जिला मुख्यालय में कोढ़ की तरह फैल रहा सट्टे का कारोबार
खादी खाकी के संरक्षण में फल फूल रहा है अवैध कारोबार

राजेश सिंह
जिला मुख्यालय में जिस तरह से अवैध कारोबार का धंधा फल-फूल रहा है उससे इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिले के अन्य क्षे़त्रो में क्या स्थिति होगी जहां पर जिले के वरिष्ठ अधिकारी विराजमान हो, और उनके नाक के नीचे ही इस तरह की स्थिति निर्मित हो तो प्रशासन के कार्यप्रणाली का आकलन किया जा सकता है। कुल मिलाकर खादी और खाकी के संरक्षण में अवैध कारोबार जमकर फल-फूल रहा है।
अनूपपुर। जिला मुख्यालय की स्थिति दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है अवैध कारोबार करने वाले सीना ठोककर घूम रहे है और अपने कार्य को अंजाम दे रहे है इतना ही नहीं प्रशासन को जेब में रखने की दम भरते हुए चौराहो पर देखे जा सकते है और उनकी बातों में हकीकत भी नजर आनी लगती है जब यहां का अवैध कारोबार फलता-फूलता दिखाई देता है बीते सालो से बंद रहे सटटे के कारोबार के मकडजाल में पूरा मुख्यालय फंसा दिखाई दे रहा है। दोनो पहर जानकार सूत्रों की माने तो सटटे के कारोबार मे लाखो के वारे न्यारे हो रहे है और कार्यवाही शायद इसलिये नही हो रही कि जिनके कंधो पर इसका भार है वह भी तो बराबर के हिस्सेदार हैं। सूत्र बताते है कि बीते माह से इस कारोबार के दिन दुगनी रात चौगुनी गति से बढने के कारण लक्की की प्रफुल्लता देखते ही बन रही है, जबकि सटटा समाज में कोढ के रोग से भयानक माना गया है, फिर भी यहां क्यों पनप रहा है समझ के परे है।
चप्पे-चप्पे पर एजेंट
हर दिन जगह-जगह पर अवैध काम करने वाले अपने कार्य को अंजाम दे रहे है, लेकिन यहां तो खुलेआम चलने वाले सटटे के कारोबार में संलिप्त लोगों पर कार्यवाही यदा-कदा होती है जिसकी वजह से सरगना अपने कारोबार को दिन प्रतिदिन फैलाते जा रहे हैं, मुख्यालय के चारो ओर सामतपुर, स्टेट बैंक के पास, अमरकंटक तिराहा, पुरानी बस्ती के अलावा शंकर मंदिर चैराहे के इर्द गिर्द बकायदे दोनो पहर एजेंट तैनात रहते है और पुलिस उन्हें पकड नही पा रही है।
किस्मत भरोसे लग रहा है दांव
एक का अस्सी पाने की लालच में इस कारोबार से जुडे सूत्रों व खिलाडियो की माने तो यह खेल बहुत कुछ किस्मत पर निर्भर करता है। हरेक खेलने वाला व्यक्ति हांथ मलता रह जाता है, तो कुछ की किस्मत लक्की बन जाती है। शायद ऐसा ही कुछ हो रहा है तभी तो सटटे के यह कारोबार लगातार बढ रहा है, और कारोबार को बढाने के लिए तकनीकियों का भरपूर उपयोग किया जा रहा है। कार्य करने वाले लोगों को भी पूरी तकनीक से जोडकर रखा गया है, और वह पूरी वफादारी से अपना कार्य कर रहे हैं।
गिरफ्त में युवाओं का भविष्य
किस्मत के इस खेल के लालच में दिनों दिन युवा फंसते जा रहा है किसी कदर परिवार के भरण पोषण के लिए कमाने वाले भी एक दूसरे के कहने पर अपनी किस्मत आजमा रहे है। एकाद बार मिलने के बाद उनका लालच बढ़ जाता है और फिर लगातार दांव लगाने के बाद वह हांथ मलते रह जाते है। सटटे मे अंक लगाने के लिए युवाओं के आस पास प्लानिंग के तहत एजेंट पहुंंचते है और आज इक्का ओपन तो चैआ क्लोज आयेगा कहकर दांव लगाने के लिए उन्हें तैयार कर लेते है और समय बीतते ही युवा पछताने के अलावा कुछ नही पाता।