सांसद प्रतिनिधि की सक्रियता ने दिखाया अपना रंग छदम एवं झूठी शिकायतों पर बर्खास्त हुए कर्मचारियों को अब मिल सकेगा सेवानिवृत्ति के उपरांत मिलने वाला लाभ
रिपोर्टर समर बहादुर सिंह

राजनगर काॅलरी। केंद्रीय सतर्कता आयोग नई दिल्ली और भारत सरकार के डीओपीटी मंत्रालय के आदेशों का उल्लंघन कर एसईसीएल उपक्रम वर्ष 2013-14 से वर्षों से कंपनी में कार्यरत कर्मचारियों को झूठी, छद्म और बेनामी शिकायतों पर कार्यवाही करते हुए शिकायतकर्ता का सत्यापन किए बिना उनको सेवा से बर्खास्त करता आ रहा था, अब तक एसईसीएल उपक्रम के सैकड़ों कर्मचारी जो 38 से 40 वर्षों से कंपनी में अपनी सेवाएं देते आ रहे थे, दे चुके थे उन्हें झूठी शिकायतों के आधार पर सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था, सेवा से बर्खास्त करने के बाद इन्हें मिलने वाला ग्रेच्युटी पीएफ, पेंशन, बोनस, सेटलमेंट अलाउंस, लीव इन कैश एवं सभी प्रकार के और भुगतान रोक दिए गए थे तब ऐसी स्थिति में मजदूर के सामने सपरिवार आर्थिक संकट खड़ा हो जाता था और जिस श्रमिक ने 38-40 वर्षों तक कंपनी की सेवा की वह दाने-दाने को मोहताज हो जाता गया था, वर्ष 2015-16 और 2016-17 में एसईसीएल उपक्रम के चिरमिरी क्षेत्र में सैकड़ों मजदूरों के विरुद्ध इसी प्रकार की शिकायतों का अंबार लगा था और उन शिकायतों पर केंद्रीय सतर्कता आयोग और डीओपीटी के मापदंडों के बिना पालन किए दर्जनों कर्मचारियों को सेवा से बर्खास्त भी प्रबंधन के द्वारा कर दिया गया और सेवा से बर्खास्तगी के उपरांत एक श्रमिक ने तो आत्महत्या भी कर ली थी, और कई श्रमिक मानसिक अवसाद से गुजर रंहें थे, चिरमिरी के साथ ही हसदेव क्षेत्र, जमुना कोतमा, सोहागपुर और आसपास के क्षेत्रों में भी एक गिरोह सक्रिय था जो भोले-भाले कालरी कर्मचारियों को ब्लैक मेलिंग करने का धंधा भी काफी जोरों पर उस वक्त चला, उस समय की वर्तमान स्थितियों और परिस्थितियों को देखते हुए मजदूरों के हितों को ध्यान में रखते हुए इस पूरे मामले को गंभीरतापूर्वक लेते हुए कोयलांचल क्षेत्र के समाजसेवी, संधान ट्रस्ट के चीफ ट्रस्टी, सांसद प्रतिनिधि एसईसीएल मुख्यालय सुनील कुमार चौरसिया ने सबसे पहले चिरमिरी क्षेत्र का दौरा किया क्योकि ज्यादा यह मामला यही था फिर अन्य कई क्षेत्रों जैसे जमुना कोतमा, सोहागपुर, जोहिला, बैकुंठपुर क्षेत्रों से विभिन्न प्रकार के आंकड़े एकत्रित कर विभिन्न समाचार पत्रों में इस समस्या को प्रमुखता से उठाया गया साथ ही केंद्रीय सतर्कता आयोग और डीओपीटी के मापदंडों का अध्ययन कर कोयला मंत्रालय के उच्च अधिकारियों कोयला सचिव, कोयला मंत्रालय भारत सरकार, चेयरमैन कोल इंडिया कोलकाता, अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक एसईसीएल मुख्यालय बिलासपुर, मुख्य सतर्कता अधिकारी बिलासपुर, कार्मिक निदेशक एसईसीएल मुख्यालय बिलासपुर सहित अन्य कई कार्यालयों को नवंबर 2018 से अब तक लगातार कई माध्यमों से उच्च अधिकारियों से पत्राचार कर इस बात की लगातार मांग की जाती रही की झूठी और छद्म शिकायतों पर कार्यवाही करने के पहले शिकायतकर्ता का बयान लिया जाना अनिवार्य है, ज्ञात हो कि केंद्रीय सतर्कता आयोग के