अनूपपुर

ठेकेदार सड़क निर्माण में बरत रहे लापरवाही, मौत के सौदागर बने जिम्मेदार अधिकारी

भ्रष्टाचार की कालिख नीचे से ऊपर तक या ऊपर से नीचे तक

रिपोर्टर @ संजीत सोनवानी
इन्ट्रोः- प्रदेश सरकार के द्वारा म.प्र. ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकारण जरिए हर गांव में सीसी सड़क निर्माण कराया जा रहा है, लेकिन विभाग के अधिकारियों के द्वारा चहेतो ठेकेदार को टेंडर दे देते है जिसके बाद अधिकारियों व ठेकेदार के सांठगांठ उस सड़क में इतना गुणवत्ताविहीन कार्य कराया जाता है कि एक वर्ष भी सड़क नहीं टिक पाती, और उस सड़क प्याज की छिल्के की तरह उखड़ने लगती है। इन दिनों मुख्यालय पुष्पराजगढ़ में ठेकेदारों की चंहुओर चाँदी है। यहां रहने वाले भोले-भाले आदिवासियो को क्या हो रहा है। इससे कोई सरोकार नही रहता बल्कि अपनी दिनचर्या में रात-दिन मेहनत मजदूरी करते रहते है। उनका बमुश्किल जीवनयापन करना ही उनकी असल जिंदगी है। लाखों करोड़ों के वारे न्यारे कब हो जाते है। ये सिर्फ ठेकेदार और अधिकारियों तक ही सीमित है कहा जाता है कि दो ठेकेदार महाप्रबंधक म.प्र. ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण इकाई के बहुत खास माने जाते हैं, जिनमे मे. संजय सिंह जिनके कई तादात में निर्माण कार्य चल रहे हैं, और निगरानी करता कोई नही है।
अनूपपुर। पुष्पराजगढ़ आदिवासी अंचल की खदान गढ़ीदादर में बॉक्साइट ढूलाई के लिए बनाई गई 40 टन की क्षमता वाली रोड जो पठेती से गढ़ीदादर जिसकी लंबाई 9.5 किलोमीटर रोड लागत 949.89 लाख रुपए की रोड जो प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना क्रियान्वयन एजेंसी महाप्रबंधक मध्यप्रदेश ग्रामीण सड़क विकास विभाग प्राधिकरण परियोजना क्रियान्वयन अनूपपुर ठेकेदार संजय सिंह नामक व्यक्ति द्वारा कार्य निर्माण कार्य आदेश 10 माई 2016 के विपरीत कार्य पूर्णता का दिनांक 9 नवम्बर 2018 में पूर्ण ना कर वर्ष 2020 माह जुलाई में पूर्ण किया गया। जहां माह अगस्त के लगने से पूर्व ही प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की रोड की कमर ही टूट गई रोड में डाली गई गिट्टी डामर बाहर हो चुकी है। पुष्पराजगढ़ आदिवासी अंचल शहडोल संभाग में बन रही विभिन्न ग्रामों में आंचल ग्रामों में मध्य प्रदेश प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की रोड इसी तरह घटिया निर्माण की रोड कमीशन बाजी की भेंट चढ़ गई।

