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*कोल इंडिया बोर्ड का जमीन के बदले नौकरी ना देकर किस्तों में मुआवजा देने का फैसला बेहद दुर्भाग्यपूर्ण*- *कॉमरेड हरिद्वार सिंह*

*कोल इंडिया बोर्ड का जमीन के बदले नौकरी ना देकर किस्तों में मुआवजा देने का फैसला बेहद दुर्भाग्यपूर्ण*- *कॉमरेड हरिद्वार सिंह*
संतोष चौरसिया

अनूपपुर जमुना कोतमा कोल इंडिया ने जमीन के बदले अब नियोजन की जगह किश्तों में राशि देने का नया विकल्प पेश किया है. इसे लेकर कंपनी ने नयी योजना का खाका जारी कर दिया है। 25 अगस्त को कंपनी बोर्ड की बैठक में तय नए योजना के अनुसार, जमीन के बदले नियोजन की बजाय अब मासिक किश्तों में मुआवजा भुगतान का प्रावधान किया गया है।

एसकेएमएम (एटक) के केंद्रीय महामंत्री कामरेड हरिद्वार सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार के इशारे पर कोल इंडिया भूविस्थापितों को नौकरी से वंचित रखना चाह रही है। निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए और अपने फायदे के लिए किसानों को बर्बाद करने की कोशिश केंद्र सरकार कर रही है। सरकार किसानों पर लगातार हमला कर रही है. कौड़ी के भाव में पहले भी किसानों की जमीन ले ली गयी। नौकरी देने के नाम पर टालमटोल का रवैया अपना रही है। यह भूविस्थापितों के साथ बहुत बड़ा धोखा है। केंद्र सरकार कई कोल ब्लॉक निजी हाथों में सौंप चुकी है और आगे भी सौंपने की योजना बनायी जा रही है। पहले से भी संचालित खदानों को भी बंद करने की साजिश हो रही है। केंद्र सरकार पब्लिक सेक्टर व सरकारी संस्थाओं को बर्बाद कर रही है और पूंजीपतियों के हाथ बेचना चाह रही है। हम इस नीति को बर्दाश्त नहीं करेंगे। एटक इस नीति का पूरी ताकत से विरोध करेगा। पूरे कोल इंडिया में व्यापक स्तर पर इसका विरोध किया जाएगा। आवश्यकता हुई तो उत्पादन और डिस्पैच भी बंद किया जाएगा

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