
नियम कायदे कानूनों को ताक पर रखकर किया जा रहा मीना बाजार का संचालन
राजननगर कालरी। जिले के अंतिम छोर पर बसे राजनगर कोयलांचल के न्यू राजनगर में दशहरा पर्व को देखते हुए मीना बाजार का संचालन किया जा रहा है संचालक के द्वारा सारे नियम ,कायदा और कानूनों को ताक पर रखकर मीना बाजार का संचालन किया जा रहा है ,वही संचालक द्वारा लिए गए सारे अनुमति प्रमाण पत्र संदेह के घेरे में भी हैं, जहां सबसे पहले समस्या वन विभाग की आती है जिसके बिना परमिशन के वन विभाग की जमीन पर मीना बाजार का संचालन जांच का विषय है इस संबंध में चर्चा यह है कि वन विभाग की जमीन पर मीना बाजार के संचालन की सूचना पर कार्यवाही हेतु विभाग का पूरा अमला पहुंचता है, किंतु ना जाने कौन सी ऐसी स्थिति बनी कि सब कुछ गलत होने के बाद भी सब कुछ सही हो गया, इस संबंध में कुछ लोगो के द्वारा शिकायत करने के पश्चात एसडीओ अनूपपुर द्वारा उक्त मीना बाजार संचालन एवं विभाग के जमीन को लेकर जांच करने का आदेश राजनगर क्षेत्र के डिप्टी रेंजर टीडी नापित को दी गई और जानकारों की माने तो जो जमीन पहले वन विभाग की थी उसे अब कालरी की लीज की जमीन एवं ग्राम पंचायत के वना अधिकार की जमीन होने की बात बताकर मामले को रफा दफा करने का प्रयास किया जा रहा है ,जबकि पंचायत के विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिस जमीन पर पंचायत का वनाधिकार है उस जमीन से हटकर वन विभाग की जमीन पर मीना बाजार का संचालन किया जा रहा है जो जांच का विषय है। वही दूसरी अनुमति मीना बाजार संचालक द्वारा ग्राम पंचायत से ली गई है जो भी संदेह के घेरे में है बताया जाता है कि मीना बाजार संचालक द्वारा कुछ दलालों के माध्यम से सरपंच के भोलेपन का फायदा उठाते हुए हस्ताक्षर करवा कर उसे ही अपना परमिशन बताया जा रहा है, जबकि अनुमति प्रमाण पत्र पर ग्राम पंचायत के सचिव का हस्ताक्षर होना चाहिए जो नहीं है,वही अनुमति प्रमाण पत्र के बदले ग्राम पंचायत को फीस चुकानी पड़ती है जिसे भी ग्राम पंचायत में जमा नहीं कराया गया है वही अनुमति प्रमाण पत्र के रुप मैं इनके द्वारा कालरी प्रबंधन का अनापत्ति प्रमाण पत्र दिखाया जा रहा है वह भी जांच के घेरे में क्योंकि जानकारों की माने तो लीज ली हुई जमीन पर अनापत्ति प्रमाण पत्र देने का अधिकार कालरी प्रबंधन को नहीं है तो कालरी प्रबंधन के किस अधिकारी द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किया गया ये भी जांच का विषय है कुल मिलाकर मीना बाजार का संचालन एवं उसके द्वारा लगाया गया सारा प्रमाण पत्र जांच एवं संदेह के दायरे में आता है सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि जब पंचायत के प्रमाण पत्र सचिव का हस्ताक्षर नहीं हुआ एवं पंचायत को किसी रूप में कोई भी राशि नहीं जमा कराई गई तो मीना बाजार का संचालन पंचायत क्षेत्र में किस अधिकार से किया जा रहा है जो जांच का विषय है कुल मिलाकर मीना बाजार संचालक द्वारा सारे विभागों को गुमराह कर मीना बाजार का संचालन किया जा रहा है जो कहीं ना कहीं प्रशासन के नतमस्तक होने की बात को साबित करता है, और यदि वन विभाग कहता है कि यह वन विभाग की भूमि नहीं है तो आज से पहले इन क्षेत्रों में वन विभाग के नाम पर जो डंडा चलाया गया है वह सिर्फ अवैध उगाही के लिए ही चलाया गया था ऐसा ही प्रतीत हो रहा है।