दम तोड़ती दूरसंचार की लचर व्यवस्थाएं :लाक डाउन के संकट को और बढ़ा रहे दूरसंचार कंपनियां
दम तोड़ती दूरसंचार की लचर व्यवस्थाएं :लाक डाउन के संकट को और बढ़ा रहे दूरसंचार कंपनियां

दम तोड़ती दूरसंचार की लचर व्यवस्थाएं :लाक डाउन के संकट को और बढ़ा रहे दूरसंचार कंपनियां
राजनगर कालरी* – विश्व के कई देश कोरोना वैश्विक महामारी के दौर से गुजर रहे हैं और इस दौर में कई प्रकार की समस्याएं भारत देश की जनता के सामने भी आ रही हैं, दूरसंचार का माध्यम आज एक सशक्त माध्यम है इस माध्यम से जहां कई प्रकार की जानकारियां लोगों तक पहुंच रही है वहीं सरकार के द्वारा बहुत सारे काम इन्हीं माध्यमों से जनता के हित मे किये रहे हैं जो आम जनता के लिए सहूलियत प्रदान कर रहे जैसे आरोग्य सेतु एप्प,रेलवे की टिकट बुक करना ,ईपास सहित अन्य कार्य इंटरनेट के माध्यम से किए जा रहे हैं जहां एक और प्रदेश और केंद्र की सरकार बच्चों की शिक्षा इंटरनेट के माध्यम से करने के लिए कह रही है वहीं दूसरी तरफ इंटरनेट की सेवाएं कोयलांचल क्षेत्र में शून्य के बराबर है सरकारी कंपनी बीएसएनएल का राजनगर एवं पौराधार में स्थित टावर पूरी तरह से फेल है कंभी भी ना तो बीएसएनल से बात हो पा रही है और ना ही नेट का उपयोग हो पा रहा है दूसरी कंपनियां जिओ ,आइडिया एवं एयरटेल भी अपने उपभोक्ताओं के साथ धोखाधड़ी कर रहे और सुविधाओं के नाम हर महीने जम कर उगाही कर रहें पर नाम मात्र की सुविधाएं ही इन कंपनियों से मिल रही हैं। कोरोना के इस वैश्विक महामारी में सरकार जहां हर प्रकार की वह मदद कर रही है जिससे जनता को लाभ मिल सके परंतु दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल उपभोक्ताओं के साथ छलावा कर रही है राजनगर और पौराधार के टावर महीनों से खराब पड़े हैं पर इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है, क्या भारत सरकार और मध्यप्रदेश सरकार के साथ साथ दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल का यह दायित्व नहीं बनता है कि इस संकट के समय में लोगों को बेहतर इंटरनेट की सुविधा और कॉलिंग की सुविधा प्रदान करायी जाए ? जिससे कोरोना संकट से निपटने और अपने कार्यों को करने मेंजनता को आसानी हो, आज जहां एक और पूरा का पूरा देश नेटवर्क/इंटरनेट पर निर्भर हो गया है वहीं इस औद्योगिक क्षेत्र कोयलांचल क्षेत्र राजनगर, रामनगर , पौराधार में दूरसंचार विभाग सहित अन्य कंपनियों का नेटवर्क बहुत कमजोर होना विकास पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रहा है, बीएसएनएल कंपनियों की लचर व्यवस्था की वजह से ही कॉल अंचल क्षेत्र के लोगों ने प्राइवेट कंपनियों की ओर रुख किया पर आलम यह है कि जहां एक ओर प्राइवेट कंपनियां भी बेहतर सेवाएं नहीं दे पा रही हैं वहीं दूसरी तरफ बीएसएनल भी अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ता दिखाई पड़ रहा है सवाल यह उठता है कि जब बीएसएनल बेहतर सुविधा नहीं दे सकता,नही दे पा रहा तो इन क्षेत्रों में टावर लगाकर टावर के नाम पर लाखों रुपए का मेंटेनेंस और फर्जी बिल कैसे ले रहा है? बरहाल चाहे स्थिति जो भी निर्मित हो पर दूरसंचार इंटरनेट की सुविधाएं क्षेत्र के लोगों को मिलना उनका हक है ,इस ओर दूरसंचार विभाग ध्यान दें, और शासन प्रशासन भी इस मुद्दे को गंभीरता से लें ताकि इस क्षेत्र के लोग बेहतर इंटरनेट की सुविधाओं का उपयोग कर सकें और बच्चों की पढ़ाई के साथ ही अन्य प्रकार की अपनी जरूरतों को भी इंटरनेट के माध्यम से पूरा कर सकें। जिला प्रशासन सहित प्रदेश की सरकार और देश की सरकार भी कई आदेशों को सोशल मीडिया के माध्यम से जनता तक पहुंचाने का प्रयास कर रही है ऐसी स्थिति में इंटरनेट का ना चलना भी कई सूचनाओं की पुस्तक में बाधा उत्पन्न कर रहा है तो क्या शासन-प्रशासन की है नैतिक जिम्मेदारी नहीं है कि जनता के लिए भेजी जाने वाली सूचनाएं जमीनी स्तर पर वो सूचनाएं उन तक पहुंच सके, बीएसएनएल के अधिकारियों को चाहिए कि राजनगर और पौराधार क्षेत्र में जो टावर सिर्फ शोपीस के लिए लगे हुए हैं उन टावरों में थोड़ी जान फुके जिसका लाभ क्षेत्र की जनता को मिल सके।