
बुढार। अग्रवाल सेवा समिति-बुढ़ार व राष्ट्रीय दृष्टि नियंत्रण भारत, शाखा- बुढ़ार द्वारा आयोजित विशाल निः शुल्क नेत्र शिविर 02 मार्च से 04 मार्च 2020 तक सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र- बुढ़ार में सम्पन्न हुआ। जिसमें मोतियाबिंद शल्यक्रिया योग्य हितग्राहियों की 02 मार्च को जांच कर भर्ती किया गया, 03 मार्च को शहडोल जिला चिकित्सालय भेजकर आपरेशन लेन्स प्रत्यारोपण विधि से करवाया गया व पुनः बुढ़ार लाकर सेवा-सुश्रुषा की गयी, 04 मार्च को भोजन के पश्चात छुट्टी दी गयी। समापन समारोह में बुढ़ार सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के नेत्र-सहायक आर.के. त्रिवेदी ने बताया कि इस शिविर में कुल 105 नेत्र रोगी पंजीयन कराये थे, जिसमें से 42 लोगों का मोतियाबिंद आपरेशन करने योग्य पाया गया था व उनका आपरेशन किया गया है, सभी को आवश्यक दवाईयां व सुरक्षा के बारे में विस्तार से समझाइश दी गयी। समारोह के मुख्य अतिथि नगरपालिका-धनपुरी के अध्यक्ष मुबारक मास्टर जी ने कार्यक्रम की तारीफ की व हितग्राहियों को सोडा फैक्ट्री अमलाई के अनिल अग्रवाल (टीटू भाई) द्वारा प्रदत्त कंबल व बुढ़ार के सुरेन्द्र गर्ग द्वारा प्रदत्त फल व मिठाई का वितरण अपने कर-कमलों से किये। समारोह में अग्रवाल समाज के बुढ़ार के वरिष्ठ लक्ष्मीनारायण अग्रवाल व एच.पी सरावगी, बुढ़ार कालेज की प्राचार्य श्रीमती आशा सरावगी, विवेकनगर के सरावगीजी, अग्रवाल समाज, महिला व युवा मण्डल के अनेकानेक सदस्य भारी संख्या में उपस्थित थे। अग्रवाल समाज- बुढ़ार के संचालक पवन चमड़िया ने जिला नेत्र चिकित्सकों, अधिकारियों, बुढ़ार केन्द्र के बी एम ओ, सहायकों व सभी हितग्राहियों, सहयोगियों का हार्दिक आभार व्यक्त करते हुये सदा-सर्वदा अपना, समाज का हरसंभव सहयोग का संकल्प व्यक्त किये। समारोह का संचालन करते हुए अग्रवाल समाज के सदस्य व ष्मां नर्मदा स्वास्थ्य सेवा व लोक-सेवा समिति®ष् के संस्थापक-संचालक श्याम सुंदर बगड़िया द्वारा नेत्रदान के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी गयी। किसी भी लिंग, आयु व ब्लड ग्रुप का व्यक्ति नेत्र दान कर सकता है. जिनके आंखों की सर्जरी हो चुकी हो, चश्मा या कांटैक्ट लैंस लगा हो, तो भी आंखें दान की जा सकती है. डायबिटीज (शुगर), हाइपरटेंशन, अस्थमा, तपेदिक आदि व्याधि से पीड़ित व्यक्ति भी आंखें दान में दे सकते हैं. यहाँ तक कि, किसी भी व्यक्ति की आंखें दान की जा सकती हैं, चाहे उसने नेत्रदान का संकल्प-पत्र भरा हो या न भरा हो. किसी दुर्घटना में मृत व्यक्ति की पुतलियां भी ठीक होने पर दान की जा सकती है। एड्स, पीलिया, ब्रेन ट्यूमर, फुड पायजनिंग, सेप्टोसेमिया व मांस में सड़न वाले रोगी नेत्रदान नहीं कर सकते हैं. परन्तु इन सबका फैसला नेत्र विशेषज्ञ द्वारा ही लिया जाना चाहिए, क्योंकि ऐसे नेत्र शोध आदि में भी काम आ सकते हैं। नेत्रदान मृत्यु के 4 घंटे के अंदर हो जाना चाहिए. असाधारण परिस्थिति में 6 घंटे तक नेत्रदान हो सकता है. सुरक्षित किये गये नेत्र कार्निया कुछ प्रक्रिया के पश्चात 24 घंटे के अंदर दृष्टिहीनों को प्राथमिकता के आधार पर प्रत्यारोपित कर दिया जाता है।