बॉर्डर पर बने राहत शिविर डोला में शासकीय कर्मचारी मना रहे जन्मदिन पार्टीः हो रहा सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन
रिपोर्टर@समर बहादुर सिंह

शिविर के नाम पर लाखों का वारा न्यारा करने की हो रही तैयारी
राजनगर। कोरोना संकटकाल में लगभग 200 देश इस त्रासदी को झेल रहे हैं, वही इस त्रासदी से भारत देश भी अछूता नहीं है संक्रमितों की संख्या भारत मे 1.5 लाख लगभग पहुँच गयी है, प्रशासनिक अधिकारी, जनप्रतिनिधि और समाजसेवी सहित जो जहां पर हैं जो वो अपने स्तर से इस संक्रमण को ज्यादा ना फैलने से रोकने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं परंतु जमीनी हकीकत यह है कि शासन के नुमाइंदे ही जहां इस संक्रमण को फैलने के लिए बढ़ावा दे रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ इस संक्रमण की आड़ में लाखों का वारा न्यारा और मौज मस्ती भी कर रहे हैं। कलेक्टर के प्रयासों पर पानी डालते जमीनी कर्मचारी अनूपपुर जिले के संवदेनषील कलेक्टर चंद्रमोहन ठाकुर कोरोना संकट के शुरुआती काल से ही कोरोना को गंभीरतापूर्वक लेते हुए जिले में कर्फ्यू,लॉकडाउन का कड़ाई से पालन,जन जागरूकता एवं नियम कायदा कानूनो की जानकारी देने के साथ ही अपील के माध्यम से कोरोना संक्रमण से बचने के उपाय बताते आ रहे हैं, समय पर कर्फ्यू और प्रशासन के मापदंडों को आदेश के रूप में प्रसारित कर कोरोना संकट को अनूपपुर जिले में फैलने से काफी काबू में किया गया है,जिसका परिणाम यह है कि जिले में अब तक तीन संक्रमित पाए गए और वह सभी उपचार के बाद ठीक होकर अपने घरों को लौट गए हैं, परंतु जिला कलेक्टर के इन प्रयासों को जमीनी कर्मचारी धत्ता बताते हुए संक्रमण को जहां एक और आमंत्रण दे रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ शिविर की आड़ में लाखों का वारा न्यारा करने की योजना बना रहे हैं ऐसे में कोरोना संकटकाल से कैसे निपटा जाएगा इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।
क्या है मामला
अनूपपुर जिला मध्यप्रदेश के अंतिम छोर पर स्थित है और मध्यप्रदेश सीमा समाप्त होने के बाद छत्तीसगढ़ राज्य का सीमा प्रारंभ हो जाता है इस प्रकार से छत्तीसगढ़ राज्य से आने वाले प्रवासी मजदूरों और अप्रवासी मजदूरों को मध्यप्रदेश के बॉर्डर में ग्राम डोला में राहत शिविर बनाकर इन मजदूरों को यहां रुकने, भोजन पानी और फिर इनके गंतव्य तक भेजने की व्यवस्था जिला प्रशासन मध्यप्रदेश शासन के द्वारा किया जाता है, जब छत्तीसगढ़ की ओर से छत्तीसगढ़ की सीमा तक मजदूरों को छोड़ दिया जाता था फिर ये मजदूर छत्तीसगढ़ के बॉर्डर से पैदल चलकर नेशनल हाईवे 43 से होते हुए। मध्यप्रदेश के ग्राम पंचायत डोला, रेउँदा और पिपराहा के मार्गों से आगे की ओर बढ़ने लगे तब इसे जिला कलेक्टर ने गंभीरतापूर्वक लेते हुए बॉर्डर के पास ही डोला में राहत शिविर बना दिया ताकि आने वाले मजदूर परेशान ना हो इसी क्रम में यहां राहत शिविर बनाया गया है। द्वितीय पाली में मनाई जाती है पार्टी इस राहत शिविर में 3 पालियों में राजस्व विभाग सहित अन्य विभाग के कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाती है। प्रथम पाली सुबह 8 से 4, द्वितीय पाली 4 से 12, तृतीय पाली 12 से 8 द्वितीय पाली जो शाम 4ः00 से रात 12ः00 बजे तक के लिए होता है। इस पाली में शिविर बनने के बाद से अब तक लगातार शाम को कई प्रकार