अनूपपुर

पौधे लगाए ही नही बल्कि बचाये भी

बिजुरी/बरसात की शुरुआत के साथ ही दैनिक समाचार पत्रों में आए दिन ऐसे फोटो दिखाई पड़ते हैं जिनमें कुछ समूह या सामाजिक संस्थाएं पौधारोपण करते नजर आते हैं । बरसात की शुरुआत के साथ ही दैनिक समाचार पत्रों में आए दिन ऐसे फोटो दिखाई पड़ते हैं जिनमें कुछ समूह या सामाजिक संस्थाएं पौधारोपण करते नजर आते हैं । इस मौसम के आते ही पौधारोपण आयोजनों की उत्सवधर्मिता हर साल अपने चरम पर होती है। बीते साल अकेले मध्यप्रदेश में ही 50 लाख लोगों ने करीब ६करोड़ पौधे लगाने का रिकॉर्ड बनाया था। लेकिन बाद में इनमें से कुछ पौधे ही पेड़ बन पाए। ज्यादातर पौधे पनपने से पहले ही समाप्त हो गए। आजकल सामाजिक संस्थाएं और सरकार हजारों पौधे रोपते हुए अखबारों में फोटो छपवाती है। उनका उद्देश नन्यानवें प्रतिशत तक सिर्फ दिखावा होता है। पौधा किसने और कहां लगाया उसे लगाने वाले को ही पता नहीं होता है। फोटो छपने के बाद कभी कोई उन पौधों की ओर झांक कर भी नहीं देखता कि वह बाद में जीवित रहे या पानी के अभाव में खत्म हो गए अथवा गाय बकरी उन्हें खा गई। वैसे पौधारोपण किसी तरह का उत्सव या ब्रांडिंग नहीं है। हमारे पूर्वजों ने हजारों सालों से पौधे लगाए और उन्हें सहेजा है। किंतु हमारी पीढ़ी में हजारों सालों से पनपी इस बेशकीमती वन संपदा को बीते कुछ दशकों में बुरी तरह से लूटा-खसोटा और नष्ट कर दिया है। अब समय आ गया है जागने और जगाने का हाल ही में व्हाटसप और फेसबुक के माध्यम से एक संदेश बहुत ही प्रसारित हो रहा है कि “आप जो भी फल खाए उसके बीज कूड़ेदान में नहीं डालें बल्कि संभाल कर रखें और बरसात के दिनों में जब कहीं घर से बाहर ट्रेन या कार से यात्रा करें तो उन बीजों को कच्ची जमीन पर डालते जाए। मौसम के प्रभाव से वह स्वतः ही अंकुरित होंगे और वृक्ष भी बनेंगे और आगे आने वाली पीढ़ियों को आप हरा-भरा फलदार जंगल सुपुर्द कर सकेंगे।” यह संदेश निश्चित रूप से दमदार है और हम सभी को इसे अपनाना चाहिए। वैसे तो बरसात मैं पौधे लगाना और उन्हें सहेजना सरकार या कुछ संस्था की परिधि तक सीमित नहीं है बल्कि ये तो समाज में मनुष्य की बुनियादी चिंता में शामिल होना चाहिए। एक पेड़ एक साल में पॉच हजार लीटर पानी रोक पाने में सक्षम है। इसलिए सिर्फ फोटो खिंचवाने के लिए पौधे लगाने वाले दिखावे से बचना होगा। सरकार के भरोसे बैठे रहने से कुछ नहीं होगा। समाज को भी अपनी कमर कसनी होगी, तभी तस्वीर सचमुच बदल पाएगी। इसलिए आवश्यक है कि हर साल बारिश में बड़ी तादाद में पौधरोपण हो और उन्हें पेड़ बनने तक संरक्षित भी किया जाए तभी वृक्षारोपण अभियान सफल हो पाएगा और हम आने वाली पीढ़ियों को एक शुद्ध पर्यावरण और शुद्ध वातावरण दे पाएगे।

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