सीएम हेल्प लाइन में षिकायत के बाद नहीं हुई कार्यवाही
विद्युत विभाग की लापरवाही से नहीं लग पा रहा ट्रांसफार्मर, उपभोगताओं से करा रहे हैं 3 लाख की वसूली

रिपोर्टर@संजीत कुमार सोनवानी
अनूपपुर। ग्राम पंचायत पसला अंतर्गत एक मोहल्ले का ट्रान्सफार्मर जो कि हाईवे के समीप है वह जल चुका है,जबकि ग्रामीणों ने बताया कि इस ट्रान्सफार्मर के जलने से पूर्व ही बिजली विभाग के कर्मचारियों को लगातार ग्रामीणों द्वारा बताया जा रहा था, लेकिन जेई अरविंद पहाड़े ट्रान्सफार्मर के जलने का इंतजार करते रहें, जब ट्रान्सफार्मर जल गया तो बिजली बिल का भुगतान कर रहे। उपभोगताओं को जेई अरविंद पहाड़े कह रहें हैं कि पूरा ग्राम पंचायत का भुगतान तीन लाख रुपये बकाया है, ग्राम पंचायत पसला में दर्जन भर ट्रांसफार्मर हैं और वशूली एक मोहल्ले के उपभोगताओं से करें और लगातार बिजली बिल भुगतान कर रहे उपभोगताओं को जेई अनुपपुर द्वारा अपमानित किया जा रहा है। मानो भुगतान करने वाला उपभोगता बिजली की समस्या बताकर कोई गुनाह कर दिया हो, जब भी कोई ग्रामीण उपभोगता जेई अरविंद पहाड़े से ट्रांसफार्मर जल जाने की बात करता है तो उपभोगता को ही उल्टे खरी खोटी सुनाने लगते हैं आधे-अधूरे बात फोन पर सुनकर फोन काट देते हैं, अब श्रीमान को कौन बताए कि समस्या सुनना और हल निकालना आपका और विभाग की जिम्मेदारी है अब उपभुगताओं के ऊपर इस तरह से झल्लाएंगे तो ग्रामीण अपनी समस्या कैसे और किससे बता पाएँगे। जब ग्राम पंचायत में लंबे अरसे से भुगतान लंबित था तब आप बिल भुगतान नही करने वालों पर क्यों एक्शन नही लिए बिजली काटना-जोड़ना आपका और आपके कर्मचारियों की जबाबदेही है, फिर भी आप कुम्भ करनी निद्रा में सोए रहे, वहीं जो ट्रांन्सफार्मर जल चुका है उसकी शिकायत ट्रान्सफार्मर जलने के पूर्व जागरूक ग्रामीण उपभुगताओं ने शासकीय सम्पति का नुकसान होने से बचाने के लिए फोन से जानकारी आपके कर्मचारियों को दी थी तब आप का विभाग और जेई अनूपपुर क्यांे लापरवाही करते रहे, जिसका दुष्परिणाम यह रहा कि ट्रान्सफार्मर जल गया। ग्रामीणों के सूचित करने पर अगर ट्रान्सफार्मर की मरम्मत पूर्व में ही करा ली जाती तो निश्चित शासकीय सम्पति को नुकसान होने से बचाया जा सकता था लेकिन साहब को अपना ठीकरा ग्रामीणों पर मढ़ कर पल्ला झाड़ रहें हैं। ग्रामीणों ने बताया कि पूर्व से एक चलन बिजली विभाग द्वारा चलाया जाता है कि ट्रांसफार्मर को बदलने के एवज में कुछ राशि लिया जाता है नही दिए तो ग्रामीणों को परेशान करने की प्रथा आम हो चली है जब ग्रामीण राशि इकट्ठे कर किसी अधिकारी को राशि देते हैं तभी संभव है कि मोहल्ले में बिजली आ पायेगी।