लोक सूचना अधिकारी ने नहीं दी सूचना, मामला पहुंचा प्रथम अपीलीय अधिकारी कार्यालय रीवा
जिले में हुए मलेरिया विभाग में फर्जी भर्ती का मामला, कल होगी मामले की सुनवाई

रिपोर्टर@देवानंद विश्वकर्मा
अनूपपुर। जिले में मलेरिया विभाग का भर्ती घोटाला अब लगातार सुर्खियो में है, इस पूरे मामले को सूचना के अधिकार के तहत जानकारी प्राप्त कर मामले से पर्दा उठाने की कोशिश की समाजिक कार्यकर्ता ने की लेकिन भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबे अधिकारियों ने सूचना के अधिकार के तहत् प्रस्तुत आवेदन पर जवाब न देते हुए गोल मटोल जवाब दिया और सूचना के पहुँच तक में बाधा उत्पन्न किया, समाजसेवी सुनील चौरसिया के आवेदन पर संतोषजनक जवाब न मिलने पर और अनूपपुर जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के द्वारा जानकारी ना दिए जाने पर मामला वरिष्ठ कार्यालय रीवा को अपील के रूप में प्रस्तुत किया गया, जिस पर आज सुनवाई होनी है।
यह था मामला
मलेरिया स्वास्थ्य विभाग में नियम विपरीत हुआ कर्मचारी भर्ती संयुक्त कलेक्टर में पदस्थ जिम्मेदार अधिकारी के भाई भतीजे एवं अन्य विभाग के कर्मचारियों के रिश्तेदार एवं भाई भतीजे भी मलेरिया विभाग के फर्जी भर्ती काण्ड में लाभ उठा रहें है, स्वास्थ्य विभाग के 2 अधिकारियों ने भर्ती काण्ड को अंजाम देने में किसी भी तरह से कोताही नही बरती है। द्वय अधिकारियों की मिलीभगत से नियम विपरीत कर्मचारी भर्ती कर जिला प्रशासन को भ्रमित कर अनुमोदन करा लिया गया है। जनचर्चा है कि प्रदेश के ईमानदार यशस्वी मुख्यमंत्री कमलनाथ और तेज तर्रार स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट के मंशूबे पर सीएमएचओं बीडी सोनवानी एवं सीएमएचओ कार्यालय में पदस्थ डिप्टी ईएमआईओ के पी सिंह ने शासन के मनसूबे पर पानी फेर दिया। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक फर्जी काण्ड को लेकर जब समचार पत्रों में मामले का प्रकाश हुआ तो कलेक्टर चन्द्रमोहन ठाकुर ने चार सदस्यीय जांच टीम का गठन कर जांच का आदेश दिये है सच्चाई है कि 14 कर्मचारियों के भर्ती काण्ड में उच्च स्तरीय किया जा रहा है।
इन पदो की हुई थी स्वीकृति
म.प्र.शासन के लोकस्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग मंत्रालय द्वारा 25 मई 2018 को पत्र क्रमांक एफ/12/10-2019 सत्र मेडिकल तीन राज्य शासन एतद् द्वारा बुरहानपुर अनूपपुर, अशोकनगर, आगरमालवा जिला मुख्यालय में मलेरिया अधिकारी के नवीन कार्यालय की स्थापना की जाकर निम्न पदो की स्वीकृति एवं इसकी पूर्ति की स्वीकृति प्रदान की जाती है। जिसमें जिले के पद इस तरह स्वीकृति किये गये थे सहायक मलेरिया अधिकारी 01, टेक्नीशियन पद 01 मलेरिया, निरीक्षक पद 03,सर्व लेंस, इंस्पेक्टर पद 02 उच्चश्रेणी, लिपिक पद 01 निम्न श्रेणी, लिपिक पद सर्वालेंस, दो चालक, 01 सुपीरियर, फील्ड वर्कर, दो फील्ड वर्कर, 05 भृत्य, 02 कुल पद 21 की स्वीकृति प्रदाय की गई थी।
भर्ती पर सवालियां निशान?
म.प्र. शासन ने विगत 19 माह पूर्व में 21 पद की भर्ती हेतु अनूपपुर जिले को वैकेंसी दी गई थी, तो डेढ़ वर्ष से अधिक समय बाद 21 में 16 पदो की फर्जी भर्ती क्यों की गई। शासन-प्रशासन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की कार्यशैली पर महाघोटाला का सवाल खड़ा हो रहा है। अनूपपुर में मलेरिया विभाग के फर्जी भर्ती कांड को लेकर लोगों ने अलग‘-अलग तरीके से मुख्यमंत्री कमलनाथ, स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट, मुख्य सचिव स्वास्थ्य विभाग, लोक कल्याण संभागायुक्त शहडोल, कलेक्टर अनूपपुर के पास शिकायत की गई है।