कहीं श्रमिक नेता को बदनाम करने की साजिश तो नही चल रही
कहीं श्रमिक नेता को बदनाम करने की साजिश तो नही चल रही

कहीं श्रमिक नेता को बदनाम करने की साजिश तो नही चल रही
सोशल मीडिया में भ्रामक एवं गलत जानकारियां की जा रही है पोस्ट
राजनगर कालरी l विगत कुछ दिनों से एसईसीएल उपक्रम की हसदेव क्षेत्र की सबसे बड़ी मजदूर यूनियन हिन्द मजदूर सभा के हसदेव क्षेत्र के महासचिव एवं कोल इंडिया लिमिटेड के सेफ्टी बोर्ड के सदस्य अख़्तर जावेद के विरोध में सोशल मीडिया में एक तूफ़ान सा हलचल लगातार चल रहा है ,वायरल पोस्ट में फ़र्जी नाम से भर्ती होना, उम्र में सुधार होना, गलत शैक्षणिक योग्यता और प्रबंधन के संरक्षण से भ्रष्टाचार सहित अन्य कई आरोप लगाए गए हैं, आरोप तो यह भी लगाया गया है कि सेवानिवृत्त होने वाले इस नेता के लिए इनके नाम पर चंदे की उगाही की जा रही है पर इसका दूसरा पहलू यह है कि जिस कामगार ने आरोप लगाया था उसी कामगार ने प्रबंधन को पत्र लिखकर इस बात का खंडन किया कि मुझसे पहले जबरदस्ती दबाव बनाकर कुछ यूनियन के लोगों ने अख्तर जावेद उस्मानी के खिलाफ शिकायत कराई थी मेरे द्वारा पहले की गई शिकायत फर्जी थी मैं इस बात के लिए माफी चाहता हूं, बयान से आप पूरे घटनाक्रम की गंभीरता को समझ सकते हैं कि यूनियन के अस्तित्व की लड़ाई और यूनियन एक दूसरे से पर्दे के पीछे से वार करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है, इन आरोपों को लगाने के लिए पर्दे के पीछे से कुछ दूसरे यूनियन के लोग कई प्रकार के हथकंडे अपना रहे हैं,जैसे गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के लेटर पैड पर फर्जी शिकायत, नवप्रभात आदिवासी समिति के लेटर पैड पर वही पुरानी शिकायते जो बिना किसी आधार के वर्षो से होती आ रही वही सारी शिकायते बार- बारघुमा फिरा के की जा रही हैं । शिकायतों की गंभीरता की छानबीन से जो पता चला वो कुछ ऐसा है कि
2002 में हसदेव क्ष्रेत्र में एक बडे़ मजदूर संगठन में विभाजन के बाद कई प्रमुख कार्यकर्ताओं के हिन्द मजदूर सभा की सदस्यता ग्रहण करने से सदस्यता मे पीछे जाने पर शिकायतों का यह दौर 2006 से शुरू हुआ। संगठन के शीर्षस्थ नेता ने अपने हस्ताक्षर से अख़्तर जावेद उस्मानी का असली नाम अकबर जावेद है इसकी शिकायत की जांच में किसी अकबर जावेद आत्मज एम. आई. उस्मानी नाम के ब्यक्ति का अस्तित्व सिद्ध नही हुआ हुआ ना ही शिक़ायत कर्ता ने बताया। इसके बाद आर. के. सिंह के नाम से शिक़ायत की गई पुलिस जांच में भी शिकायत तथ्य हीन पायी गई। विभिन्न फ़र्जी नामों से वर्षों से शिकायतें लगातार होती रही हैं। पुलिस को यह भी शिकायत की गयी कि हसदेव के वर्तमान और पूर्व क्षेत्रीय कार्मिक प्रबंधक व्ही.महाजन और एस. पी.दास के साथ बीएमएस यूनियन के नेता महेंद्र सिंह और अख़्तर जावेद उस्मानी के साथ तथा कथित डॉक्टर को गोली मारने उनके घर आये थे यह शिकायत भी झूठी पायी गयी। थाना झगड़ाखाण्ड जिला कोरिया में भी लगातार शिकायतें की गयी जिसकी जाँच दो बार थाना झगड़ाखाण्ड जिला कोरिया और बाद में एस.डी. ओ.पी. मनेंद्रगढ़ द्वारा भी की जा चुकी है। इस संबंध में एसईसीएल के कई अधिकारियों, ट्रेड यूनियन के कई प्रतिनिधियों और एसएसीएल के कई कर्मचारियों के विरुद्ध तथा कतिथ डाक्टर ने माननीय हाईकोर्ट मध्यप्रदेश में भी याचिका दायर की थी । जिस याचिका को माननीय उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया । तथाकतिथ डाक्टर की एमबीबीएस की डिग्री फ़र्जी पायी जाने पर इन्हें कोल इंडिया लिमिटेड के द्वारा बर्ख़ास्त किया गया है। गोड़वाना गणतंत्र पार्टी का लेटर पैड का गलत इस्तेमाल फर्जी तरीके से हो रहा है। अख़्तर जावेद उस्मानी की एस ई सी एल विभागीय जांच करा चुकी है जिस जांच में आरोप को गंभीर नहीं माना गया क्योंकि दर्ज आयु में कोई सुधार एस. ई.सी.एल.द्वारा नहीं किया गया ना हीं कोई लाभ पहुंचाया गया है। अब जब सेवानिवृत्ति का समय बहुत नजदीक आ गया है और तमाम विरोधी यूनियनों को यह लग रहा है कि वर्षों से लगातार शिकायतें होने के बावजूद किसी प्रकार की क्षति नहीं पहुंची है तो अंतिम अंतिम समय में यह अपनी पुरजोर कोशिश को भी आजमाइश के तौर पर आजमा रहे हैं । यही वजह है कि कोयला मजदूर सभा के श्रमिक नेता अख्तर जावेद उस्मानी के विरुद्ध तमाम प्रकार के फर्जी और मनगढ़ंत आरोप लगाए जा रहे हैं । कोयला मजदूर सभा के यूनियन लीडर के सूत्रों सुनील पांडेय ने पत्रकारों को बताया की हमारे वरिष्ठ नेता अख्तर जावेद उस्मानी के विरुद्ध कई प्रकार का षडयंत्र और चरित्र हनन का प्रयास पिछले 15 वर्षो से लगातार जारी है। मीडिया कर्मियो ने सूत्रों से पूछा कि आप के नेता के विरुद्ध तरह-तरह की खबरें सोशल मीडिया में प्रकाशित हो रही है तो उन बातों को संज्ञान में लेकर ट्रेड यूनियन के पदाधिकारियों ने उन बातों पर विस्तार से चर्चा करने की आवश्यकता बताते हुये हुए उपरोक्त जानकारियां दी । बदहाल स्थिति परिस्थिति चाहे जो भी हो पर मजदूर मजदूरों के हितों की रक्षा करने वाले मजदूरों के नेता गलत शिकायतों की वजह से आज खुद ही कठघरे में खड़े हैं और शिकायतों की जांच में केंद्रीय सतर्कता आयोग के मापदंडों का पालन किया जाना भी जरूरी है, मतलब बेनामी और झूठी शिकायतों पर कार्यवाही करने के पहले शिकायतकर्ता का सत्यापन कराया जाना भी आवश्यक है।