मानसिक बीमारियों के मामले में भारत के हालात पहले ही ठीक नहीं थे कोरोना की मार ने इसे और बढ़ा दिया-डॉ साधना तिवारी

अनूपपुर। भारत ने 1982 में राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (National Mental Health Programme) की शुरुआत की, जिसे 1996 में जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (District Mental Health Programme) के रूप में शुरू किया गया था। 2014 में राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य नीति (National Mental Health Policy) शुरू की गई थी और 2017 में एक अधिकार आधारित मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम (Mental Healthcare Act 2017) लाया गया, जिसने Mental Healthcare Act 1987 की जगह ली थी, उक्त विचार व्यक्त करते अपने कोतमा प्रवास के दौरान मनोचिकित्सक साधना तिवारी ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य किसी के भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कल्याण का वर्णन करता है। हमारा मानसिक स्वास्थ्य हमारे खाने की आदतों, शारीरिक गतिविधि के स्तर, पदार्थों के उपयोग के व्यवहार और हम कैसे सोचते हैं, महसूस करते हैं और कठिन परिस्थितियों का सामना करते हैं। हम हर दिन मानसिक स्वास्थ्य का सामना करते हैं। किसी व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य उनके शारीरिक स्वास्थ्य के लिए उतना ही महत्वपूर्ण है, और मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति शारीरिक बीमारियों की तरह ही वास्तविक है। अपनी बातचीत और दूसरों के साथ बातचीत के दौरान इसे ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है। मनोचिकित्सक डॉ साधना तिवारी ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation&WHO) द्वारा जारी एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, तकरीबन 7.5 प्रतिशत भारतीय किसी न किसी रूप में अवसाद से ग्रस्त हैं।हाल ही में इंडिया स्टेट लेवल डिजीज बर्डन इनिशिएटिव (India State&Level Disease Burden Initiative) द्वारा भारत में मानसिक विकारों के संबंध में एक अध्ययन किया गया जिसे लांसेट साइकाइट्री (Lancet Psychiatry) में प्रकाशित किया गया। लगभग प्रत्येक 7 में से 1 भारतीय या कुल 19 करोड़ 70 लाख लोग विभिन्न प्रकार के मानसिक विकारों से ग्रसित हैं। इसके अनुसार, अवसाद तथा चिंता भारत में मानसिक विकारों के प्रमुख कारण हैं हाल ही में लैंसेट (Lancet) द्वारा भारत में मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति पर एक रिपोर्ट जारी की गई, रिपोर्ट में यह उल्लेख किया गया है कि वर्ष 2017 तक भारत में 197.3 मिलियन लोग मानसिक विकारों से ग्रस्त थे, जो भारत की कुल जनसँख्या का 14.3 प्रतिशत था। विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation&WHO) द्वारा जारी एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2021 तक भारत की लगभग 20 प्रतिशत आबादी मानसिक रोगों से पीड़ित होगी। भारत में 1 लाख व्यक्तियों पर एक मनोवैज्ञानिक उपलब्ध है। दूसरा जरूरी काम है दिमाग को संतुलित करना खुद को खुश रखने के लिए खुद को इंपॉर्टेंट दें। दूसरों से उम्मीद कम करें। डॉ साधना तिवारी ने अपील की है कि अपने आपको उन कामों में व्यस्त रखें जिसमें आपकी रुचि हो। चीजों को अनुभव करना सीखें तथा स्वीकार करने की भावना रखें दूसरों से छीनने और अधिकार जमाने की भावना ना रखें और स्वयं को परफेक्ट साबित करने की आदत से बचें। अपनी कमियों को भी स्वीकार करना सीखें- अपने आप की तुलना दूसरों से ना करें क्योंकि हर व्यक्ति विशेष की एक खासियत होती है तो अपनी खासियत को पहचानने की कोशिश करे शारीरिक व्यायाम और ध्यान की आदत को अपने जीवन में सम्मिलित करें कैसे खुद को खुश रखें- अपनी मन की शक्तियों का हमेशा कैसे इस्तेमाल करना है यह हमें पता होना चाहिए अपनी याददाश्त पर नियंत्रण होना चाहिए ताकि जो यादें पुराने समय में हमें तकलीफ देती थी वह आज के समय पर हम पर हावी ना हो सके।इंसान की कल्पना उसे ज्यादा दुख देती है ना कि उसका जीवन इंसान सबसे ज्यादा दुख अपनी उन जीवंत यादों से पाता है जिन्हें वह सजा कर रखता है दिमाग में जो ज्यादातर विचार आते हैं वह नकारात्मक होते हैं। एक मनुष्य औसतन 1 दिन में 50 हजार से ज्यादा विचार उसके दिमाग में आते हैं जिसमें से 90 प्रतिशत विचार नकारात्मक होते हैं, नकारात्मक नकारात्मक विचारों को कैसे रोके इसके लिए अभ्यास की आवश्यकता होती है। सबसे जरूरी होता है आत्म संतुष्टि जब आप खुद से अच्छा महसूस करते हैं तो आपका दिमाग शांत होता है जीवन में ऐसे कई कारण होते हैं जो कि हमारे मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं पारिवारिक सामाजिक आर्थिक सांस्कृतिक ऐसी कई कारण हो सकते हैं जो कि हमारे मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं सकारात्मक किताबों को पढ़ें, अपने आप को सकारात्मक रखने की कोशिश करें और स्वस्थ आहार लें। समस्या अधिक होने पर काउंसलर से मदद लेने में संकोच ना करें।