Breaking News

गोंडवाना के धरोहरों को संजोने वाला महारानी दुर्गावती उड़ान पुल का होगा लोकार्पण :- भगतसिंह नेताम

गोंडवाना के धरोहरों को संजोने वाला महारानी दुर्गावती उड़ान पुल का होगा लोकार्पण :- भगतसिंह नेताम

जबलपुर । बहुप्रतीक्षित मध्यप्रदेश की सबसे प्रथम और सबसे लंबी तथा विशाल फ्लाई ओवर वीरांगना राजमाता महारानी दुर्गावती उड़ान पुल का निर्माण कार्य अन्ततः पूर्ण हो गया । आगामी 23 अगस्त 2025 को केन्द्रीय मंत्री नितीन गडकरी , प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव , प्रदेश के लोक कल्याण को समर्पित लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह आदि इस उड़ान पुल का लोकार्पण करेंगे ।
भगत सिंह नेताम ने कहा कि हम सब संस्कारधानी वासियों के साथ साथ देश के 10 करोड़ जनजाति-आदिवासी बंधु विशेषकर देश के 7 राज्यों में स्वाभिमान, स्वावलंबन व सम्मान के साथ निवास करने वाले 3 करोड से अधिक संख्या बाहुल्य वाले गोंड समाज के भाइयों और बहनों के लिये वास्तव में यह एक गौरव की बात है कि इस विशाल सेतु का नाम स्वयं शासन ने ही गोंडवाना की वीरांगना राजमाता महारानी दुर्गावती जी के नाम से नामित कर दिया है।

श्री नेताम ने बताया मध्यकालीन भारत(1548-1564) में महारानी दुर्गावती जी का शासन उत्तर में आज के उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिला के ताल बेहट से ले कर दक्षिण में वर्तमान तेलंगाना राज्य के आदिलाबाद जिला के उटनूर तक तथा पूर्व में ओडिशा के झारसुगुडा जिला के कोलाबिरा से ले कर पश्चिम में भोपाल के बैरागढ़ तक के भूखंड पर फैला था। उन्होंने अपने पति महाराजा दलपत साह जी के निधन के उपरान्त अपने नाबालिक सुपुत्र कुमार वीर नारायण सिंह जी के प्रतिनिधि स्वरूपा प्रजा पालन एवं राज्य रक्षार्थ सत्ता का बागडोर सम्हाला ।
उनके शासन काल में गोंड वंश के राज्य का नाम यद्यपि गोंडवाना नहीं था तथापि गोंडवाना साम्राज्य के प्रमुख 4 राज घराना में सर्वोच्च प्रशासकीय क्षमता संपन्न राज घराना था। राज्य का नाम इतिहास साक्ष्य के आधार पर गढ़ा-कटंगा था। और इस गोंड शासित राज्य की राजधानी गढ़ा (वर्तमान जबलपुर शहर के दक्षिणी भाग है) ।
इसी जबलपुर को राज्य का मुख्यालय बनाकर आपने विदेशी मुगल आक्रान्ता अकबर के धर्मपराधीन आक्रमण और अतिक्रमण वाद को सशक्त जवाब देती हुई अकबरी सेना को दो दो बार ललितपुर तक खदेड़ कर आयी थी।
राष्ट्र तथा राज्य की सुरक्षा और अखंडता की रक्षा करने के अलावा महारानी दुर्गावती जी ने अपने शासन काल में प्रजाओं के कल्याणार्थ अनेक जनहितैषी कार्य किया था, जिसका पुरातात्विक प्रमाण आज भी विद्यमान हैं। जल प्रबंधन के क्षेत्र में उनका कार्य अतुल्य, स्तुत्य एवं सांप्रतिक विश्व में जलापुर्ति की दृष्टि से अनुकरणीय रहा है । उन्होंने वर्तमान जबलपुर शहर की सीमा क्षेत्र में उस जमाने में 52 ताल और 72 तैलयों का निर्माण कार्य करवाया था।‌ उनमें से अधिकांश आज जीवन्त हैं, जनता के उपयोग में भी हैं।
यह जो फ्लाई ओवर -महारानी दुर्गावती उडान पुल बना है, इसका महत्व यातायत‌ व्यवस्था के सुचारु संचालन के साथ ही इस पुल की एक विशेषता यह है कि यह उड़ान सेतु राजमाता महारानी दुर्गावती जी के द्वारा निर्मित और पुनर्निर्मित तालों, किलों,बावड़ी तथा प्राचीन मंदिरों को भी जोड़ेगा ।