की पार्टियां बनाई जाती है,खबर तो यह भी है की यंहा शाम ढलते ही जाम भी झलकाये जाते हैं, ड्यूटी में लगे राजस्व विभाग के पटवारी और अन्य कर्मचारी रोज शाम रहा शिविर में राहत देने के बजाय मौज मस्ती करते रहते हैं, राहत देने की आड़ में कई प्रकार की पार्टी आये दिन मनाई जाती है। सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन करते हुए मनाई गई जन्मदिन पार्टी विगत दिनों राजीव सिंह परिहार नामक पटवारी का जन्मदिन था शाम ढलते ही द्वितीय पाली में उपस्थित सभी कर्मचारियों ने केक काटकर इनका जन्मदिन मनाया गया, केक काटने के बाद मौज मस्ती और भोजन का भी कार्यक्रम था जहां जाम भी छलकाए गए, इस जन्मदिन को मनाने में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना भी ये भूल गए थे और राहत शिविर में मौज मस्ती करना जन्मदिन का पार्टी मनाया जाना कहां तक उचित है? सवाल यह भी उठता है कि रात के अंधेरे में राहत शिविर में मजदूरों को राहत पहुंचाने वाले सरकारी नुमाइंदों के द्वारा जन्मदिन की पार्टी आखिर क्यों मनाई गई? राहत शिविर को पार्टी स्थल और मयखाने के रूप में तब्दील करने की छूट किसने दी? क्या इन दोषी अधिकारियोंध्कर्मचारियों पर कार्यवाही हो पाएगी? जन्मदिन की पार्टी में सोशल डिस्टेंस को भूल जाते हैं ये जिनके ऊपर सोशल डिस्टेंसिंग का पाठ पढ़ाने का जिम्मा है, सोशल डिस्टेंसिंगका पाठ पढ़ाने वाले यह कर्मचारी जब खुद ही इसका पालन नहीं करेंगे तो प्रवासी और अप्रवासी मजदूरों से उम्मीद किया जाना बेमानी साबित होगा। पार्टियों का खर्च टेंट के बिल में समायोजित करने की है प्लानिंग जानकारी यह भी मिली है कि इस शिविर में सेकंड पाली में जमकर पार्टियां जो अक्सर होती रहती है इस खर्च को समायोजित करने की योजना बनाई गई है ,टेंट के नाम पर फर्जी बिलों का भुगतान किया जाना है ताकि रोज शाम को हुए इन सभी पार्टियों के खर्च को समायोजित किया जा सके. सवाल यह भी उठता है कि जब बॉर्डर पर स्थित राहत शिविर का यह आलम है तो फिर दूर-दराज क्षेत्रों में शासन के द्वारा बनाए गए शिविर और क्वारन्टीन सेंटरों का क्या हाल होगा? वहीं राहत शिविर में जन्मदिन की पार्टी मनाने वाले पटवारियों एवं अन्य कर्मचारियों पर होगी कार्यवाही? तस्वीरों के माध्यम से साफ देखा जा सकता है कि राहत शिविर में जिन अधिकारियों और कर्मचारियों के ऊपर राहत शिविर को सफलतापूर्वक संचालन करने और राहत पहुंचाने की जिम्मेदारी है साथ ही राहत शिविर में रुके मजदूरों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने का पाठ पढ़ाया जाना है उन्ही शासकीय कर्मचारियों के द्वारा केक काटते समय और पार्टी के समय पास पास खड़े होकर केक काटा जा रहा है तो क्या इन दोषी कर्मचारियों के ऊपर जिला प्रशासन कार्यवाही करेगा? या फिर यह मात्र एक दिखावा ही साबित होगा कि हम सिर्फ जनता के लिए नियम कायदे कानून बनाते हैं कर्मचारियों के लिए नहीं। क्वारन्टीन सेंटर में भी है अव्यवस्था प्राप्त जानकारी के मुताबिक यह भी सामने आया है कि राजनगर काॅलरी के अभिनंदन भवन में बनाए गए क्वारन्टीन सेंटर में भी अव्यवस्थाओं का आलम है यहां प्रभारी एसपी शर्मा झांकने तक नहीं आते और जिन कर्मचारियों की रात में ड्यूटी लगी होती है वहां ताला बंद करके अपने घर में आराम फरमाते रहते हैं, ऐसे में सवाल यह उठता है कि यदि कोई बड़ी घटना घट गई तो फिर इसका जिम्मेदार कौन होगा?