
भ्रष्टाचार और अनियमितता की मिल रही थी शिकायत
राजेन्द्रग्राम। 4 नवम्बर 2019 को पत्र जारी कर रामयश शर्मा से प्रबंधक पद का अधिकार छीन कर अयोध्या प्रसाद मिश्रा शाखा प्रबंधक जिला सहकारी केंद्रीय बैंक को तत्काल प्रभार दिलाये जाने हेतु डी.के. श्रीवास्तव प्रशासक के उपस्थिति में आदेश पारित हुआ है अब देखना यह है कि श्रीवास्तव अपने चहेते शर्मा को प्रभार दिलवा पाते है या उक्त आदेश पर गुणा भाग लगाकर पुनः शर्मा को अभयदान दे देते है और उक्त आदेश को दबाकर अपनी रोटी सेक लेते है।
अंगद की भांति जमाये हुए है पांव
राजेन्द्रग्राम आदिम जाति सेवा सहकारी समिति के प्रबंधक रामयश शर्मा जो आये दिन नये-नये कारनामे एवं भ्रष्टाचार करने में महिर जो कागजी कूट रचना कर बैजनाथन की दुहाई देकर अपने ही हस्तलिपि से अपना फर्जी प्रमोशन कर प्रबंधक के पद पर विगत 10 वर्ष से कब्जा जमाए बैठे थे, जबकि इनका मूल पद एलबीएम है इन्हें फील्ड में कार्य करने हेतु रखा गया था संस्था में इनसे भी ज्यादा सीनीयर कर्मचारियों के रहते हुए भी उन्होंने नियम विरुद्ध तरीके से बोर्ड के अध्यक्ष से मिलीभगत कर अपना नाम प्रस्तावित कर अनुमोदन कराकर मुहर लगवा लिया और प्रबंधक के पद पर आसीम हो गये और विगत 10 वर्षों से अंगद की तरह पैर जमाए बैठे रहे।
करोड़ो का भ्रष्टाचार पर निष्पक्ष हो जाँच
लैम्पस प्रबंधक रामयश शर्मा के खिलाफ आयेदिन भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे और विभिन्न राजनैतिक दल के लोगो ने शासन-प्रशासन को ज्ञापन सौपे गए। किसान लामबंद होकर सड़क पर उतर गए, परन्तु प्रबंधक के सामने शासन-प्रशासन ने घुटने टेक दिए अपने राशूक और राजनैतिक संरक्षण प्राप्त प्रबंधक संस्था के करोड़ो रूपये की होली खेल डाली। नियम कानून को दरकिनार करते हुऐ सीधा अपने परिवार वालो को लाभ पहुँचाया। संस्था की आरक्षित 05 दुकानों का बगैर नीलामी कराये अलग-अलग व्यक्तियों के नाम एलाट कर उक्त दुकानों की भीतरी व पीछे की दीवार तोड़ कर दस दुकानों में अपने पुत्र के नाम मोटर सायकल एजेंसी का भव्य शोरूम संचालित करवा दिया। गौड़ खनिज मद से स्वीकृत 25 लाख का भवन बगैर टेंडर कराये अपने पुत्र के निजी फर्म मल्टी शेल्युसन को देकर गुणवत्ता विहीन कार्य करवाया जाकर मनमाना चेक काट दिया गया। 3 वर्ष पूर्ण हो जाने के बाद भी उक्त बिल्डिंग आज भी अपूर्ण पड़ी है नीलम की गई दुकानों के सामने संबंधित दुकानदार स्वयं के व्यय से शेड निर्माण कराये गए थे जिनके नाम प्रबंधक द्वारा शहीद बेल्डिंग वक्र्स के नाम फर्जी बिल बाउचर तैयार कर एक ही काम का दो बार शासकीय खजाने से आहरण कर लिया गया।
गबन खयानत के आरोप पर हुआ था सेवा समाप्त
विगत 18 वर्ष पूर्व रामयश शर्मा द्वारा संस्था में रहकर गबन खयानत किया गया था जिसकी शिकायत पर जांच उपरांत इनके विरूद्ध रिकवरी निकाल कर इनकी सेवा समाप्ति के ऑर्डर किये गए थे लगभग 10 वर्ष बाद पुनः बहाल होकर आए शर्मा द्वारा पद पर आते ही शातिराना तरीके से अपना जल बिछाकर फिर हेरा-फेरी करना शुरू कर दिया। जिसकी शिकायत पर तत्कालिक एसडीएम फटिंग राहुल हरिदास ने खाद्य निरीक्षक से जांच कराया। जिसमे शर्मा से जबाब चाहा गया जिसमें प्रबंधक द्वारा तर्कहीन जबाब दिया गया। जिसमें 163 क्विंटल चावल की कालाबाजारी किये जाने पर आयुक्त को 19 जून 2015 को प्रतिवेदन भेज कर बताया गया कि इनके द्वारा खाद्यान का उपयोजन किया जा रहा है अतः इन्हें तत्काल हटाये जाये जिससे क्षेत्र में सार्वजनिक वितरण प्रणाली सुचारू रूप से संचालित हो सके।
