रिपोर्टर@ देवानंद विश्वकर्मा/समर बहादुर सिंह लोक आस्था के महापर्व छठ का हिंदू धर्म में अलग महत्व है। यह एकमात्र ऐसा पर्व है जिसमें ना केवल उदयाचल सूर्य की पूजा की जाती है, बल्कि अस्ताचलगामी सूर्य को भी पूजा जाता है। महापर्व के दौरान हिंदू धर्मावलंबी भगवान सूर्यदेव को जल अर्पित कर आराधना करते हैं। बिहार में इस पर्व का खास महत्व है। मान्यता है कि छठ देवी सूर्य देव की बहन हैं और उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए भगवान सूर्य की अराधना की जाती है। अनूपपुर। जिले के तिपान नदी के घाट पर छठ का त्यौहार हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इसी तरह जिले के कोयलांचल क्षेत्र रामनगर, जमुना कालरी, भालूमाड़ा, श्रमिक नगर बदरा, बिजुरी, भालूमाड़ा, अमरकंटक माॅं नर्मदा नदी में सूर्य की उपासना का महापर्व बड़े हर्षोल्लास व श्रद्धा पूर्वक मनाया गया। सूर्य षष्ठी महापर्व के तहत् 2 नवम्बर 2019 की सायंकाल सूर्यास्त के समय सूर्य का प्रथम अध्र्य दिया गया। बिहार प्रान्त, उत्तर प्रदेष सहित उत्तर भारत का प्र्रमुख त्यौहार जो कि अब पूरे भारत वर्ष मे मनाया जाने लगा हैं। सूर्य उपासना का पर्व छठ पूजा मे गुरूवार को डूबते सूर्य को अर्ध्य दिया गया। विधि-विधान से होने वाली पूजा मे भारी संख्या मे महिलाओ ने निर्जला व्रत रखकर शाम को आधे पानी मे डूबकर सूर्य अस्त के समय अर्ध्य दिया। 31 अक्टूबर से प्रारंभ हुआ महापर्व छठ के दिन राजनगर, रामनगर, रविनगर सेक्टर सी सहित पूरे क्षेत्र में धूमधाम से मनाया गया। जोड़ा तालाब राजनगर में समस्त छठ भक्त अपने परिजनों के साथ छठ घाट पहुंचे जहां घर के पुरुष सर पर डाला एवं पीछे से महिलाएं ए ही बांस के बहंगिया जैसे गीत-गाते हुए चल रही थी तो कुछ लोग बैंड बाजे के साथ तो कुछ लोग साष्टांग दंडवत करते हुए छठ घाट पहुंचे। अपनी ऊर्जा से समस्त जगत को चलायमान रखनेवाले सूर्यदेव और उनकी माता अदिति की प्रमुख रूप से आराधना का ये छठ महापर्व संभवतःसनातन हिन्दू संस्कृति के प्राचीनतम् त्यौहारों में से एक मात्र लोकपर्व है। किंवदंतियों की माने तो दीनानाथ(सूर्यदेव) और छ्ठी मैया(माता) की उपासना चार दिन होती है,लगभग वैसा ही पर्व एक बार महर्षि धौम्य की सलाह पर द्रोपदी ने किया था। सूर्यदेव की उपासना की लगभग समान विधि-विधानों का उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है। छठ पर्व का धार्मिक महत्व सूर्मषष्ठी अथवा छ्ठ पूजा सूर्योपासना का महोत्सव है। सनातन घर्म के पांच प्रमुख देवताओ में से एक सूर्यनारायण हैं। वाल्मीकि रचित रामायण में आदित्य हृदय स्त्रोत के द्दारा सूर्यदेव का जो स्तवन किया गया है,उससे उनके सर्वदेवमय सर्वशाक्तिमय स्वरूप का बोध होता है। सूर्य आत्मा जगतस्तस्युषश्च सूर्य सूक्त के इस वेद मंत्र के अनुसार भगवान सूर्य को सम्पूर्ण जगत का आत्मा कहा गया है। सूर्य का अर्थ सरति आकाशे सुवति कर्माणि लोक प्रेरयति वा वतलाया गया है,अर्थात आकाश में चलते हुए लोक में जो कर्म