जिला कलेक्टर एवं क्षेत्रीय विधायक से वैकल्पिक व्यवस्था बनाने की मांग
राजनगर। राजनगर कोयलांचल सहित आसपास के ग्रामीण अंचलों में शासन के विकास कार्यों एवं योजनाओं के संबंध में यदि यह कहा जाए कि शासन की नीति शासन की योजनाओं को पूरा करने में बाधक बन रही है तो गलत नहीं होगा जिससे पूरा राजनगर कोयला क्षेत्र के विकास कार्य प्रभावित नजर आ रहे हैं बताया जाता है कि क्षेत्र में पीसीसी सड़क नाली निर्माण प्रधानमंत्री आवास योजना के मकान सहित अन्य विकास कार्य में प्रयोग होने वाले मटेरियल के संबंध में सरकार की नीति निर्धारित नहीं होने के कारण जहां विकास कार्य सही समय पर पूरा नहीं हो पा रहा है वही जो लोग किसी तरह से पूरा कर ले रहे हैं। उन लोगों पर भी अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ रहा है बताया जाता है कि शासन की इन योजनाओं को पूरा करने में गिट्टी रेत की पूर्ति मूल आवश्यकता है और इसके अभाव में कोई भी विकास कार्य सही समय पर पूरा नहीं हो पा रहा है इस संबंध में संबंधित लोगों का कहना है कि सरकार द्वारा रेत के संबंध में अभी तक कोई सार्थक निर्णय न लेने से हमें रेत के लिए रेत भंडारण करने के लिए अवैध तरीकों का उपयोग करना पड़ता है जिसके लिए हम या तो अवैध रूप से रेत का भंडारण करवाते हैं या फिर हमें सीमावर्ती राज्य छत्तीसगढ़ पर निर्भर रहना पड़ता है चुकी यह यह रेत देने वाले लोग हमें अवैध रूप से देते हैं, इसलिए उन्हें निचले स्तर के अधिकारियों से सेटिंग करनी पड़ती है जिससे हमें रेत काफी महंगे दामों पर मिलती है जिसमें शासन को दोहरा नुकसान उठाना पड़ता है जहां शासन को राजस्व हानि होती है योजनाओं को पूरा करने में हम लोगों को भी अतिरिक्त आय खर्च करना पड़ता है जिससे हमारे ऊपर दोहरी मार पड़ती है। वही कार्रवाई के डर से हमें रेत देने वाले लोग 15 से लेकर महीनादिन तक लगा देते है जिससे हमारा विकास कार्य रुक जाता है और योजनाएं सही समय पर पूरी नहीं हो पाती जिसको देखते हुए। पंचायत सहित अन्य एजेंसियों के साथ-साथ प्रधानमंत्री आवास योजना के हितग्राहियों ने जिला प्रशासन से अपील की है कि जब तक रेत के संबंध में सरकार की कोई सार्थक नीति नहीं आ जाती तब तक जिला प्रशासन एवं क्षेत्रीय विधायक द्वारा कोई ऐसी वैकल्पिक व्यवस्था बनाई जाए जिससे लोगों को रेत के उठाओ में आसानी हो सके एवं शासन के मनसा अनुरूप शासन की योजनाएं सही समय पर पूरा किया जा सके क्योंकि रेत के कारण कई सारी योजनाएं अधूरी पड़ी हुई हैं।