क्या अपने राज्य ही वासियों से सौतेला व्यवहार कर रहा है छत्तीसगढ़ प्रशासन …?
रिपोर्टर@समर बहादुर सिंह

अनूपपुर। कोरोना के इस महामारी में हर राज्य ने अपने राज्य के प्रवासी मजदूरों एवं फंसे हुए छात्र-छात्राओं को हर संभव सहायता करने का प्रयास कर रहा है वहीं छत्तीसगढ़ सरकार भी ऐसे लोंगो को राहत देने की तमाम घोषणाएं कर रहा है किंतु सचाई में मामला कुछ और ही है और सीमा पर तैनात कर्मचारी अपने ही राज के छात्रों के साथ सौतेला व्यवहार करते नजर आ रहे हैं जहां लोगों का मानना है कि कम से कम ऐसी परिस्थिति में तो छत्तीसगढ़ प्रशासन अपने राज के निवासियों के साथ सौतेला व्यवहार ना करें, छत्तीसगढ़ सरकार सीमा पर टेंट लगाकर भोजन, पानी ,विश्राम और अन्य व्यवस्थाएं तो कर ही सकती है भले आगे ना जाने दिया जाए जब तक कि कोई स्पष्ट गाइडलाइन छत्तीशगढ़ सरकार जारी नहीं करता है, और यह गाइडलाइन जारी कराने की जिम्मेवारी सरकार की है ना की दूसरे प्रदेश से छत्तीसगढ़ प्रदेश में आने वाले नागरिकों की है,कोरोंना के मरीजों के साथ भी इतना सौतेला व्यवहार नहीं किया जाता है जितना की इन बाहर से आए लोगों के साथ किया जा रहा है आखिर यह किसकी जिम्मेदारी है .यह जिम्मेदारी सरकार की ही होनी चाहिए कि वह अपने राज के लोगों को सुरक्षा प्रदान करें ना की यह कह कर अपना पल्ला झाड़ ले की हम अपने राज्य में बाहर से आए अपने ही राज्य के नागरिकों,मजदूरों एवं छात्रों को प्रवेश नहीं करने देंगे और सरकार के नुमाइंदों के इस गोलमोल जवाब से जनता का हित होने वाला नहीं है और सवाल यह भी उठता है की ईपास बनवा कर हजारों किलोमीटर दूर से चले आ रहे हैं प्रदेश के मजदूर एवं छात्र आशा किया जाता है कि हमें अपने क्षेत्र में पहुंचने पर कुछ राहत मिलेगी किंतु सीमापर पहुंचने पर इनके साथ धोखा हो रहा है
जिसका जीता जागता मामला इंदौर से चलकर सूरजपुर अंबिकापुर जाने वाले छात्रों के रूप में देखा जा सकता है बताया जाता है कि इंदौर से चलकर सूरजपुर एवं अंबिकापुर जाने के लिए 7 छात्र जब छत्तीसगढ़ की सीमा खोंगापानी घुटरी टोला के पास पहुंचते हैं तो वहां पर कार्यरत कर्मचारी इन्हें सीमा के अंदर प्रवेश करने से रोक देते हैं और यह कह कर वापस कर दिया जाता है कि मध्य प्रदेश से आए हो एवं रेड जोन से तालुकात रखते हो इसलिए आपको आगे नहीं जाने दिया जाएगा जिससे छात्रों के सामने गंभीर समस्या आ जाती है अंत में उन्हें वापस मध्य प्रदेश सीमा पर आना पड़ता है जहां मध्यप्रदेश शासन द्वारा छात्रों की समस्याओं को देखते हुए इन छात्रों को ग्राम पंचायत राजनगर के सामुदायिक भवन में रोक कर आश्रय दिया गया है ,जिसे लेकर भी क्षेत्र में लोगों में असंतोष व्याप्त है कि जब छत्तीसगढ़ राज्य के लोगों को छत्तीसगढ़ का प्रशासन लेने से इंकार कर रहा है तो इन्हें मध्य प्रदेश का प्रशासन क्यों रख रहा है? क्योंकि यह सभी लोग रेड जोन से आए हैं इसलिए क्षेत्र के निवासियों में डर भी व्याप्त है वही इन युवकों की माने तो हम लोगों के साथ ही भोपाल एवं इंदौर से 8 छात्र और आए थे जिन्हें छत्तीशगढ़ के अंदर प्रवेश करने दिया गया और हमें रोक दिया गया जिस संबंध में चर्चा है की उक्त युवकों को स्थानीय राजनैतिक हस्तक्षेप के बाद सीमा में प्रवेश करने दिया गया जो एक सवालिया निशान खड़ा करता है कि क्या ये 07 युवक छत्तीसगढ़ के निवासी नहीं है इस समय भी राजनीतिक हस्तक्षेप से लोग सीमा के अंदर बाहर हो रहे हैं , क्या ऐसी विषम परिस्थितियों में राजनीति करना ठीक है और प्रशासनिक अधिकारी क्या राजनीतिक दबाव में कार्य कर रहे हैं कुल मिलाकर छत्तीसगढ़ शासन इस समय जो प्रवासी मजदूरों एवं छात्रों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है वह किसी भी दृष्टिकोण से सही नहीं है। वह इस संबंध में जब कोतमा तहसीलदार मनीष शुक्ला से बात की गई तो उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ प्रशासन द्वारा इन्हें सीमा प्रवेश नहीं करने दिया गया हम जल्द ही इन्हें छत्तीसगढ़ भेजने की व्यवस्था कर रहे हैं।