ग्राम पंचायत भाद ने दिया लक्ष्मी नारायण को भ्रष्टाचार का ठेका
ग्राम पंचायत भाद ने दिया लक्ष्मी नारायण को भ्रष्टाचार का ठेका
लक्ष्मी नारायण की दुकान का पता नहीं, बिल करोड़ों का
संतोष चौरसिया
जमुना कोतमा अनूपपुरजब भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारी ही हो जाए तो फिर भ्रष्टाचार होना तो लाजमी है हालांकि भ्रष्टाचार -भ्रष्टाचार की बातें तो हर एक अधिकारी नेता करते हैं कि भ्रष्टाचार नहीं होने देंगे लेकिन असल में क्या होता है इसका जीता जागता प्रमाण आप अनूपपुर जिले के बदरा जनपद में देख सकते हैं जहां पर लक्ष्मी नारायण गुप्ता सप्लायर ने अपना कब्जा जमा रखा है दुकान का तो कहीं पता नहीं है लेकिन बिल करोड़ों में अभी तक जनपद पंचायत बदरा से ले चुके हैं ! हालांकि स्थानीय लोगों ने इसकी शिकायत उच्च अधिकारियों के पास दर्ज कराते हुए कार्यवाही की मांग तो किए लेकिन अभी तक नतीजा कुछ नहीं निकला !
साफ नजर नहीं आ रहे बिल- बदरा जनपद के कई ग्राम पंचायतों में लक्ष्मी नारायण गुप्ता के बिल लगे हुए हैं कई बिल तो ऐसे हैं जो साफ तौर पर नजर ही नहीं आते इसे भ्रष्टाचार माने या प्रशासनिक लापरवाही हालांकि लापरवाही जिसकी भी हो जवाबदेही अभी तक किसी की तय नहीं हो सकी और लक्ष्मी नारायण गुप्ता ने अपना मकड़जाल करीब-करीब बदरा जनपद के कई ग्राम पंचायतों में जमा लिए, देखा जाए तो कई वर्षों से लक्ष्मी नारायण गुप्ता ने मटेरियल सप्लायर के नाम पर करोड़ों के बिल ग्राम पंचायतों से निकाले , अभी तक लक्ष्मी नारायण गुप्ता की दुकान का पता नहीं चल सका है !
सप्लायर कम ठेकेदार ज्यादा है लक्ष्मी नारायण गुप्ता- वैसे तो लक्ष्मी नारायण गुप्ता के कई ग्राम पंचायतों में मटेरियल सप्लायर के बिल लगते हैं लेकिन असल में देखा जाए तो लक्ष्मी नारायण गुप्ता सप्लायर कम ठेकेदार ज्यादा है निर्माण कार्य का ठेका लेकर निर्माण को गुणवत्ता विहीन कार्य करना इनकी आदत सी बन गई है हाल ही के दिनों ग्राम पंचायत भाद में लगभग तीन लाख की सड़क निर्माण में मिट्टी से बन रहे सड़क का जिम्मा भी लक्ष्मी नारायण गुप्ता के ऊपर है ! जो निर्माण कार्य पूर्ण कराने में लगे हुए हैं हालांकि ग्राम पंचायत के सरपंच सचिवों ने तो चुप्पी साध रखी है ग्राम पंचायत के सरपंच सचिव ने यह मान लिया है कि हमें कमीशन से मतलब बाकी क्या होता है ग्राम पंचायत में निर्माण कार्य में गुणवत्ता की से कोई लेना देना नहीं है !
भ्रष्टाचार का गढ़ बना ग्राम पंचायत- ग्राम पंचायत स्तर में वैसे तो सालाना करोड़ों के बजट आकर निर्माण कार्य होते हैं इन निर्माण कार्यों में सरपंच सचिव जनपद स्तर के अधिकारी इंजीनियर वह सप्लायर की मिलीभगत से जमकर पैसे की बंदरबांट किए जाते हैं शिकायत पर कोई कार्यवाही ना होना या दर्शाता है कि जिम्मेदार पदों में बैठे अधिकारियों की खुली सहमति भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है हालांकि भ्रष्टाचार में रोक लगा पाने में अभी तक जनपद में बैठे अधिकारी नाकाम साबित हुए हैं जिन्होंने अपनी जड़े जमा ली ग्राम पंचायत में वह करोड़पति बन कर बैठा है विकास कार्यों से सरपंच सचिव और अधिकारियों को किसी प्रकार से कोई लेना देना नहीं होता जिसका नतीजा यह रहता है कि निर्माण कार्य में गुणवत्ता की अनदेखी, बिना निर्माण ही पैसे आहरित कर लेना या परंपरा सीही ग्राम पंचायत में चल पड़ी है