की प्रेरणा दे, उसे सूर्य कहा गया है। पुराणों में सूर्य को प्रत्यक्ष देवता कहा गया है। मोदनी में सूर्य को ग्रह विशेष बतलाया गया है। सूर्य के व्युप्पत्ति लभ्य अर्थ के अनुसार आकाश मण्डल से संचार की प्रेरणा देते हुए जो ग्रहों के राजा है,वही सूर्य है। पौरोहित्य शास्त्र के अनुसार सूर्य का जन्मस्थान कलिन्ग देश,गोत्र-कथ्यप,रक्त-वर्ण है। गृहराज होने के कारण ज्योतिश शास्त्र मानता है कि ग्रहों की अनुकूलता हेतु भगवान भाष्कर की पूजा करनी चाहिए। पूजन में अर्ध्य का विधान मिलता है। लोक उत्सव का स्वरूप छ्ठ पूजा चार दिवसीय उत्सव है। इसकी शुरूआत चैत्र कार्तिक शुक्लपक्ष चतुर्थी को तभा समाप्ति चैत्र कार्तिक शुक्लपक्ष सप्तमी को होती है। झ्स दौरान व्रतधारी स्त्री/पुरूष लगातार 36घंटे का निर्जला व्रत रखते हैं। इस दौरान वे पानी भी ग्रहण नहीं करते। कार्तिक छ्ठ व्रत 2019 का विवरण 31 अक्टूबर 2019 नहाय, खाय, 1 नवम्बर 2019 खरना पूजा, 2 नवम्बर 2019 संध्या अध्र्य, 3 नवम्बर 2019 प्रातः पोखरा,नदियो में डूबकी लगाकर सूर्यदेव का आध्र्य किया गया। भोजन के रन्प में कददु(लौकी)दाल और चावल ओल(जीमीकंदा),हरा बैगन,गोभी की सब्जी तथा चना दाल सेंधा नमक में बनाया हुआ खाने की परम्परा है। धूमधाम से मनाया गया त्यौहार विदित रहे कि छठ का महापर्व बिहार मे बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है जो कि कोतमा सहित भालूमाडा, गोविन्दा काॅलरी, जमुना, राजनगर एंव बिजुरी मे भी निवासरत बिहार प्रांत के लोगो द्वारा बडे़ उत्साह एवं उमंग पूर्वक मनाया जाता है। छठ पर्व का शुभारंभ मंगलवार की शाम से नहाए-खाए के साथ हुआ था शनिवार को खरना के अवसर पर व्रती महिलाओ ने दिनभर व्रत रखने के बाद शाम को प्रसाद ग्रहण किया। नगर पालिका प्रषासन पसान एवं कोतमा द्वारा तालाबो एंव घाटो की सफाई कराई गई। भक्तो की उमड़ी जनसैलाब हिन्दूओ के लिये सूर्य षष्ठी का पर्व विशेष स्थान रखता है इस छठ महापर्व के उपलक्ष्य में जमुना में परासी रोड़ स्थित तालाब, भालूमाड़ा नदी घाट व श्रमिक नगर दुर्गा मंदिर के स्थित तालाब घाट में भारी संख्या में सूर्य उपासको द्वारा विधिवत पूजा अर्चना कर अध्र्य दिया गया। इस अवसर पर श्रद्धालू जनों के साथ-साथ उपासकों के परिजन व देखने वाले भारी संख्या में उपस्थित थे जमुना के छठ तालाब में तो मेला जैसा लग गया छठ पर्व समाप्त होने के बाद प्रसाद वितरण किया गया। इस पुनीत पर्व पर महिलाये सूर्य उपासना एवं पूजा अर्चना करती है जल में खड़ी रहकर सायं काल का इंतजार तथा तड़के सुबह जल में खडे रहकर सूर्यादय का इंतजार एक कठिन तपस्या है और इस तपस्या के साथ महिलाये परिवार समाज एवं राष्ट्र की सुख समृध्दि एवं कल्याण की मनोकामना करती है। छठ पूजा मे आटा, घी, गुड एंव मेवा से बनाए जाने वाले ठेकुआ पकवान का विशेष महत्व माना जाता है। पर्व को लेकर शनिवार को बाजारों में भीड देखी गई जहा तैयारी के लिए बांस के समानो की खरीदी हुई इसके साथ गन्ना, फल के दुकानो मे भीड़ रही।