
राजेश सिंह
माॅं नर्मदा महोत्सव कार्यक्रम को लेकर जिला प्रशासन पूरी तरह तैयारी में लगा हुआ है जिससे की इस जिले का मान-सम्मान बरकरार रहे है। माॅ नर्मदा महोत्सव को लेकर हर व्यक्ति यहीं चाह रहा है कि होने वाला कार्यक्रम ऐतिहासिक हो और आने वाले पर्यटक भी इस ऐतिहासिक पल को हमेशा याद रखे। कुछ इसी तरह की मंशा लिये जिले के कलेक्टर चन्द्रमोहन ठाकुर दिन-रात कड़ी मेहनत भी कर रहे है,लेकिन कुछ विभाग ऐसे भी है जो सरकारी फंड और एकत्रित किये गये चंदे पर गिद्ध की भांति निगाहे लगाये बैठे है और वह अपना कारनामा शुरू भी कर दिए है। अमरकंटक वन परिक्षेत्र में बिना टेंडर के लाखों रूपए के भ्रष्टाचार की नाव पर वन विभाग सैर-सपाटा करना शुरू कर दिया है।
अनूपपुर। पवित्र नगरी अमरकंटक में आयोजित होने वाले नर्मदा महोत्सव कार्यक्रम को लेकर हर विभाग को अलग-अलग जिम्मेदारियां दी गई है। वैसे तो जिले के कलेक्टर पूरे आयोजन पर पैनी नजर रखे हुए है फिर भी भ्रष्ट अधिकारी और कर्मचारी अपनी हरकतो से बाज नहीं आ रहे है। पवित्र स्थल, पवित्र कार्यक्रम में भी भ्रष्टाचार की लकीर खींचने का प्रयास शुरू हो गया है। अमरकंटक वन परिक्षेत्र के अधिकारी और कर्मचारी लाखों रूपए की बजट को किस तरह से ठिकाने लगाया जाये इसकी रूपरेखा बना डाली है। जिसको अमली जामा पहनाना बाकी है, कुछ मामलो में इसका श्रीगणेश भी हो चुका है।
बिना टेंडर की हुई खरीदी
पवित्र नगरी में अमरकंटक में आयोजित होने वाले नर्मदा महोत्सव को देखते हुए वन विभाग को पर्यटको के सैर-सपाटा के लिए नौकायान की व्यवस्था करने के लिए नाव की खरीदी की है, इस नाव की खरीदी के लिए टेंडर प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए थी, लेकिन वन परिक्षेत्राधिकारी ने बिना टेंडर प्रक्रिया अपनाये ही लाखों रूपए नाव की खरीदी कर डाली।
कोटेशन पर हुई खरीदी
बताया जाता है टेंडर प्रक्रिया को दरकिनार करते हुए अमरकंटक वनपरिक्षेत्र अधिकारी एन.डी.शर्मा ने अपने चहेते सप्लायरो से सांठगांठ करके कोटेशन प्रक्रिया को अपनाते हुए लाखों रूपए की नाव खरीदकर भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया। जो नाव खरीदी की गई है उसके बाजार मूल्य और खरीदी किये गये मूल्य की जांच कराई जाये, तो सारी हकीकत सामने आ जायेगी।
किया गया शुभारंभ
वन परिक्षेत्र अधिकारी अमरकंटक ने 07.01.2020 को शंभूधारा सरोवर बांध में पर्यटको के भ्रमण के लिए नौकायान का शुभारंभ भी कर दिया गया। सवाल यह उठता है कि इस नाव खरीदी प्रक्रिया में टेंडर प्रक्रिया को क्यों नहीं अपनाया गया, इसी तरह अन्य कार्यो में भी वन विभाग के अधिकारी सरकारी पैसा का गोलमाल कर रहे है।
इनका कहना है
हमारे द्वारा कोटेशन के आधार पर लाखों रूपए की नाव की खरीदी की गई है, टेंडर प्रक्रिया अपनाना आवष्यक नहीं है, यह निर्णय समय अभाव के कारण भी लिया गया है।
एन.डी.शर्मा
वन परिक्षेत्र अधिकारी,अमरकंटक
हर जगह नाव उपलब्ध नहीं रहती है, एक लाख रूपए तक टेंडर प्रक्रिया अपनाना आवष्यक नहीं है बाकी मामले की जानकारी लेता हूं।
एम.एस.भगादिया
वन मंडलाधिकारी, अनूपपुर