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*फ्लेक्स में क्षेत्रीय सांसद का पिक ना लगाया जाना आखिर किस ओर इंगित करता है*….? *आनन-फानन लगायी गयी सांसद की पिक *रिपोर्टर —-संजीत सोनवानी*

*फ्लेक्स में क्षेत्रीय सांसद का पिक ना लगाया जाना आखिर किस ओर इंगित करता है*….? *आनन-फानन लगायी गयी सांसद की पिक *रिपोर्टर —-संजीत सोनवानी*

*अनूपपुर*– उपचुनाव आया है ढेर सारा सौगात और घमासान साथ लेकर आया है, यह बात बिल्कुल सही है कि उपचुनाव जब भी जिस क्षेत्र में होता है तो वहां विकास की गंगा अपने आप बहने लगती है यानि क्षेत्र के लोगों को उपचुनाव में वह बहुत सारी जल सुविधाएं और सार्वजनिक कार्य हो जाते हैं जिनकी मांग वर्षों से चली आती है , उपचुनाव में क्षेत्र की जनता को कई प्रकार से लाभ मिलता है तमाम सार्वजनिक काम जो अधूरे पड़े रहते हैं वह राजनीतिक इच्छाशक्ति या और चुनाव को ध्यान में रखते हुए सरकार के द्वारा पूरे कर दिए जाते हैं, इसका जीता जागता उदाहरण उपचुनाव संसदीय शहडोल का है जब कांग्रेस पार्टी की सांसद श्रीमती राजेश नंदिनी के स्वर्गवास उपरांत ज्ञान सिंह ने चुनाव लड़ा था तब भारतीय जनता पार्टी को इस चुनाव में सफलता मिली थी, पर यह वही चुनाव है जब इस सफलता को पाने के लिए प्रदेश के मुखिया सहित तमाम आला बड़े नेता ग्राम पंचायत स्तर तक जाकर मतदाताओं को रिझाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे थे, प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान शहडोल संसदीय क्षेत्र के गांव गांव तक जाकर दौरा कर रहे थे और विकास की गंगा गांव गांव और गली गली तक बह रही थी, योजनाओं का लाभ देकर और घोषणाओं के माध्यम से क्षेत्र की जनता को लाभ पहुंचा रहे थे । यही उपचुनाव रूपी त्यौहार फिर से उप चुनाव अनूपपुर के रूप में आया है और अनूपपुर जिले के लिए ढेरों सौगात लेकर आया है ।अनूपपुर जिले का वर्चस्व और इतिहास का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि अनूपपुर जिला ही वह जिला है जिसकी वजह से 15 वर्षों से सत्ता में काबिज भाजपा की सरकार भारतीय जनता पार्टी की सरकार 2018 प्रदेश में काबिज नहीं हो पाई थी ,यदि भाजपा को को अनूपपुर जिले की सीटें मिल जाती तो निश्चित रूप से प्रदेश में भाजपा की सरकार बन जाती, लेकिन इतिहास को छोड़िए इतिहास तो इतिहास है, अगर वर्तमान की परिस्थितियों में निगाह डाला जाए तो अनूपपुर ही वह जिला है जिसकी वजह से आज फिर भाजपा सत्ता में काबिज है अनूपपुर जिले के कद्दावर नेता बिसाहूलाल सिंह ने कांग्रेस सरकार की नीतियों से नाराजगी दिखाते हुए अपने आप को उस दल से अलग किया और कांग्रेस के खिलाफ बिगुल फूंका, बिसाहू लाल के बिगुल फूंकने के बाद कारवां बनता गया कारवां चलता गया तब बिसाहूलाल ने भी यह तर्क दिया कि मैं क्षेत्र की जनता के लिए कुछ करना चाह रहा हूं और इस सरकार में रहकर क्षेत्र का विकास नहीं कर पा रहा हूं इसलिए मैंने भारतीय तब बिसाहूलाल ने भी यह तर्क दिया कि मैं क्षेत्र की जनता के लिए कुछ करना चाह रहा हूं और इस सरकार में रहकर क्षेत्र का विकास नहीं कर पा रहा हूं इसलिए मैंने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की है जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की है, इस कद्दावर नेता के भाजपा में शामिल होते ही ऐसी स्थिति बनी कि प्रदेश में भाजपा की सरकार का परचम लहरा गया। भारतीय जनता पार्टी और बिसाहूलाल के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि अनूपपुर उपचुनाव में सफलता हासिल हो सके, परंतु पार्टी में व्याप्त गुटबाजी अब सड़कों तक आ गई है अनूपपुर विधानसभा उप चुनावों को ध्यान में रखते हुए भाजपा के द्वारा विधानसभा क्षेत्र में कई प्रकार के जमीनी स्तर पर कार्यक्रम किए जा रहे हैं इन कार्यक्रमों में लगने वाले बैनर और फ्लेक्स में क्षेत्र की संवेदनशील और लोकप्रिय सांसद हिमाद्री सिंह की फोटो ना लगाया जाना यह मात्र एक भूल है या गुटबाजी ? जहां उपचुनाव में छोटे से छोटे कार्यकर्ताओं को मनाया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ निर्वाचित सांसद का फोटो फ्लेक्स में ना लगाया जाना आखिर किस ओर इंगित करता है ? हालांकि बाद में फ्लेक्स में परिवर्तन करते हुए अलग से चस्पा कर दिया गया ,पर लोकप्रिय सांसद का पहले फ्लेक्स में पिक ना लगाया जाना कई शंकाओं को जन्म देता है, इतना ही नहीं सांसद के पति नरेंद्र मरावी भी भाजपा में आदिवासी वर्ग और युवाओं में एक लोकप्रिय चेहरा है और पूर्व में अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष रह चुके हैं अनूपपुर जिले सहित प्रदेश के अन्य जिलों में इनकी अच्छी खासी पैठ है फिर भी फ्लैश से इनका फोटो गायब रहना भाजपा की गुटबाजी को सड़क पर लाकर खड़े करने की ओर इंगित कर रहा है। क्या ऐसे में अनूपपुर विधानसभा उपचुनाव में भाजपा को विजय श्री मिल पाना संभव हो पाएगा ,जहां अपनी ही पार्टी के एक बड़ी नेत्री का अपमान भाजपा कर रही है तो फिर दूसरे दलों के लोगों और जनता को कितना सम्मान मिल पाएगा यह एक विचारणीय प्रश्न है।

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