अनूपपुर

सुदामा ने मित्र श्रीकृष्ण की रक्षा के लिए ग्रहण किये थे श्रापित चने

भागवत श्रोताओं की मौत नहीं होती उनकों मोक्ष प्राप्त होता हैः पंडित तिवारी

रिपोर्टर संजीत सोनवानी

राजेन्‍द्रग्राम। महाज्ञानी ब्राहमण सुदामा ने भगवान श्रीकृष्ण की रक्षा के लिए श्रापित चनों का ग्रहण किया था। अज्ञानी सुदामा को चोरी से चने खाने का दोशी बताते है यह सरासर झूठ है। श्रीमद् भागवत कथा सुनने वाले श्रोता की मौत नहीं होती है उनका मोक्ष होता है भगवान उन पवित्र आत्माओं को अपने श्री चरणों आत्माओं को अपने चरणों में स्थान देते हैं उक्त उदगार गुरुवार को जनपद पुष्पराजगढ़ के ग्राम पंचायत बसनिया में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दौरान श्रीकृष्ण सुदामा कथा प्रसंग सुनाते हुए कमलेश कृष्ण तिवारी के द्वारा श्रद्धालुओं के मध्य व्यक्त किए गए। उन्होने कहा कि भगवान है जब भक्तों को देते है तो दिखाकर नहीं छपा कर नहीं छुपा कर देते है जिस प्रकार द्वारकाधीश ने ब्राहमण मित्र सुदामा को अपने महल से बिना दक्षिणा दिए ही रवाना कर दिया था सुदामा जी को इस व्यवहार से बडा दुख हुआ था जबकि भगवान श्री कृष्ण ने विश्‍वकर्मा जी को बुलाकर उनकी ही नहीं सुदामा नगरी में जितनी भी झोपडियां थी उन सबको महल बना दिया था। बिना कुछ कहे भक्त सुदामा को भगवान ने बहुत कुछ दे दिया था। पंडित श्री तिवारी ने आगे कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की 16108 पट रानियां थी और उनके 1 लाख 77 हजार 168 पुत्र और पुत्री थी। भगवान की पूरी द्वारका नगरी परिवार थी। आज संयुक्त परिवार देखने को कम मिलते हैं। पंडित श्री तिवारी ने तिलक का महत्व बताते हुए कहा कि भगवान द्वारकाधीश ने सुदामा जी को तिलक किया जैसे ही उनकी उन्नति शुरु हो गई हमेशा तिलक ऊपर की ओर होना चाहिए वो कि उन्नति ऊपर की ओर होती हैं कभी भी भूल से भी तिलक नीचे की ओर नहीं करना चाहिए ब्राहमण सुदामा महाज्ञानी थे भगवान के साथ ही उन्होंने श‍िक्षा ग्रहण की थी क्योंकि उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण की रक्षा के लिए उनसे छुपा कर श्रापित जनों का जंगल में सेवन किया था यही कारण था कि वह दरिद्र थे। भगवान श्रीकृष्ण इस बात को जानते थे यही कारण है कि भगवान श्रीकृष्ण उन्हें द्वारका बुलाया और सत्कार किया। भगवान श्रीकृष्ण ने माता रुक्माणी से कहा कि आज हम जो कुछ भी हैं मित्र सुदामा की दया से हैं। अगर सुदामा जी श्रापित चनों का सेवन नहीं करते तो इनका सेवन करने से हमारा जीवन भी कष्ट से भरा होता। पंडित श्री तिवारी ने श्रद्धालओं के मध्य आगे कहा कि भगवान के भरोसे किए गए कार्य सफल होते हैं भगवान बुलाते है तो सभी कथा में आते हैं। भगवान जब बैकुंठ धाम को जाते हैं तो अपनी ज्योति श्रीमद् भागवत कथा में समाहित कर जाते है यही कारण है कि श्रीमद् भागवत कथा सुनने वाले श्रोता की मृत्यु नही होती है उनका मोक्ष होता है राजा परीक्षित को लेने के लिए साक्षात देवता आते है और उन्हें बैकुंठ मे ले जाते हैं। कथा समापन अवसर पर शोभा यात्रा निकाली गई शोभा यात्रा के पूर्व पंडित कमलेश कृष्ण तिवारी के सानिध्य मे मुख्य यजमान गणेश प्रसाद गुप्ता के द्वारा विधिवत समस्त देवी-देवताओं एवं श्रीमद् भागवत कथा की पूजा अर्चना की गई। शोभा यात्रा बैंड बाजों के साथ शुरु की गई। बसनिया के प्रमुख मार्गो से होकर भागवत कथा समापन शोभायात्रा मंदिर पहुंची यहां पर श्रद्धालुओं को कथावाचक कमलेश कृष्ण तिवारी के सानिध्य में प्रसाद का वितरण किया गया। शोभा यात्रा में प्रसाद का वितरण किया गया। शोभा यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु जन सम्मिलित रहे।

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