साहिबा ने भारतीय जवानो के लिए कडी मेहनत के साथ बनाया आधा बुलेट प्रूफ जैकेट
रिपोर्टर@देवानंद विश्वकर्मा

विज्ञान मेले की मेरिट में बनायी जगह
अनूपपुर। साहिबा अली मास्टर ऑफ साइंस केमिस्ट्री की विद्यार्थी हैं। साहिबा अली ने एक दिन अखबार में पढ़ा कि भारतीय सेना को 1 लाख 84 हजार बुलेट प्रूफ जैकेट की आवश्यकता है, परंतु उसकी महँगी कीमत की वजह से वह उन्हें खरीद नही पा रही है। बस उस दिन से उसने कम खर्चे का एवं उच्च गुणवत्ता का जैकेट बनाने हेतु प्रयास करना चालू कर दिया। और आखिरकार साहिबा ने सेना एवं पुलिस को जरूरी सुविधाएं से लैस कराने के लिए एक नवीन बुलेट प्रूफ जैकेट का ईजाद कर लिया। जिसमें यूजर को ध्यान में रखते हुए बुलेट प्रूफ जैकेट का वजन बाजार में उपलब्ध जैकेट से लगभग आधा है। वहीं सरकार पर अतिरिक्त वित्तीय भार को कम करने के लिए भी यह जैकेट उपयोगी सिद्ध हो सकता है। जैकेट को बनाने में कोई भी वस्तु विदेश से आयात नहीं की गई है। इसमें इस्तेमाल होने वाले मेटेरियल एवं तकनीक पूरी तरह स्वदेशी हैं। हाल ही में शहडोल जोन के पुलिस महानिरीक्षक एस.पी. सिंह ने इस बुलेट प्रूफ जैकेट का परीक्षण करवाया। जिसमें 5 मीटर के दूरी से 9 एमएम की बुलेट जैकेट को नहीं भेद सकी सकी। साहिबा को इस शोध पर तीन साल का वक्त लगा।