एक गर्व, गौरव, आनन्द और समाधान की बात है कि यह नवनिर्मित उडान पुल राजमाता महारानी दुर्गावती जी तथा गोंड वंशी शासकों के आधारताल की ओर से प्रारंभ हो कर दमोह नाका चौक में इसका उतार माढोताल (दीनदयाल चौक) की तरफ है। आगे दमोह नाका चौक के उपरांत इस पुल के दक्षिण दिशा में चेरीताल है, जो राजमाता महारानी दुर्गावती जी की दासियों के उपयोगार्थ बनाया गया था। उसके आगे बलदेव बाग चौक के बाद दक्षिण में रानी ताल स्थित ‌है, उत्तर दिशा में गढ़ा गोंडवाना राजधानी में प्रवेश हेतु मुख्य फाटक – गढ़ा‌ फाटक है। वहीं दक्षिण दिशा में गढ़ा मार्ग- गुलौआ ताल के लिये पुल का उतार है जिसके दक्षिण दिशा में “रानी की बगिया” का दर्शन‌ होगा। रानी ताल के बाद सेतु का पूर्व दिशा में उतार केशव कुटी‌- मालवीय चौक तरफ को है, जो माढोताल को जोड़ता है ।
आगे मदन महल रेल्वे स्टेशन से पहले पुल का उतार पूर्व दिशा में भंवर ताल तो पश्चिम दिशा में गुलवा ताल वाली रास्ता को जोडता है।
रेल स्टेशन के उस पार दशमेश द्वार से पुल पुर्व में महानद्दा‌ तलाव‌ तथा हाथी ताल को जोडने के साथ साथ पश्चिम में एल आई सी तरफ का‌ उतार‌ हमें मदन महल किला, सूपा ताल,देव ताल, कौला ताल होते हुये संग्राम सागर, बाजना मठ और गोंडवाना का जल दुर्ग आम खास तक भी मार्ग ‌प्रशस्त करता है ।
यह उडान पुल अनायास हमारे गोंडवाना के सांस्कृतिक ‌धरोहरों को संजोने का माध्यम बनेगा ।
यह समय राजमाता महारानी दुर्गावती जी के पंच शती जयंती का अवसर है । इतिहासकारों के दो मत है- कुछ 18 साल में रानी माता की शादी होना बताते हैं वे 1524 को रानी माता दुर्गावती जी का जन्म वर्ष ‌बताते हैं । अन्य इतिहासकारों की माने तो 1526। यह वर्ष 24 और 26 के बीच 2025 है।
श्री नेताम ने कहा कि मुझे राजनीति की बात नहीं करनी चाहिये; फिर भी वोट का अधिकार प्राप्त इस देश और इस प्रदेश में विशेषकर गोंडवाना की राजधानी जबलपुर संभाग के होने के नाते जरूर कहुंगा। कांग्रेस ने वीरांगना राजमाता महारानी दुर्गावती जी की स्मृति रक्षा की अवहेलना की, उपेक्षा की। भाजपा सरकार केंद्र में अटल जी के नेतृत्व में आते ही बलिदान स्थल का विकास किया। प्रतिमा लगवाई। 500वीं जन्म दिवस पर स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी आकर श्रद्धांजलि कार्यक्रम में उपस्थित रह कर 1000 करोड का गोंड धरोहर ‌विकास‌ योजना का उद्घाटन किये। चाँदी का सिक्का जारी किया डाक टिकट जारी किया ।
शहीद शंकर शाह राष्ट्रीय स्मारक का लोकार्पण केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जी ने 2021 में किया ।अब मोदी जी की प्रेरणा से मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव जी ‌और लोक निर्माण मंत्री श्री राकेश सिंह जी ने बिन मांगे मोती देने जैसा पुण्य कर्म किया है। उन्होने इस उडान पुल का नाम करण राजमाता ‌महारानी दुर्गावती जी के नाम से किया है। भाजपा सरकार के आदिवासी-जनजाति कल्याण एवं जनजाति महापुरुष-वीर/वीरींगनाओं के स्मृति रक्षार्थ विभिन्न कार्यक्रम की योजना अत्यंत स्तुत्य, वनन्दीय, प्रशंसनीय है ।

Related Articles

Back to top button