*आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका यूनियन(एटक) अनूपपुर परियोजना का हुआ गठन*
*आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका यूनियन(एटक) अनूपपुर परियोजना का हुआ गठन*
संतोष चौरसिया
अनूपपुर दिनांक 22 अक्टूबर 2020 को अनूपपुर जिले के राजनगर स्थित एटक यूनियन कार्यालय में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका यूनियन एवं मध्यान्ह भोजन कर्मचारियों की संयुक्त बैठक कामरेड लीला बांधव, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता राजनगर की अध्यक्षता में संपन्न हुई। बैठक में मुख्य अतिथि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका यूनियन मध्यप्रदेश की महासचिव कामरेड विभा पांडे, विशिष्ट अतिथि रसोईया कामगार संघ के शहडोल संभाग की सचिव कामरेड मीरा यादव एवं कामरेड मुन्नी दूबे की मौजूदगी में संपन्न हुआ। बैठक में करीब 80 महिलाओं ने हिस्सा लिया। बैठक में सदस्यता करने, संगठन को मजबूत करने, हर सेक्टर में संयोजक बनाने आदि पर विशेष जोर दिया गया। नए सिरे से अनूपपुर परियोजना की कमेटी बनाई गई। कामरेड लीला बांधव को अध्यक्ष, कामरेड बेबी राव को उपाध्यक्ष, कामरेड उर्मिला पाव को सचिव, कामरेड सविता द्विवेदी को सहायक सचिव, कामरेड सुप्रिया सेन को कोषाध्यक्ष बनाया गया
बैठक में कामरेड बिभा पांडे ने कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि आई.एल.ओ. के अनुशंसा के बावजूद स्कीम वर्करों को कर्मचारी का दर्जा नहीं दिया जा रहा है। पहले केंद्र सरकार आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को 5 हजार रूपये मानदेय देती थी और राज्य सरकार 5 हजार देती थी, कुल ₹1 हजार आंगनबाड़ी एवं सहायिका कर्मचारियों को मिलता था। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका के आंदोलन के दम पर पूरे देश में दबाव के कारण केंद्र सरकार विवश होकर 6 हजार रुपये मानदेय किया। इस हिसाब से ₹65सौ केंद्र सरकार का और ₹5 हजार राज्य सरकार का कुल मिलाकर ₹11 हजार 5सौ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका को मिलना चाहिए लेकिन मध्य प्रदेश की सरकार ने 5 हजार के मानदेय को घटाकर ₹3 हजार 5सौ कर दिया और इस तरह से आज फिर से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका को ₹1 हजार ही मिल रहा है जब तक एटक यूनियन लड़कर के आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका को ₹11 हजार5सौ का मानदेय नहीं बढवाती है तब तक पूरे प्रदेश के अंदर आंदोलन करके सरकार के नाक में दम करेंगे और पूरे मानदेय लेकर के रहेंगे। पूरे देश में स्कीम वर्करों को कर्मचारी का दर्जा देने के लिए आंदोलन चल रहा है हम जरूर उसको हासिल करेंगे। उन्होंने रसोइयों के संबंध में कहा कि संविधान में बेगार नहीं कराई जाएगी इसका वर्णन है लेकिन आंगनवाड़ी केंद्र में खाना बनाने वाले कर्मचारी को ₹5 सौ महीना मिलता है, ₹16 एवं 30 पैसे प्रतिदिन मिलता है इससे और बड़ा बेगारी क्या हो सकता है? स्कूलों में बच्चों के लिए मध्यान भोजन बनाने के लिए कर्मचारी को ₹2 हजार मिलता है, लकड़ी और इंधन की व्यवस्था भी कर्मचारी को ही भी करना पड़ता है। सरकार इन कर्मचारियों से बेगार करा करके और संविधान की धज्जियां उड़ा रही है। एटक यूनियन ने फैसला किया है कि सांझा चूल्हा कार्यकर्ता को चाहे आंगनवाड़ी केंद्र में खाना बनाते हैं या स्कूलों में खाना बनाते हैं, उनको न्याय दिलवा करके रहेंगे। कामरेड विभा पांडे ने अपने उद्बोधन में कहा कि प्रधानमंत्री ने घोषणा किया था की कोविड-19 जैसे महामारी के खिलाफ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता जंग लड़ते हुए शहीद होती हैं तो उनको ₹5 लाख का बीमा राशि दी जाएगी उनको प्रोत्साहन राशि दिया जाएगा लेकिन न तो आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को, सहायिकाओं को, आशा कर्मियों को, न तो मास्क उपलब्ध कराया जाता है न हीं सेंटाइजर दिया जाता है, नहीं किट दिया जाता है। ऐसी स्थिति में covid-19 के मरीजों का पता लगाने के लिए घर-घर में जाना पड़ता है जान जोखिम में डालकर के आंगनबाड़ी कार्यकर्ता शासन के तमाम निर्देशों का पालन करने के लिए घर घर में जाते हैं लेकिन आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका आशा कर्मी के बचाव में शासन के तरफ से कोई भी पहल नहीं किया गया यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। कामरेड पांडे ने मांग किया है कि जूझते हुए कर्मचारियों ने मानवता एवं राष्ट्र की जो सेवा की है उसके लिए उनको अलग से प्रोत्साहन राशि दिया जाना चाहिए। आम सभा में कामरेड कामरेड मीरा यादव ने सांझा चूल्हा कर्मचारियों के लिए जंग लड़ते हुए न्याय दिलाने की बात कही और भरोसा दिलाया एटक यूनियन के नेतृत्व में सांझा चूल्हा कर्मचारियों को न्याय मिलेगा
इस अवसर पर एटक मध्यप्रदेश के प्रांतीय अध्यक्ष कामरेड हरिद्वार सिंह विशेष रूप से उपस्थित रहे