अनूपपुर

बैंक कार्यप्रणाली से उपभोक्ता हो रहे परेशान

स्टेट बैंक कोतमा कालरी में अव्यवस्था का आलम

राजेश सिंह 

अनूपपुर lदेश की सबसे बड़ी बैंकिंग संस्था एसबीआई है जिसमें देश भर के लोगों का अटूट विश्वास है इसी विश्वास से बैंक में खाता खोलने के लिए एसबीआई का ही नाम पहले आता है लेकिन एसबीआई शाखा कोतमा कालरी में विगत दो चार वर्षों से यहां के खाताधारकों की समस्या बढ़ती ही जा रही है जिसका प्रमुख कारण है यहां के बैंक कर्मचारियों का रवैया यहां के खाता धारक ग्राहक ना होकर केवल बैंक के लिए जैसे भीड़ का हिस्सा हैं जिनका काम करके यह उन पर कोई एहसान कर रहे हैं
वर्तमान समय पर जब से नए शाखा प्रबंधक आए हैं तब से तो बैंक का और भी बुरा हाल है बैंक के कर्मचारी खुद को भगवान समझ बैठे हैं खाताधारक अपनी समस्याओं को लेकर गिड़गिड़ाते रहते हैं और यह कर्मचारी इन खाताधारकों को नियम कानून का पाठ पढ़ाते हैं बैंक में ना तो वरिष्ठ नागरिकों के लिए कोई सुविधा है और ना ही महिलाओं के लिए यहां के पेंशन धारक अपनी पेंशन के लिए भी परेशान होते हैं।
वही आम लोगों को अपने छोटे छोटे काम के लिए घंटों लाइन में खड़ा होना पड़ता है बैंक से निकासी के लिए लोगों को कियोस्क भेजा जाता है बचत खाता में कोई रकम जमा नहीं की जाती ग्रीन चैनल एटीएम जाने की बात कह दी जाती है।

जब इन कर्मचारियों को काम नहीं करना होता तो लिंक फेल का बोर्ड लगाकर नदारद रहते हैं ग्राहक एक काउंटर से दूसरे काउंटर भटकता रहता है लोगों की भीड़ लगी रहती है कर्मचारी बड़े आराम से अंदर बाहर घूमते रहते हैं।

बैंक में कालरी कर्मचारियों के अलावा व्यापारी व बड़ी संख्या में आसपास के ग्रामीण क्षेत्र के खाता धारक हैं जिनमें कुछ कम पढ़े लिखे वह साधारण लोग हैं जिन्हें ज्यादा नियम कानून की जानकारी नहीं है और जब यह कुछ जानकारी या सहायता चाहते हैं तो इन्हें दुत्कार मिलता है यहां के ग्राहकों के साथ दुश्मनों जैसा व्यवहार यहां के कर्मचारी करते हैं।

दलालों का बैंक

इस शाखा में शायद ही कोई ग्राहक हो जो यह कहे कि उसे बैंक में ग्राहक जैसा व्यवहार किया जाता हो क्योंकि यह शाखा बैंक दलालों के नाम से जाना जाता है जिस नियम कानून की बात बता कर आम ग्राहकों को उलझाया जाता है वहीं जब दलालों की बात आती है तो उनके लिए सारे नियम कानून धरे के धरे रह जाते हैं बैंक में बिना ग्राहक के निकासी से लेकर ग्राहकों के खातों की जांच पड़ताल कितना वेतन आया कितना बचा क्या पैसा जमा हुआ दलालों को सब कुछ मिल जाता है वहीं यदि कोई ग्राहक अपने घर परिवार पत्नी या बुजुर्ग का किसी तरह की निकासी चाहे तो नहीं होगा लेकिन यहां दलालों के द्वारा केवल विड्रावल पर ही पैसे मिल जाएंगे दलालों द्वारा ग्रीन चैनल से किसी का भी भुगतान ले ले लेकिन ग्राहक अपने पत्नी के एटीएम से ग्रीन चैनल के माध्यम से पैसे नहीं ले सकता

शाम 4:00 बजते ही मुख्य गेट में ताला लग जाता है आम लोगों की सेवा अवधि समाप्त हो जाती है लेकिन दलालों की सेवा अवधि देर रात तक चलती रहती है जानकारों की मानें तो बैंक कर्मी ही दलालों को प्रोत्साहित करते हैं जिससे उन्हें लाभ जो मिलता है जब ग्राहकों का कार्य नहीं होता तो बेचारे दलालों के पास जाने विवश होते हैं तब वही काम बड़ी आसानी से हो जाता है ।

बैंक में पानी तक नहीं

नगर के इस एकमात्र बैंक में ग्राहकों का कितना ख्याल रखा जाता है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस बैंक शाखा में ग्राहकों को पीने का पानी भी मुहैया नहीं होता पूरे बैंक परिसर में कहीं भी पानी की व्यवस्था नहीं है लोगों को बैंक के बाहर कालरी की कैंटीन में पानी पीने जाना पड़ता है ।

बैंक में ग्राहकों को होने वाली समस्या पर नवागत प्रबंधक भी ध्यान नहीं दे रहे जबकि इसके पूर्व भी शाखा प्रबंधकों द्वारा आम लोगों को सुविधा के लिए कई तरह से कर्मचारियों को काम बांटा गया था लेकिन वर्तमान समय पर वह सारा सिस्टम बंद कर दिया गया है जिससे लोगों की समस्याएं कम होने की बजाय बढ़ती ही जा रही है और यही कारण है कि अब बैंक में आए दिन बाद विवाद लड़ाई झगड़ा भी होने लगा है ।
हालांकि बैंक में एक-दो कर्मचारी ऐसे भी हैं जिनका लोग सराहना करते हैं जबकि कुछ स्टाफ तो ऐसा है जो कि कुछ कहने या बात करने पर बदले की भावना से काम करते हैं यह सीधी तरह से ग्राहकों से बात भी नहीं करते उन्हें लगता है कि ग्राहक इनके हाथ पैर जोड़ें तो ठीक है।
वह तो गनीमत है कि बैंक जैसी अति संवेदनशील संस्था है जहां ग्राहक सब कुछ सह कर भी शांत रहता है वहीं ग्राहकों की उनकी विवशता है कि यहां कोई दूसरा बड़ा बैंक नहीं है ।

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