खाद्य मंत्री बिसाहूलाल सिंह ने राष्ट्रीय सेमिनार उपभोक्ता संरक्षण कानून पर व्यक्ति की अपने विचार

अनूपपुर। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 एवं उनके लागू करने की चुनौतियों के संबंध में दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार के शुभारंभ के अवसर पर प्रदेश के खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के मंत्री बिसाहूलाल सिंह ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि वैष्वीकरण के इस दौर में उपभोक्ता वस्तुओं एवं सेवाओं की बिक्री में बढ़ोतरी के साथ-साथ उपभोक्ता समस्याओं की भी बढोत्तरी हो रही है। इस बदलते परिवेश में यह आवष्यक हो गया है। कि उपभोक्ताओं को यह ज्ञात हो कि उन्हें खरीदरी करते समय किन बातों को ध्यान में रखना है तथा यदि कोई समस्या आती है तो उसका निराकरण किस प्रकार होगा। उपभोक्ताओं तक सही जानकारी की पहुंच तभी संभव है, जब उपभोक्ताओं को शिक्षित करने के लिए विशेष रुप से प्रयास हो। प्रदेश में उपभोक्ताओं को षिक्षित किये जाने एवं उनके अधिकारों को संरक्षित किये जाने के लिए खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण नोडल विभाग के रुप में कार्यरत है। उपभोक्ता को अपने पैसे का मूल्य पाने का अधिकार है चाहे वह सेवा से हो या उत्पाद से। उपभोक्ता आम तौर पर राष्ट्र के करदाता भी होते हैं और इसलिए उन्हें भ्रष्ट बाजार प्रथाओं के खिलाफ सुरक्षा का अधिकार है।भारत सरकार द्वारा उपभोक्ता हित में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के स्थान पर नवीन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 लागू किए गया है। इस नवीन अधिनियम में कई महत्वपूर्ण प्रावधान एवं अध्याय जोड़ा जाकर पुराने अधिनियम की अपेक्षा अधिक व्यापक और शक्तिशाली बनाया गया है।
नवीन अधिनियम अंतर्गत
उपभोक्ता आयोगों के अधिकार क्षेत्र का विस्तार किया गया है,शिकायत दर्ज कराने की प्रक्रिया सरल की गई है, उपभोक्ता चाहे तो अपनी शिकायतों को ऑनलाइन माध्यम से दर्ज करा सकता है मंत्री बिसाहूलाल सिंह ने कहा कि ई-दाखिल पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने की व्यवस्था प्रदेश में प्रारंभ हो चुकी है उपभोक्ता हित में यह एक अभिनव पहल है जिसमें उपभोक्ता द्वारा प्रदेश के किसी सुदूर क्षेत्र में भी ई-दाखिल पोर्टल ऑनलाइन अपना परिवाद आसानी से एक फाइल किया जा सकता है, उपभोक्ता आयोग के बाहर मामलों को सुलझाने के लिए वैकल्पिक विवाद निवराण तंत्र के रुप में मध्यस्थता के विकल्पों को मान्यता दी गई है, इससे शिकायतों को एक तरफ जहां उपभोक्ता अदालतों में जाने से रोका जा सकता है। वहीं दूसरी तरफ उपभोक्ता आयोग में मुकदमों की संख्या को भी करने में सहायता प्राप्त होगी, अंतर्राष्ट्रीय मापदंडों का अनुसरण करते हुए बाजार में बिकने वाला उत्पादों को नुकसान होने पर संबंधित की जिम्मेदारी तय करने का विशेष प्रकार का प्रावधान किया गया है जिसके तहत उत्पाद या सेवा में होने वाली किसी का खराबी है कमी होने के होने पर तथा उसकी वजह से उपभोक्ता को होने वाले नुकसान के लिए विनिर्माता, उत्पादक और सेवा प्रदाता को जिम्मेदारी माना जाएगा, केंद्रीय भक्त संरक्षण प्राधिकरण के माध्यम से स्वतः संज्ञान लेते हुए उपभोक्ता मामलों को देखने तथा उन मामलों में संबंधित जांच पड़ताल करने की शक्तियां प्रदान की गई है,उत्पाद या सेवा को लेकर किए जाने वाले भ्रामक प्रचार पर रोक लगाने पर प्रावधान किया गया है। यदि किसी लोकप्रिय व्यक्ति या सेलिब्रिटी किसी ऐसे उत्पाद या सेवा का प्रचार-प्रसार करता है या उसे बढ़ावा देता है जिससे उपभोक्ता को नुकसान हुआ है या उससे उपभोक्ताओं को नुकसान होने की संभावना है तो उसके लिए उत्पाद के विनिर्माता या सेवाप्रदाता के साथ ही उस सेलिब्रेटी को भी जिम्मेदार माना जाएगा। ऐस मामलों में जुर्माना और दंड दोनों को प्रावधान किया गया है, मध्यप्रदेश में उपभोक्ता आयोगों में वीडियों कांफ्रेंसिंग के माध्यम से भी षिकायतों की सुनवाई करने के व्यवस्था संचालित की जा रही हे। इससे षिकायातों को आसानी से तथा कम समय में निपटारा करने में मदद मिल रही है, इन सभी प्रावधानों से यह स्पष्ट है कि बाजार की बदलती आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए उपभोक्ता हित में नये प्रावधान लाए गए है।