पर्यावरण स्वीकृति मिलने से एसईसीएल उत्पादन लक्ष्य प्राप्त करने की ओर अग्रसर
रिपोर्टर@राजेश सिंह

बिलासपुर। राष्ट्र के विकास में कोयला उत्पादन की अहम भूमिका है। ऊर्जा आवश्यकता की पूर्ति हेतु कोयला ही मुख्य स्त्रोत होने के कारण कोयला खनन आवश्यक हो जाता है, इसमें कोलइण्डिया का महत्वपूर्ण योगदान है। कोलइण्डिया अंतर्गत इसकी अनुशंगी कम्पनी एसईसीएल के कुसमुण्डा खुली खदान को हाल ही में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 40 मिलियन टन प्रति वर्ष से ब-सजय़ाकर 50 मिलियन टन प्रति वर्ष (नार्मेटिव) और 62.5 मिलियन टन प्रति वर्ष (पीक) की स्वीकृति दी है इससे कोयला उत्पादन को बल मिलेगा। कुसमुण्डा खुली खदान को पिछले वित्तीय वर्ष 2018-19 में पर्यावरण स्वीकृति दो बार एमओयूएफ द्वारा ब-सजय़ायी गयी थी जिसमें पहली बार 26 मिलियन टन प्रति वर्ष से ब-सजय़ाकर 36 मिलियन टन प्रति वर्ष कर दी गयी थी जिसे दूसरी बार आगे ब-सजय़ाकर 40 मिलियन टन प्रति वर्ष कर दिया गया था। इसी प्रकार सोहागपुर क्षेत्र के खैरहा भूमिगत खदान की 0.819 मिलियन टन प्रति वर्ष की पर्यावरण स्वीकृति अगले 30 वर्षों के लिए ब-सजय़ा दिया गया है। इन खदानों की पर्यावरण स्वीकृति होने से एसईसीएल की खनन गतिविधियों में तेजी आएगी एवं एसईसीएल अपने अपेक्षित उत्पादन लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल हो सकेगा। ज्ञात हो कि पिछले 11 दिनों से एसईसीएल द्वारा 5 लाख टन प्रतिदिन कोयला उत्पादन के आंकडे को पार कर रहा है। दिनांक 22.01.2020 को एसईसीएल द्वारा 5,30,814 टन कोयला उत्पादन किया है। एसईसीएल अपने कोयला उत्पादन लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हर संभव समेकित रूप से प्रयास कर रहा है।