अनूपपुर

अधिकारियों की मिलीभगत से वन विभाग की भूमि पर लगाया जा रहा मीना बाजार, वन विभाग अधिकारियों की भूमिका संदेह के दायरे में

रिपोर्टर @समर बहादुर सिंह

राजनगर। अनूपपुर जिले के वन विभाग अंतर्गत राजनगर बीट के कर्मचारी अपनी कार्यशैली को लेकर हमेशा विवादों में रहते हैं और इस समय राजननगर में मीना बाजार के संचालन को लेकर विवादों में वन विभाग दिखाई पड़ रहा है,कोयलांचल क्षेत्र में यदि कोई व्यक्ति नए मकान बनाने की बात तो दूर अपने पुराने मकान का जीर्णोद्धार भी करता हो या फिर कॉलरी प्रबंधन द्वारा किसी मशीन या अन्य यंत्रों का परिचालन स्थानांतरण किया जा रहा हो या कहीं पर पौधे लगाए जा रहे हो,ओपन कास्ट खुली खदान परियोजना राजनगर से निकली ओवरबर्डन मिट्टी का कोई उपयोग कर रहा हूं तो वन विभाग के यमराज रूपी कर्मचारी तत्काल अपने दल बल के साथ पहुंचकर तमाम नियम कायदे बताकर लोगों को परेशान करते हैं एवं कानूनी कार्रवाई की धमकी देते हैं किन्तु इस समय राजनगर वन परीक्षेत्र में मीना बाजार के संचालक द्वारा तकरीबन 4 से 5 हेक्टेयर के क्षेत्रफल में मीना बाजार संचालन करने की तैयारी की जा रही है जिस के लिए सैकड़ों गड्ढा खोदा गया है साथ ही वन क्षेत्र की भूमि में में स्टोन डस्ट का छिड़काव भी किया जा रहा है , ट्रांसपोर्टिंग से यहां वन भूमि को वाहनों की आवागमन से नुकसान भी पहुँच रहा,वन विभाग के कर्मचारियों द्वारा कोई भी कार्रवाई नहीं की जा रही है। वहीं जानकारों की मानें तो मीना बाजार के संचालक द्वारा मीना बाजार स्थल को पहले समतलीकरण करवाया जा रहा था जिसे वन विभाग के कुछ कर्मचारियों के द्वारा मौके पर पहुँच कर रोक दिया गया,बाद में कुछ कर्मचारियों के द्वारा अगले दिन मीना बाजार स्थल पर मौके पर आकर निरीक्षण करने के पश्चात कार्य प्रारंभ हो गया। वही इस संबंध में जब स्थानीय अधिकारियों से बात किया जाता है तो उनके द्वारा पहले तो यह कहा जाता है कि उक्त जमीन कालरी की लीज पर है कालरी के अधिकारियों द्वारा परमिशन दिया गया है ,वहीं अब यह जानकारी मिली है कि जमीन वन विभाग की है तो उनके द्वारा यह कहा जा रहा है कि डीएफओ अनूपपुर द्वारा परमिशन दिया गया है जिसकी बात मीना बाजार संचालक द्वारा कही जा रही है, किंतु परमिशन की कॉपी उपलब्ध कराने के सवाल पर उनके द्वारा परमिशन की कॉपी उपलब्ध कराने में असमर्थता जताई जाती है, एक सवाल यह भी उठता है कि ऐसी क्या स्थिति बनी कि स्थानीय स्तर के अधिकारियों के मीना बाजार स्थल पर आने के 12 घंटे पश्चात ही कार्य चालू हो गया क्या स्थानीय स्तर के अधिकारियों को अनुमति देने का अधिकार है और उच्च अधिकारियों द्वारा यदि परमिशन दिया गया है ? तो क्या विभाग में परमिशन की प्रक्रिया इतनी सरल है कि विभाग की जमीन पर कार्य करने की परमिशन महज 12 घंटे में ही मिल जाए ?जबकि लोगों का कहना है कि वन विभाग से किसी भी प्रकार की परमिशन लेने पर लोगों के जूते तक घिस जाते हैं और मीना बाजार के लिए महज 12 घंटे में परमिशन मिलना आश्चर्य की बात है कुल मिलाकर विभाग की कार्यप्रणाली पर मीना बाजार संचालन को लेकर सवालिया निशान खड़े किए जा रहे हैं और सवालिया निशान खड़े क्यों ना हों, छोटे छोटे कार्यो पर विभाग के पूरे कर्मचारी धावा बोल देते हैं तो क्या इतने बड़े पैमाने पर किए जा रहे कार्य पर इनकी नजर नहीं पड़ रही है जो जांच का विषय है।

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