उच्च न्यायालय के द्वारा पारितआदेश के बाद चतुर्वेदी को फिर मिली सहायक आयुक्त की कमान: आने वाले समय मे कलेक्टर के ऊपर भी गिर सकती है गाज
प्रधान संपादक सुनील चौरसिया की कलम से

अनूपपुर। अनूपपुर जिले में पूर्व में पदस्थ सहायकआयुक्त पी.एन.चतुर्वेदी के स्थानांतरण पर स्टे न मानने वाले अनूपपुर के कलेक्टर को हाई कोर्ट ने तलब किया है, और सजा के मुद्दे पर अपना पक्ष रखने के लिए भी कहा है. स्थगन के बाद भी नोटशीट जारी करने और बाद में सहायक आयुक्त का कार्यालय सील करने को हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है, सहायक आयुक्त चतुर्वेदी के तबादले पर लगाई गई रोक को न मानने वाले अनूपपुर कलेक्टर चन्द्रमोहन ठाकुर को हाईकोर्ट ने तलब किया है। जस्टिस विशाल धगट की एकलपीठ ने इस मामले में दायर अवमानना मामले पर सुनवाई करते हुए आदेश पारित करते हुए कलेक्टर को कहा है कि इस अवमानना के लिए दी जाने वाली सजा पर आकर अपना पक्ष रखें। मामले की अगली सुनवाई लाॅकडाउन की अवधि समाप्त होने के बाद तय होगी, जब अदालतों में कामकाज नियमित रूप से शुरू हो जाएगा, अदालत ने ये निर्देष अनूपपुर के आदिवासी कल्याण विभाग के सहायक आयुक्त पीएन चतुर्वेदी की अवमानना याचिका पर दिया ,इस पूरे मामले में मामला यह है कि 24 अगस्त 2019 को सहायक आयुक्त अनूपपुर का तबादला अनूपपुर से ग्वालियर किया गया था, इस आदेश पर हाईकोर्ट ने 30 अगस्त 2019 को रोक लगा दी थी,इस अंतरिम आदेश की कॉपी 3 सितंबर 2019 को कलेक्टर अनूपपुर को भी दे दी गई थी,इसके वावजूद 5 सितम्बर को कलेक्टर ने एक नोटशीट बना कर आदेश जारी करते हुए सहायक आयुक्त के पद का डीएस राव को कार्यभार सौप दिया, साथ ही याचिकाकर्ता को सलाह दी गई कि वो ग्वालियर में जाकर ज्वाॅइन करे। कलेक्टर के इस रवैये को अवमानना की श्रेणी बताते हुए यह अवमानना याचिका याचिकाकर्ता के द्वारा दायर की गई थी। मामाले पर विगत 13 मार्च को हुई सुनवाई के दौरान कलेक्टर चन्द्रमोहन ठाकुर स्वयं हाई कोर्ट में उपस्थित हुए थे। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता मनोज शर्मा व अमरदीप गुप्ता की दलील थी कि हाईकोर्ट के स्टे ऑर्डर में स्पष्ट था कि यदि उनके मुवाक्किल रिलीव भी हो चुके है तो भी उन्हे अनूपपुर में काम करने दिया जाए। इतना ही नहीं जब याचिकाकर्ता ने 20 दिसम्बर 2019 को अपना प्रभार संभाला तो 22 दिसंबर को उनका कार्यालय सील कर दिया गया। मामले की शिकायत संभागायुक्त से की गई, तो उन्होने भी कलेक्टर को हाईकोर्ट के आदेश का पालन करने की सलाह दी। बावजूद इसके अनूपपुर कलेक्टर ने विवेक पाण्डेय को सहायक आयुक्त का प्रभार सौंप दिया। 13 मार्च को सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था विगत दिनों हाई कोर्ट के द्वारा सुनाए गए फैसले में अदालत ने कलेक्टर चन्द्रमोहन ठाकुर के रवैये को गंभीरता से लेते हुए उन्हे सजा के मुद्दे पर पक्ष रखने के लिए कोर्ट में हाजिर होने के निर्देश दिए हैं। आखिर लगातार कानूनी दहलीज को पार करने के बाद पीएन चतुर्वेदी को न्याय मिल ही गया और कलेक्टर को अपने हिटलर शाही रवैये के कारण कोर्ट से सजा मिलने की संभावनाओं को भी अब काफी बल मिल रहा है ,सवाल यह उठता है कि आखिर एक सहायक आयुक्त स्तर के अधिकारी को लेकर जिले के मुखिया कलेक्टर को इतना ज्यादा अपना ईगो क्यों लगाना पड़ा? वर्तमान कलेक्टर के कार्यकाल में एक ऐसा ही और मामला पेट्रोल पंप का मामला प्रकाश में आया था उस मामले में भी हाईकोर्ट में काफी किरकिरी हुई थी।