विधानसभा में भी गूंजा था मामला
क्षेत्रीय विधायक फुन्देलाल सिंह मार्को ने 07 दिसंबर 2015 को तारांकित प्रश्न क्रमांक 310 में मामला उठाया की लैम्पस प्रबंधक रामयश शर्मा द्वारा किये गए। खाद्यान घोटाले पर एसडीएम द्वारा भेजे गए प्रतिवेदन पर क्या कार्यवाही हुई तब विभागीय मंत्री विजय शाह द्वारा जबाब दिया गया कि उपायुक्त सहकारिता अनूपपुर ने महाप्रबंधक जिला सहकारी केंद्रीय बैंक शहडोल को लीड प्रबंधक राजेन्द्रग्राम को तत्काल पद से पृथक करने हेतु पत्र भेज दिया गया है चार वर्ष बीत जाने के बाद भी उक्त पत्र में कोई कार्यवाही नही हो सकी। उक्त पूरा मामला घूम फिर कर चार वर्षों से अपर कलेक्टर न्यायालय में धूल कहा रहा है।
सीईओ के संरक्षण में भ्रष्टाचार
विगत कई वर्षों से सीईओ के पद पर कार्यरत डी.के. श्रीवास्तव जिन्हें न तो अनूपपुर जिले का मोह छूट रहा है और न ही राजेन्द्रग्राम लैम्पस का जो बोर्ड भांग होने के बाद स्वयं प्रशासक पद पर बने हुए है जिन्होंने श्री शर्मा की शिकायतों की अनेको बार जांच की और कूटरचना रच कर कागजी खानापूर्ति कर अपना उल्लू सीधा किया जाकर श्री शर्मा को निर्दोष सिद्ध कर अभयदान दिया जाता रहा है। अनूपपुर से ट्रांसफर होने के बाद इन्होंने अपने आकाओं के चरण वंदन कर पुनः अनूपपुर वापसी करा लिया आखिर क्या है राज।
फर्जी के सीसी तैयार कर निकले लाखो रुपये
पुलिस अधीक्षक अनूपपुर के समक्ष 05 जून 2019 को क्षेत्र के किसानों ने न्याय की गुहार लगाते हुए लैम्पस प्रबंधक पर आरोप लगाते हुए सामूहिक रूप से लिखित शिकायत दर्ज कराए की श्री शर्मा द्वारा हैम लोगो को बुलाकर कहा कि सरकार द्वारा आप लोगो के ऋण माफ कर दिए गए है आप लोग अपना अपना ऋण पुस्तिका जमा कर दो और इन कागजो में अंगूठा दस्तखत कर दो और कुछ दिनों बाद जब ऋण पुस्तिका लेजाकर देखा गया तो सभी ऋण पुस्तिका में नया केसीसी तैयार कर कर्ज चढ़ा दिया गया था जो हम लोगो को न तो दिया गया और न ही बताया गया इस तरह से सैकड़ो किसानों के साथ धोखाधड़ी कर लाखो रुपये की हेराफेरी कर ली गई है जिस पर आज तक कोई कार्यवाही नही हो सकी।
मजदूरो की जमा पूंजी नहीं हुई वापिसी
मनरेगा योजना जब संचालित हुई थी तब हजारो मजदूरों के खाते लैम्पस में खोले गए थे जिसमें मजदूरों की मजदूरी की राशि जमा होती थी बाद में सभी मजदूर के खाते अन्य बैंको में खोल दिये गए जिसमे जमा राशि करोड़ो रुपये आज तक उन मजदूरों को वापिस नही किया गया। आखिर कहा गई ओ जमा राशि जिसका कोई पता रता नही है इसी तरह किसानों के संस्था में जमा धरता राशि नीलामी की गई दुकानों की अमानत राशि का भी कोई हिसाब नही है।
कैशबुक में क्या है राज
जब भी अनियमितता या भ्रष्टाचार की शिकायत की जांच करने कोई भी अधिकारी जाते है तो लैम्पस प्रबंधक द्वारा कैशबुक ही नही दिखाया जाता है और गोलमोल जबाब देकर रफू चक्कर कर दिया जाता है जिससे भ्रष्टाचार उजागर न हो सके।