुख कारण शायद अपने चाहतों से सेटिंग कर उन को लाभ पहुंचाने के लिए भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना बताया जा रहा है, तो वंही प्रबंधन का यह भी मानना है कि अकुशल और गैर अनुभवी लोंगो से खदान के अंदर सुरक्षा से सम्बंधित कार्य अच्छे तरीके से नही हो पाते हैं, इस संबंध में प्राप्त जानकारी के अनुसार कोल इंडिया मुख्यालय कोलकाता एवं एसईसीएल मुख्यालय बिलासपुर से जो आदेश लागू किया गया वह सभी क्षेत्रों में लागू किया गया किन्तु हसदेव क्षेत्र में सुरक्षा का हवाला देकर आदेश को दरकिनार किया जा रहा है। सवाल यह उठता है कि जब अन्य क्षेत्रों में यह आदेश लागू कर दिया गया है तो हसदेव क्षेत्र में क्यों नहीं किया गया? क्या अन्य क्षेत्रों की खदान अलग है या यहां पर पदस्थ अधिकारियों को माइनिंग की अलग पढ़ाई पढ़ाई गई है? वही इस समय हसदेव क्षेत्र के मुख्यालय में बैठे एक अधिकारी द्वारा ठेकेदारों को दी जा रही धमकी चर्चा का विषय बना हुआ है, बताया जाता है कि जो साहब धमकी दे रहे हैं उनकी पूर्व में काफी चांदी थी किंतु वर्तमान में एग्रीड सूची में शामिल हैं, किंतु सब कुछ उनके कहे अनुसार ही होता है लक्ष्मी के आने जाने का हिसाब भी यही रखते हैं,भले ही फाइलों पर हस्ताक्षर कोई और करता है। तभी तो साहब ठेकेदारों से यह कहते फिर रहे हैं कि जो भी इनके मंशा के विपरीत एवं उनके चहेतों के निविदा में निविदा डालेगा उनको परिणाम भुगतना पड़ेगा। क्योंकि उनके कलम में बहुत दम है कुल मिलाकर चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए इस प्रकार से मुख्यालय के आदेशों को ताक पर रखकर प्रबंधन इस प्रकार से मनमानी पर उतारू है। इस संबंध में टेंडर प्रक्रिया को देखने वाले एरिया ट्रेनिंग ऑफिसर (ATO) नारायण दास ने कहां की यह बात सत्य है कि मुख्यालय से 5000000 के भीतर बिना अनुभव प्रमाण पत्र के टेंडर करने का आदेश आया था। किंतु कोलकाता मुख्यालय से एक आदेश यह भीआया था कि जहां सुरक्षा की बात हो वहां अनुभव मांगा जा सकता है इसलिए हम सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं रह सकते और बिलासपुर मुख्यालय को पत्र देकर हम निविदाओं में अनुभव प्रमाण पत्र मांग रहे हैं यदि कंपनी द्वारा आदेश कर दिया जाएगा तो हम अनुभव प्रमाण पत्र नहीं मांगेंगे।




