कोरोना वारियर्स ही बन रहे कोरोना कैरियर
उच्याधिकारियों को फोटो दिखाने के चक्कर में बिना मास्क कोरोना पॉजिटिव के साथ फोटो कर रहे वायरल
अनूपपुर। विगत दिनों में कोरोना के वैश्विक तांडव और लॉकडाउन का असर देश सहित अनूपपुर जिले में भी भयावह रूप से देखने को मिला। कोरोना संक्रमण की लहर अब जिले में मंद पड़ती नजर आ रही है, जिसके लिए एक ओर जहां जिला प्रशासन की कड़ी मेहनत सूझबूझ और बेहतर शासकीय पहल, प्रशासनिक तत्परता, कोरोना वारियर्स के बिना रुके-बिना थके संक्रमण की चेन तोड़ने की कवायद की अहम भूमिका रही है। वहीं दूसरी ओर, लोगों के धैर्य, कोरोना गाइडलाइन्स के पालन में सजगता और सहयोग ने भी उल्लेखनीय रूप से संक्रमण को नियंत्रित करने में भूमिका अदा की है। परंतु आज भी जिले में कुछ ऐसे हॉटस्पॉट हैं, जहां नित्य प्रतिदिन कोरोना के नए-नए प्रकरण सामने आ रहे हैं और जिम्मेदार कोरोना कैरियर बनते नजर आ रहे हैं। अनूपपुर जिले की नगर पालिका पसान एकमात्र नगरीय निकाय के रूप में शेष बचा है जो कोरोना हॉटस्पॉट बना हुआ है और प्रशासन ने जिसे लाल सूची में डाल रखा है। जब पूरा प्रदेश धीरे-धीरे अनलॉक की स्थिति में आ रहा है, वैसी स्थिति में भी अनूपपुर जिले में लॉक डाउन जैसी ही स्थिति है, तो इसके पीछे पसान नगर पालिका क्षेत्र के वह जिम्मेदार दोषी हैं, जिनके कंधे पर संक्रमण की चेन को तोड़ने और रोकने की जिम्मेदारी है। लेकिन अपनी घोर लापरवाही और कर्तव्यों के प्रति उदासीनता ने उन्हें कोरोना कैरियर बना दिया है। सवाल है कि जब आम आदमी सड़कों पर बिना मास्क के घूमता है तो प्रशासन सख्ती के साथ उस पर जुर्माना अधिरोपित करता है, परंतु जब जिम्मेदार ही नगर पालिका के कर्मचारी ही ऐसा करें और वह भी अपने जिम्मेदारी निभाने के क्रम में तो उन पर कार्यवाही कब और कैसे होगी और कौन करेगा कार्यवाही? यह एक यक्ष प्रश्न है जिस पर जिले की मुखिया कब और कैसे कार्यवाही करेंगी, इस पर आम जनता सहित कोरोना वारियर्स की भी नजर रहेगी, जबकि जिले की मुखिया स्वयं संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए बस्ती- बस्ती, गल- गली, शहर-दर-शहर और गांव में लगातार भ्रमण कर रही हैं, कार्य योजनाएं बना रही है। ताजा मामला पसान नगर पालिका द्वारा संचालित कोविड आइलेशन सेंटर का है, विदित है कि कोरोना कि पूरी लहर बीत जाने के बाद जिला कलेक्टर के दबाव में अंततः पसान नगरपालिका ने अपनी कुंभकरणी नींद तोड़ते हुए अंततरू स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में खानापूर्ति करने के लिए कोविड आइलेशन सेंटर बनाया और क्षेत्र के कुछ कोरोना संक्रमित मरीजों को बिना किसी बुनियादी सुविधा के लाकर सेन्टर मे रख दिया,और तो और फोटो सेशन कर दिखाने के लिए उनका स्वास्थ्य परीक्षण भी किया जाने लगा जो संभवत मात्र दिखावे के लिए और कोरम पूर्ति के लिए ही किया जा रहा था तभी तो जोश-जोश में नगर पालिका और स्वास्थ्य विभाग के यह तथाकथित योद्धा यह भी भूल गए कि किसी भी पॉजिटिव पेशेंट की नियमित स्वास्थ्य जांच के लिए बहुत सारे मानदंड भी तय हैं, हद तो तब हो गई जब यह बिना मास्क लगाए,बिना शोसल डिस्टेंसिंग का पालन किये संक्रमित मरीज को आइसोलेशन केंद्र के बाहर खड़ाकर उसका टेंपरेचर और ऑक्सीजन लेवल लेने में कम और फोटो खिंचवाने में ज्यादा लगे रंहें । यह ठीक है कि इनके मुताबिक जिले के उच्च अधिकारियों को फोटो भेज कर यह अपने कर्तव्यों से मुक्ति पा लेंगे और फिर से कुंभकरण की नींद सोने के हकदार हो जाएंगे और ऐसा इन्होंने किया भी। पर जोश जोश में ये योद्धा यह भी भूल गए की मास्क लगा के रखना कोरोना गाइड लाइन में हर किसी के लिए जरूरी है चाहे वह बाजार में हो या सड़क पर कहीं जा रहा हो या किसी के भी सम्पर्क में आ रहा हो,यहां तक की अनलॉक होने की स्थिति में पूर्व से ही कलेक्टर अनूपपुर के द्वारा जारी आदेश में दुकानदारों से यह कहा जा रहा है कि बिना मास्क के वह किसी ग्राहक को सामान तक ना दें। लेकिन यह वीर योद्धा कोरोना मरीजों के स्वास्थ की जांच तक करते समय मास्क पहनना तक जरूरी नहीं समझते और स्वयं अपनी फोटो वायरल कर क्या संदेश देना चाहते है ये योद्धा यह समझ से परे है। हद तो तब और हो गयी जब उच्याधिकारियों तक यह फोटो पहुँची तो इन फोटोज को अधिकारियों ने भी नजर अंदाज कर दिया। अब देखने वाली बात यह है कि संक्रमण के चैन को तोड़ने के लिए तत्पर जिले की मुखिया ऐसे लापरवाह और दिखावटी कर्मचारियों पर कोई कार्यवाही करती भी हैं या यूं ही कोरोना वारियर्स को कोरोना गाइडलाइन के नियमों को तोड़ने की खुली छूट मिलती रहेगी, और तमाम प्रकार के नियम कायदे कानून मात्र आम जनता पर ही लगाए जाएंगे शासन का एक ही मामले में यह दोहरा मापदंड क्यों?