गढ़ीदादर में करोडों की लगात से बनी सड़क में हुआ बंदरबांट

मध्यप्रदेश में भाजपा शासन की चैथी पारी है, लेकिन सत्तासुख मे मदमस्त नेता और मंत्रियों को षायद अब याद भी नही होगा की सत्ता सुख को दशकों तरसने के बाद जब पहली सत्ता का स्वाद चखा तब बिजली और सड़क प्रदेश में दो ऐसे मुद्दे थे। जिनके दम पर कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया था। शासन का सपना दिखाने वाली भाजपा आज शासकीय कर्मचारियों की कटपुतली बन चुकी है। और यह गलत भी नही है क्योकि नेताओं की तिजोरी बडी दर बडी करने में यही कर्मचारी तो पूर्ण निष्ठा से समर्पित है। यही वजह है कि कई दशकों की मांग के बाद गढ़ीदादर मार्ग की सड़क को 2018 मे पूरा करके महाप्रबंधक को हैंड ओवर करना था लेकिन यहाँ तो 2020 में पूरा किया गया। लेकिन पहली बरसात में ही प्रधानमंत्री ग्राम सड़क की दम निकल गई और टूट-फुट व सड़क उखडना प्रारम्भ हो गई जिसके फलस्वरुप लोगों का गुस्सा फूटा तब से अब तक अनेकानेक माध्यम से कई बार लोगों शिकायत की समाचार पत्रों के माध्यम से घटिया निर्माण की आवाज बुलंद की। लेकिन नतीजा सब ढाक के तीन पात रहा। नेताओ के बरहस्त प्राप्त कर्मचारियों अधिकारियों की लापरवाही कहे मानव रक्त की प्यास कहे, नीचे से ऊपर तक आज तक किसी ने नही सुनी। और तब से अब तक कोई कार्यवाही नही किया गया। ग्रामीणों ने बताया कि जब बाॅक्साइड खदान में गाड़िया चलने लगती है तो उस रास्ते से निकलना दूभर हो जाता है घटना घटने या हमारी जान षासन-प्रषासन की लापरवाही से जा सकती है। आज सड़क का हाल यह है कि एक दो दिन के अंतराल में लगातार बारिश के कारण बड़े-बड़े बोल्डर नीचे गिर गए जिसको मजदूर लगवा कर हटवा गया और ठेकेदार की लापरवाही का खामियाजा राहगीर को भुगतना पड़ रहा है।
पुष्पराजगढ़ में मेसर्स संजय नामक फर्म द्वारा सड़क का निर्माण कार्य किया जा रहा है। और कई सडकों पर निर्माण कार्य चल भी रहा है, परंतु सभी निर्माण कार्यों में भर्रेषाही का आलम व्याप्त है।

मुख्यमार्ग में डामरीकरण का कार्य की गुणवत्ता का अवलोकन किया जा सकता है।
नियमों को किया दरकिनारे
पुष्पराजगढ़ की गढ़ीदादर से ग्राम पंचायत बोदा कि ओर जाने वाली और मुख्य मार्ग अमरकंटक से जोडने वाली सडक मेसर्स संजय सिंह ब्यौहारी जिला ष्षहडोल के द्वारा प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत सडक निर्माण कार्य कराया जा रहा है। उक्त फर्म के मालिक जो अपनी हिटलर शाही रवैया और प्रषासन से सेटिंग के लिए जाने जाते है। लगातार मनमानी तरीके से निर्माण कार्य करते आ रहे हैं। दानेदार मुरुम की मोटी परत की जगह गांव से मिट्टी निकालकर उक्त निर्माणाधीन सडक में डाली जा रही है।
मिट्टी का उपयोग सड़क बनाने के लिए आखिर कैसे उपयुक्त समझ लिया गया। रातो रात बिना किसी डर भय के कार्य किये जा रहे हैं जबकि इस्टीमेट में दानेदार मुरुम और दानेदार रेत या पत्थर के चूरे से ग्रेवल का कार्य करना है साथ ही ऊंचाई का ध्यान रखते हुए निर्माण कार्य कराया जाना है परंतु ऐसा कुछ भी यहां नही हो रहा मिट्टी लोकल ट्रेक्टरों से मंगवाकर लगातार डाली गई है जिसका जीता जागता प्रमाण यही की पहली बारिश में मुरुम की नाम मे जो मिट्टी डाली गई बारिस में रोड के साथ वो भी बैठी जा रही जिसको देख ग्रामीण जन दहसत में आ रहे कि जब बाॅक्साइड खदान में ट्रक चलने लगेगी तो कोई बड़ा दुर्घटना हों सकता है।

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