कमिश्नर के आदेश का नहीं हो रहा पालन ,बंद पड़ा खदान का उत्पादन
कमिश्नर के आदेश का नहीं हो रहा पालन ,बंद पड़ा खदान का उत्पादन

कमिश्नर के आदेश का नहीं हो रहा पालन ,बंद पड़ा खदान का उत्पादन
हजारों मजदूरों का भविष्य लगा दांव पर
राजेश सिंह
अनूपपुर जिले के राजस्व की रीढ़ माने जाने वाली एसईसीएल जमुना कोतमा क्षेत्र की खुली खदान आमाडांड कोयला परियोजना का अचानक बंद हो जाना और जिला प्रशासन का आंख कान बंद कर लेना समझ से परे है तो वहीं दूसरी तरफ हजारों कालरी कर्मचारी और ग्रामीण क्षेत्र के मजदूरों का भविष्य दांव पर लगा हुआ है बात कमिश्नर और प्रदेश के मुख्यमंत्री तक पहुंची लेकिन मुख्यमंत्री के निर्देश और कमिश्नर के आदेश का पालन जिला प्रशासन करता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है जिसके कारण से जमुना कोतमा क्षेत्र की आमाडांड खुली खदान परियोजना आज भी बंद पड़ी हुई है यदि यही आलम रहा तो यहां के भविष्य का सूर्यास्त हो जाएगा।
अनूपपुर । एसईसीएल जमुना कोतमा क्षेत्र की खुली खदान परियोजना आमाडांड मिट्टी हटाने का कार्य पिछले 12 अगस्त 2022 से और कोयला उत्पादन का कार्य 5 अक्टूबर 2022 से इस कारण बंद हो गया कि वहां पर कुछ स्थानीय पात्र और अपात्र किसान मिलकर खदान का संचालन करने में व्यवधान उत्पन्न कर रहे हैं पहले तो एसईसीएल जमुना कोतमा क्षेत्र का प्रबंधन ऐसे लोगों को समझाने का प्रयास किया लेकिन जब पानी सर से ऊपर निकल गया तो यह मामला जिला प्रशासन तक पहुंचा लेकिन मामले को लेकर जिला प्रशासन का सहयोग प्राप्त न होने के कारण खदान का संचालन पूरी तरह से बंद हो गया और अब यहां पर हजारों मजदूरों के ऊपर रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है तो वही एसईसीएल प्रबंधन पत्राचार से लेकर जिला प्रशासन से खदान संचालन किए जाने हेतु सकारात्मक सहयोग की अपेक्षा कर रहा है लेकिन अभी तक इस ओर कोई पहल होती दिखाई नहीं दे रही है जिसके कारण से यहां से राज्य सरकार को प्राप्त होने वाला प्रतिदिन 29 लाख 87 हजार के राजस्व हानि हो रही है तो वही एसईसीएल प्रबंधन को भी बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंच रहा है।
कमिश्नर का आदेश हुआ बेअसर
जमुना कोतमा क्षेत्र की आमाडांड खुली खदान परियोजना हेतु अधिग्रहित ग्राम पंचायत निमहा कुहका की 699.942 हेक्टेयर भूमि एवं 651 मकानों का अर्जन भू अर्जन वर्ष 2004 एवं 2006 में किया गया था ,40 लाख टन प्रति वर्ष क्षमता की आमाडांड खुली खदान कोयला परियोजना संचालित है इस परियोजना के संचालन में कुछ पात्र तो कुछ अपात्र लोग मिलकर व्यवधान उत्पन्न कर रहे हैं जिसकी जानकारी शहडोल कमिश्नर राजीव शर्मा को मिलने के बाद उन्होंने अपने पत्र क्रमांक 3674 दिनांक 6/9 /2022 को अनूपपुर कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक को पत्र प्रेषित करते हुए खदान का संचालन शीघ्र करवाने और व्यवधान उत्पन्न करने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही के आदेश जारी किए लेकिन कमिश्नर का आदेश का पालन आज तक होता दिखाई नहीं दे रहा है और खदान का संचालन पूरी तरह से बंद पड़ा हुआ है।
स्थानीय ग्रामीणों ने सौंपा पत्र
आमाडांड खुली खदान परियोजना के बंद पड़े उत्पादन कार्य को चालू कराने हेतु ग्राम पंचायत निमहा कुहका के स्थानीय ग्रामीणों ने 12 अक्टूबर 2022 को अनूपपुर कलेक्टर एवं 13 अक्टूबर 2022 को शहडोल कमिश्नर के कार्यालय में पहुंचकर ज्ञापन के माध्यम से खदान का संचालन शीघ्र चालू किए जाने की मांग और दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही किए जाने की मांग की गई थी अन्यथा 15 अक्टूबर 2022 से धरना प्रदर्शन की चेतावनी दी गई थी जिसके बाद जिला प्रशासन थोड़ा सा हरकत में आया और 14 अक्टूबर 2022 को कोतमा एसडीएम एसडीओपी तहसीलदार और स्थानीय प्रशासन के कुछ अधिकारियों के साथ बैठक कर समस्या का समाधान किए जाने पर विचार मंथन किया गया लेकिन इसके बाद कोई कार्यवाही आगे नहीं हुई और खदान आज भी बंद पड़ा हुआ है पुलिस प्रशासन एवं राजस्व विभाग के प्रशासनिक अधिकारियों का सहयोग ना मिल पाना और एक दूसरे पर जिम्मेदारी का बोझ लादने का प्रयास किया जा रहा है जिसके कारण देश के विभिन्न हिस्सों में संचालित विद्युत संयंत्र कोयला उत्पादन ना होने के कारण प्रभावित हो रहे हैं ऊर्जा वृद्धि के साथ ही आर्थिक क्षति का दोहरी मार केवल जिला प्रशासन की हठधर्मिता के कारण दिखाई दे रहा है।
मुख्यमंत्री ने भी दिए थे निर्देश
एसईसीएल जमुना कोतमा क्षेत्र की खुली खदान परियोजना आमाडांड देश एवं प्रदेश में संचालित विद्युत संयंत्र के संचालन एवं सरकार के राजस्व की रीढ़ के तौर पर किस तरह से महत्वपूर्ण है इस बात का अंदाजा मुख्यमंत्री के निर्देश से लगाया जा सकता है जब उन्होंने कुछ दिनों पहले वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जिला प्रशासन को आमाडांड खुली खदान परियोजना के शीघ्र संचालन हेतु निर्देश दिए थे लेकिन उनका भी निर्देश का पालन होता दिखाई नहीं दे रहा है ऐसी स्थिति में जिला प्रशासन पर सवाल खड़ा होना लाजमी है बताया जाता है कि जिन ग्रामीणों के द्वारा खदान संचालन किए जाने की आवाज उठाई गई उन ग्रामीणों को निशाना बनाकर उनकी आवाज को दबाने का प्रयास प्रशासन द्वारा किया जा रहा है ऐसी स्थिति में खदान का संचालन कैसे संभव हो पाएगा यह अपने आप में एक बड़ा सवाल है