प्रधानमंत्री राहत कोष में कोयला श्रमिकों का एक दिन का वेतन काटे जाने का दबी जुबान में श्रमिक कर रहें विरोध
राजेश सिंह

करोड़ो जमा आपदा सहायता कोष की राशि का हो उपयोग
अनूपपुर। कोयला मंत्री ने कोयला कर्मियों का एक माह का वेतन को प्रधानमंत्री सहायता कोष में दान करने के बाद से कोल इंडिया लिमिटेड और उसकी कंपनियों की ओर से कोयला मजदूरों के वेतन से एक दिन का वेतन काटने की अपील ज़ारी की गयी है। कोयला मजदूरों के द्वारा अत्यंत कठिन परिस्थितियों में कोरोना वायरस संक्रमण के खतरों के बावजूद बिजली की आपूर्ति बाधित न होने देने के प्रयासों की सराहना तो दूर उसकी कहीं कोई चर्चा तक नहीं है। उनके स्वास्थ्य और बीमा के बारे में बात न करके जबरदस्ती इनके वेतन से पैसा कटा जाये इसलिये 28 मार्च को अपील कर 31 मार्च तक ही आपत्ति का समय मजदूरों को दिया जा रहा है। 29 मार्च को रविवार है,30 और 31 मार्च का मात्र समय बच रहा कोयला श्रमिकों के पास समय है, सभी मजदूरों को आपत्ति करने का समय न मिले ये शायद केंद्रीय सरकार की तैयारी है। कई वर्षों से आपदा सहायता कोष के नाम पर 2/- प्रति माह प्रति कोयला कामगार की कटौती वेतन से की जा रही है,जिसमें कोल इंडिया लिमिटेड के पास करोड़ों रुपए जमा हैं और उतना ही ब्याज भी है वर्षो से जमा पैसों के एवज में हर माह लगभग 12 लाख से प्रारंभ होकर अभी भी 05 लाख हर माह काट कर आपदा सहायता कोष के नाम पर कोल इंडिया लिमिटेड के पास जमा है। सभी ट्रेड यूनियनें मौन साधे हैं और आपदा सहायता कोष से प्रधानमंत्री सहायता कोष में राशि न दे कर वेतन से राशि कटौती होने जा रही है। अन्य कोई पब्लिक सेक्टर ऐसा नहीं कर रहा है। मजदूरों को सहायता करना है तो वे सीधे प्रधानमंत्री राहत कोष में करें परंतु यह दो दिन का समय बदनीयती को दिखाता है कि अधिकांश मजदूर आपत्ति ही न कर पाये और पैसा काट कर न केवल वाहवाही ली जाये वरन् आपदा सहायता कोष में जमा करोड़ों रुपए भी बचा लिया जाये। आगे भी कभी मौका आया तो एक दिन का टाइम दिया जाये या बिना पूछे ही कटौती कर दी जाये। परिस्थितियां गंभीर हैं और आपत्ति के लिये कोयला श्रमिकों के पास मात्र दो दिन का ही समय है. इस प्रकार से कटौती को कई श्रमिकों ने गलत मानते हुए आपदा सहायता राशि मैं जमा करोड़ों रुपए को इस आपदा में खर्च करने की मांग की है ज्ञात हो कि कोल इंडिया के सभी कर्मचारियों से उनके तनख्वाह से प्रतिमाह 2/- की कटौती कई वर्षों से की जा रही है. कई श्रमिकों ने तो दबी जुबान से यह भी कहा कि हम इस आपदा के समयदेश के साथ खड़े हैं लेकिन हम अपना जान जोखिम में डालकर खदान में भीड़भाड़ के एरिया में पहुंचकर अपनी ड्यूटी कर रहे हैं ऐसी स्थिति में हमारी जान जोखिम में डालकर मिलने वाले रुपए हम अपनी स्वेक्षा से नहीं देना चाहते हैं, और यदि आपदा सहायता राशि में पैसे नहीं होते तो दूसरी बात थी जब करोड़ों का फंड कोल इंडिया के पास मौजूद है तो फिर मजदूरों के साथ यह छलावा क्यों?