राजनगर कॉलरी। राज्य में चाहे किसी भी पार्टी की सरकार हो सभी सरकारी नुमाइंदों के द्वारा गरीबों के कल्याण के लिए तमाम घोषणा की जाती हैं किंतु यह सब घोषणाएं केवल कागजों में सिमट कर रह जाती हैं और होता वही है जो स्थानी कर्मचारी चाहते हैं और उनका सुपरविजन करने वाले अधिकारी सब कुछ जान कर भी अंजान बने रहते हैं और भाजपा के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तो सभी महिलाओं को अपनी बहन माना है किंतु उन्हें कि राज्य में उनकी बहने स्थानीय कर्मचारियों के शोषण का शिकार हो रही हैं। आलम यह है कि कोरोना इस महामारी में जो गरीब खाने के एक-एक दाने के लिए संघर्ष करता नजर आ रहा है उससे डिलीवरी के नाम पर नर्स द्वारा 1000 वसूल लिए गए। इस संबंध में प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेश में गरीब महिलाओं के लिए सरकार ने योजनाए तो तमाम बनाई है किंतु लाभ कुछ भी नहीं मिल पा रहा है। जिसका जीता जागता उदाहरण बिजुरी स्वास्थ्य केंद्र में देखा जा सकता है जहां पर एक गरीब की पत्नी की डिलीवरी कराने के नाम पर 1000 वसूले गए बताया जाता है कि रामनगर निवासी एक युवक की पत्नी को जब प्रसव पीड़ा होती है तो उसके द्वारा अपनी पत्नी को प्रसव के लिए बिजुरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया जाता है जहां पर यह बताया जाता है कि यहां पर डिलीवरी कराने के लिए नर्स द्वारा 1000 लिए जाते हैं किंतु जिस गरीब के पास खाने के लाले पड़े हो उसके पास 1000 कहां से आए फिर भी अपनी पत्नी व बच्चे की जान की रक्षा के लिए वह 1500 रुपए के जुगाड़ के लिए निकल पड़ता है इसी बीच उसकी पत्नी को पुत्री पैदा होती है और पीड़ित युवक की माने तो वह नर्स ड्यूटी समय खत्म होने के बाद भी तब तक रुकी रहती हैं जब तक की पीड़ित 1000 लेकर उन्हें नहीं दे देता और 200 एक अन्य कर्मचारी द्वारा भी लिया जाता है।
इस पूरे मामले ने इंसानियत को भी झकझोर दिया है कि क्या कोरोना जैसे महामारी में गरीब से 1000 लेना उचित है ,वही जब इसकी जानकारी सीएचएमओ को दी गई तो उन्होंने जांच करने की बात कही लेकिन देखना यह है कि क्या इस घटना की जांच करा कर कार्यवाही होती है या फिर चिकित्सालय में आने वाले हर गरीब के साथ ऐसी घटना होने के लिए छोड़ दिया जाएगा। वही जब पीड़ित युवक से शासन के अन्य योजनाओं के लाभ के संबंध में पूछा गया तो उसने बताया कि हमें शासन की किसी भी योजना की लाभ नहीं मिला है किसी ने बताया की संबल योजना से गर्भवती महिलाओं को 16000 दिया जाता है जिसके लिए मेरे द्वारा पंचायत के कई चक्कर काटे गए फिर भी कोई नतीजा नहीं निकला ,बाद में आंगनवाड़ी सहायिका द्वारा यह कहा गया कि सचिव बोल रहे हैं कि 4000 से 5000 का व्यवस्था बना दीजिए तो मैं दिखाता हूं, चूंकि गरीब के पास राशि नहीं थी इसलिए उसका पंजीयन नहीं हो सका इसमें सच्चाई क्या है यह तो जांच का विषय है ,जो जांच के बाद ही पता चल पाएगा । किंतु यह सच्चाई अवश्य है कि गरीब को सरकारी योजनाओं के लाभ के नाम पर केवल ठेंगा दिखाया गया है जिसकी जांच होनी जरूरी है।
इनका कहना है
इस संबंध में सीएचएमओ से बात की गई तो उन्होंने कहा कि आप बता रहे हैं मैं जांच करवाता हूं।
बी.डी.सोनवानी
सीएमएचओ, अनूपपुर