*विभिन्न विश्वविद्यालय के कुलपतियों की उपस्थिति में शासकीय महाविद्यालय कोतमा में भारतीय राष्ट्रीय प्रतिरोध का इतिहास विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न*
*विभिन्न विश्वविद्यालय के कुलपतियों की उपस्थिति में शासकीय महाविद्यालय कोतमा में भारतीय राष्ट्रीय प्रतिरोध का इतिहास विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न*
संतोष चौरसिया
कोतमा-16 जन. 2021- तीन विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, उच्च शिक्षा विभाग रीवा संभाग के अति संचालक एवं प्राध्यापकों की उपस्थिति में लगभग २०० शोधार्थियों की सहभागिता के साथ ऑनलाइन संगोष्ठी का शुभारम्भ सरस्वती वंदना की प्रस्तुति के साथ किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए डॉ. राजकुमार आचार्य ने कार्यक्रम के आयोजन हेतु महाविद्यालय परिवार को अपनी बधाई व शुभकामनायें दी। कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि पंडित शम्भूनाथ विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति डॉ. मुकेश तिवारी ने कहा कि भारतीय सनातन संस्कृति के चिरंतन अस्तित्व के पीछे विदेशी आक्रांताओं के विरुद्ध हमारा अनवरत राष्ट्रव्यापी प्रतिरोध ही है जिसने “कुछ बात है की हस्ती मिटती नहीं हमारी…” को चरितार्थ किया गया है। राष्ट्रीय संगोष्ठी कार्यक्रम के मुख्या वक्ता रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर के कुलपति डॉ कपिलदेव मिश्रा ने अपने उद्बोधन में कहा की भारतीय राष्ट्रीय प्रतिरोध का चरित्र पूरे विश्व में एक विशिष्ठ स्थान रखता है। उन्होंने भारतीय पौराणिक ग्रंथों का उद्धरण देते हुए कहा कि भारतीय सनातन संस्कृति पर प्रारम्भ से ही तामसिक प्रवृत्तियों का आक्रमण होता रहा है जिस पर हमने सदैव विजय ही प्राप्त की है। कार्यक्रम के मुख्य संरक्षक उच्च शिक्षा विभाग- रीवा संभाग के अतिरिक्त संचालक डॉ पंकज श्रीवास्तव ने कहा कि विदेशी आक्रमण हमेशा से ही भारतीय सनातन संस्कृति के लिए एक चुनौती रहा है। भारतीय ऐतिहासिक सांस्कृतिक विरासत को अक्षुण्ण बनाये रखने में हमारे अनवरत प्रतिरोध का अमूल्य योगदान रहा है। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित शासकीय महाकौशल कला व वाणिज्य महाविद्यालय के इतिहास के प्रोफेसर डॉ अलकेश चतुर्वेदी ने भारतीय प्रतिरोध के ऐतिहासिक प्रतीक पन्ना धाय, दुर्गादास राठौर, पोरस, महाराणा प्रताप, वीर शिवाजी, गुरु गोविंदसिंह इत्यादि के योगदानों का स्मरण करते हुए कहा कि हमें इन महापुरूषों के योगदानों को नहीं भूलना चाहिए क्योंकि जो राष्ट्र अपना इतिहास भूल जाता है वहां इतिहास पुनः दोहराया जाता है। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ व्ही के सोनवानी द्वारा कार्यक्रम में उपस्थित सभी विद्वतजनों के प्रति अभिनन्दन वक्तव्य दिया गया।
ऑनलाइन संगोष्ठी कार्यक्रम का आयोजन महाविद्यालय के इतिहास विभाग के द्वारा किया गया। कार्यक्रम संचालन इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष श्रीकांत मिश्रा द्वारा किया गया। डॉ. धीरेन्द्र त्रिपाठी जबलपुर द्वारा तकनीकी सहयोग एवं श्री प्रवीण यादव के द्वारा विशेष सहयोग प्रदान किया गया। कार्यक्रम के सफल आयोजन में आईक्युएसी के संयोजक प्रो बोस्को लकड़ा, प्रो राकेश कुमार पवार, डॉ. पंचमसिंह कवड़े, डॉ. विक्रमसिंह भिड़े, डॉ. अनीता तिवारी, प्रो मो मोबीन, प्रो जे लकड़ा, राजेश भारती, सुश्री आकांक्षा पांडेय एवं समस्त महाविद्यालय परिवार का सक्रिय सहयोग रहा। कार्यक्रम के अंत में इतिहास के सहायक प्राध्यापक राजेश वरकड़े द्वारा पूरे महाविद्यालय परिवार की ओर से आमंत्रित अतिथिगणों एवं समस्त प्रतिभागियों के प्रति आभार व्यक्त किया गया।