
अमरकंटक। अमरकंटक देवभूमि अमरकंटक संतों की नगरी अमरकंटक आदिकाल से ही तपोस्थली के रूप में विख्यात नगरी है बाबा महाकाल ने जब विषपान किया था तो उनको शांति अमरकंटक में ही मिली इसलिए अमरकंटक को दुर्गम में तपोस्थली अमरकंटक भी कहा जाता है श्रावण काल में मां श्री नर्मदा का पवित्र जल भोले बाबा में चढ़ाने से विशेष फल प्राप्त होता है पवित्र नगरी में आज सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है मां नर्मदा के दर्शन प्रांत अमरकंटक के प्रमुख शिव मंदिरों में भक्तों के द्वारा पूजन पाठ किया गया नर्मदा मंदिर के दक्षिण दिशा में 500 मीटर की दूरी पर पातालेश्वर महादेव विराजमान है पहले सावन के सोमवार के समय मां गंगा जलाभिषेक करने आती थी परंतु कुछ वर्षों से अब ऐसा नहीं हो रहा श्रावण के समय मां नर्मदा का जल जो ज्वालेश्वर महादेव मैं चढ़ाने का जितना फल प्राप्त होता है उतना ही फल पातालेश्वर महादेव में जल चढ़ाने का होता है। 2021 श्रावण मास का पहला सोमवार में इस वर्ष ज्यादा कांवड़ियों का आगमन नजर नही आया जो पूर्व के वर्षो में दिखाई देता था,पर शिव भक्तों में कमी नही आई। नर्मदा नदी रामघाट में स्नान की ब्यवस्था ठीक न होने की वजह से पुराना स्नान स्थल का छोटा गेट खोल दिया गया है जिससे शिवभक्त स्नान कर पूजन अर्चन पश्चात मंदिरों में जाकर दर्शन लाभ ले सके। नर्मदा मंदिर में लोगो का दर्शन हेतु लंबी कतारें देखी गई। शिव मंदिरों में भी लोग भारी संख्या में पहुंचे। लोग नर्मदा जल ज्वालेश्वर महादेव जाकर जल अर्पण कर आशीर्वाद प्राप्त किये। मौसम भी बीच बीच मे जलाभिषेक करने की ढाने हुए है , रुक रुक कर बारिश भी हो रही है।