पीएचडी प्रवेश में आरक्षण का उलंघन होने पर कुलपति, प्रवेश परीक्षा के संयोजक सहित अन्य के विरुद्ध उच्च न्यायालय में प्रस्तुत हुई याचिका
जनजातीय विश्वविद्यालय में ही जनजातीय वर्ग के लोग को नही मिल रहा लाभ

अनूपपुर। इन्दिरा गाँधी जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक में नियमों का उलंघन अब आम बात हो गई है भ्रष्टाचार के नित्य नए कारनामे करने वाला विश्वविद्यालय इन दिनों खूब सुर्खियां बटोर रहा है पीएचडी में प्रवेश हेतु परीक्षा हाल ही में संपन्न हुई थी जिसके समन्वयक प्रोफेसर अवधेश कुमार शुक्ल थे। जानबूझकर पीएचडी में प्रवेश हेतु विज्ञापन से लेकर साक्षात्कार तक रिक्त आरक्षित सीटों का खुलासा नही किया गया था। जब प्रवेश परीक्षा का परिणाम आया तो खुलासा हुआ कि विश्वविद्यालय के द्वारा आरक्षण के नियमों की धज्जियाँ उड़ा दी गई है। हर विभागों में अनुसूचित जनजाति के आरक्षण के अनुसार सीटें नही आवंटित की गयी। पहले विश्वविद्यालय ने कुछ विभागों का परिणाम चयनित अभ्यर्थियों के नाम सहित जारी किया जिसे आनन फानन में एक ही दिन में हटाकर अनुक्रमांक के अनुसार जारी किया गया। अनुसूचित जनजाति के कुछ विधायकों, संगठनों और परीक्षार्थियों ने अनुसूचित जनजाति के आरक्षण के साथ खिलवाड़ किए जाने के विरुद्ध विश्वविद्यालय के विजिटर महामहिम राष्ट्रपति महोदय को पत्र लिखकर तत्काल कार्यवाही की मांग की। अनुसूचित जनजाति के पीड़ित अभ्यर्थियों ने मान. उच्च न्यायालय जबलपुर में विश्वविद्यालय के कुलपति और पीएचडी प्रवेश परीक्षा के संयोजक प्रोफेसर अवधेश शुक्ल सहित अन्य लोगों के विरुद्ध आरक्षण के नियमों का उल्लंघन करने हेतु याचिका प्रस्तुत किया है, जिसकी प्रथम सुनवाई इसी महीने 15 मार्च को निर्धारित है। जब जनजातीय विश्वविद्यालय में ही अनुसूचित जनजाति के आरक्षण के साथ खेल हो रहा है तो फिर उनके साथ न्याय की उम्मीद कहाँ से की जाय? जनजाति समाज के सर्वांगीण विकास के लिए जिस विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है वहीं विश्वविद्यालय अब इनके हक और अधिकारों पर डाका डाल रहा है, ऐसे में कैसे जनजातियों का सर्वांगीण विकास होगा? यह भी सवाल बहुत तेजी से अब उठ रहा है, कब अंकुश लगेगा मनमानी करने वाले बेताज बादशाहों पर? इस तरह के कई सवाल विश्वविद्यालय प्रबंधन की हठधर्मिता की वजह से उठ खड़े हो रहे हैं हालांकि मामला हाईकोर्ट के संज्ञान में याचिकाकर्ता के माध्यम से आ चुका है और याचिकाकर्ता ने विभिन्न दस्तावेजों के आधार पर इस मामले को हाईकोर्ट में प्रस्तुत किया है, तो निश्चित रूप से जनजाति वर्ग के साथ आरक्षण के नाम पर हुए अन्याय पर ठोस एवं उचित कार्यवाही आने वाले समय में हो सकेगी, ताकि जनजाति वर्ग के लोगों के अधिकारों का हनन करने वालों के विरुद्ध कार्यवाही हो सके और इनको इनका अधिकार मिल सके साथ ही इनके अधिकारों पर डाका डालने वालों पर अंकुश लग सके।