द्वारा भी इस संबंध में 2013 में सर्कुलर जारी किया गया है परंतु एसईसीएल प्रबंधन अपनी मनमानी पर उतारू था फिर कई चरणों में विभिन्न स्तरों पर श्री चौरसिया के द्वारा पत्राचार किया गया और तब से अब तक इस मुहिम को लगातार श्रमिकों के हित में जारी रखा शुरुआत में जब यह मामला तेजी से श्री चौरसिया के द्वारा उठाया गया तब एसईसीएल मुख्यालय के महाप्रबंधक (कार्मिक एवं प्रशासन) ने 13 फरवरी 2019 को पत्र जारी कर झूठी एवं बेनामी शिकायतों पर कार्यवाही करने के पहले शिकायतकर्ता का सत्यापन किए जाने, तिमाही प्रतिवेदन दिए जाने का आदेश एसईसीएल उपक्रम के सभी क्षेत्रीय मुख्यालय को किया, तब से एसईसीएल में प्रस्तुत शिकायतों पर शिकायतकर्ता का पक्ष लेने के बाद आगे की कार्यवाही प्रबंधन के द्वारा की जाने लगी तो इस वजह से सैकड़ों झूठी शिकायतते खुद ही कफन में दफन हो गई और की गई फर्जी और झूठी शिकायतों पर प्रबंधन द्वारा कार्यवाहियां लगभग रोक दी गयी यहीं से वर्षों से कम्पनी में काम करने वाले श्रमिकों/ मजदूरों को न्याय मिलना शुरू हो गया। परंतु बात यहीं पर समाप्त नहीं हुई समाजसेवी श्री चौरसिया ने लगातार इस बात की मांग उच्च अधिकारियों से की कि जब फर्जी, बेनामी और झूठी शिकायतों को आधार बनाकर गलत तरीक से वर्षों से कंपनी में काम कर रहे श्रमिकों को प्रबंधन के द्वारा सेवा से बर्खास्त किया गया है तो ऐसी स्थिति में इन्हें मिलने वाला ग्रेजुएटी, पीएफ, पेंशन, बोनस, एवं अन्य भुगतान भी बर्खास्त श्रमिकों को प्रदाय किया जाए, आखिर इस संघर्ष और लड़ाई ने अपना रंग दिखाया और एसईसीएल मुख्यालय के कार्मिक एवं प्रशासन महाप्रबंधक ने विगत दिनों एसईसीएल उपक्रम के सभी क्षेत्रीय कार्यालयों को पत्र जारी कर यह निर्देश दिया है कि छदम एवं झूठी शिकायतों के आधार पर बर्खास्त किए गए कर्मचारियों को मिलने वाला सीएमपीएफ, संचय पेंशन और ग्रेजुएटी सभी भुगतान किए जाएं, हालांकि एसईसीएल प्रबंधन ने यह आदेश पारित करने के पहले सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कानूनी राय भी ली है और सर्वोच्च न्यायालय से मिली कानूनी राय के आधार पर अब श्रमिकों का रोका गया भुगतान उन्हें मिलने का आदेश एसईसीएल के द्वारा पारित किया गया है, इस आदेश के पारित होने से एसईसीएल क्षेत्र के विभिन्न क्षेत्रीय इकाइयों में कार्यरत सैकड़ों बर्खास्त कर्मचारियों को इसका लाभ मिल सकेगा और इनके द्वारा वर्षों से की गई मेहनत का प्रतिफल इन्हें अब मिल पाएगा, निश्चित रूप से लगभग 5 से 6 वर्षों से जो भुगतान इन्हें मिलना चाहिए था, रोका गया हो और ना मिलने से कई प्रकार के मानसिक कष्ट से ये सभी बर्खास्त कर्मचारी परिवार सहित गुजर रहे थे अब इन्हें राहत मिली है, एसईसीएल मुख्यालय के इस आदेश ने इनके लिए संजीवनी वटी का काम किया है, अब इन श्रमिकों के घरों में भी रोशनी आ पाएंगी, चूल्हे से भोजन पक्क पाएगा। कोयलांचल क्षेत्र राजनगर, रामनगर बिजुरी और आसपास के क्षेत्रों में जिन बर्खास्त श्रमिकों की इस समस्याओं को हल करने का बीड़ा श्री चौरसिया ने उठाया था उन सभी श्रमिकों ने श्री चौरसिया से मिलकर उनका आभार व्यक्त किया और उज्जवल भविष्य की शुभकामनाये दी।