अनूपपुर

इंदिरा गांधी विश्‍वविदयालय के प्रोफेसर के विरूद्ध मामला हुआ पंजीबद्ध

विद्यार्थी परिषद ने प्रोफेसर के खिलाफ सौंपा ज्ञापन

रिपोर्टर@देवानंद विश्‍वकर्मा

अनूपपुर। विश्वविद्यालय में अध्ययनरत छात्रा के साथ छेड़खानी तथा अन्य आरोपों के मामले में विश्वविद्यालय के प्रोफेसर के खिलाफ अमरकंटक थाने में अपराध पंजीबद्ध किया गया है जिले के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजाति विश्वविद्यालय मारपीट,घोटाले ,एवं अन्य मामले में चर्चित एवं सुर्खियों में रहा है देश भर से आये छात्र कब किसका शिकार हो जाये इसकी गारंटी नही है इसकी जिम्मेदारी यू तो कुलपति की होती है परंतु ऐसा लग रहा है मानो कुलपति ने पूरे यूनिवर्सिटी को मट्टी पलित करने का काम किया है।

मामला हुआ पंजीबद्ध

विश्वविद्यालय की छात्रा ने अपने शोध निदेशक पर गंभीर आरोप लगाया है जो चौकाने वाला है अपने प्रोफेसर शोध निदेशक के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी जिस पर पुलिस ने धारा 354,354क 509, 506 मामला पंजीबद्ध कर लिया है। छात्रा देवलाल सिंह की पुत्री निवासी पोखरा,तहसील बरही,जिला सीधी की निवासी हैजो कि अनुसूचित जनजाति जाति की है।और वह उक्त विद्यालय में अंग्रेजी एवं विदेशी विभाग में पीएचडी शोध कर्ता छात्रा है जो डॉ संतोष सोनकर के निर्देश पर शोध का कार्य करती है।29 जुलाई 2019 को संतोष सोनकर को शोध निदेशक के रुप मे नियुक्त किये गये।जब से शोध निदेशक नियुक्त किये गये तब से लगातार छात्रा के साथ छेड़खानी कर रहे है। छात्रा इनकी हरकतों से तंग आकर पूरी कहानी अपने परिजनों को बताई जिस पर परिजनों ने इसकी शिकायत इस विद्यालय प्रबंधन तथा पुलिस विभाग को की थी इस पूरे मामले की खबर समाचार पत्रों में भी लगातार सामने आ रही थी पुलिस प्रशासन ने मामले को देखते हुए आरोपी प्रोफेसर के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध किया है।

अभावि परिषद ने सौंपा ज्ञापन
वहीं अब इस मामले को लेकर छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक की शोधार्थी छात्रा के सम्मान में विश्वविद्यालय से उसे न्याय दिलाने आरोपी प्राध्यापक के निलंबन के लिए और विश्वविद्यालय प्रशासन को होश में लाने के लिए विश्वविद्यालय के कुलसचिव को को ज्ञापन सौंपा। विद्यार्थी परिषद ने मांग किया है कि विश्वविद्यालय प्रशासन तत्काल आरोपी प्राध्यापक संतोष सोनकर पर निलंबन की कार्यवाही करें, उच्च स्तरीय जांच कमेटी बनाई जाए, जांच कमेटी में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए विश्वविद्यालय के अतिरिक्त प्रशासनिक अधिकारी को सम्मिलित किया जाए ताकि अक्षता से जांच हो सके।  जब तक जांच पूरी ना हो आरोपी प्राध्यापक को विश्वविद्यालय परिसर से बाहर रखा जाए ताकि किसी प्रकार से जांच को प्रभावित ना कर सकें। ज्ञापन के माध्यम में स्पष्ट रूप से यह चेतावनी दी गई है कि दो दिवस के भीतर  विश्वविद्यालय प्रशासन यदि गंभीरता से इस विषय को नहीं लेता तो विद्यार्थी परिषद अनिश्चितकालीन आंदोलन करेगा, जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी विश्वविद्यालय प्रशासन की होगी।

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